इसके बाद भारत ने लाहौर, रावलपिंडी और सियालकोट सहित पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों में वायु रक्षा प्रणालियों और सैन्य सुविधाओं पर मिसाइलें दागी हैं, जो पाक सेना और वायु सेना के प्रमुख ठिकाने हैं। भारत ने लाहौर सहित पाकिस्तान के प्रमुख ठिकानों की वायु रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय कर दिया है।

इससे भी अधिक भयावह संभावनाएँ हैं। पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत पाकिस्तान में नीलम-झेलम बांध को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहा था, जिसे विफल कर दिया गया। जब इस आरोप की ओर इशारा किया गया, तो विदेश सचिव मिसरी ने आरोप लगाया कि यह पाकिस्तान की भारत के कुछ बांधों पर हमला करने की चाल है, और फिर उन्होंने कहा कि इसका समतुल्य रूप से जवाब दिया जायेगा।

इसके अलावा, भारत ने इस बार एक और हथियार छोड़ा है: ऊपरी बांधों से पानी। कुछ ही समय पहले बांधों के गेट बंद किये गये थे जिससे नीचे की नदी में पानी सूख गया थाछ अब कुछ पश्चिमी नदियों का पानी कल देर रात पंजाब प्रांत में पहुँचा है।

अब जब ये प्रतिक्रियाएँ नियंत्रण से बाहर हो गयी हैं, तो झड़पों को कम करने के लिए कोई सहारा उपलब्ध नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की पुलिसिंग में अपनी भूमिका के बारे में एक अलग सिद्धांत का पालन कर रहा है, इसलिए गुस्से और प्रतिक्रियाओं को शांत करने के लिए बहुत कम प्रयास किये जाएँगे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने संघर्ष से अमेरिका को पूरी तरह से अलग कर दिया है, उन्होंने कहा कि यह कोई उनका “युद्ध” नहीं है।

खतरे पंजाबी मुस्लिम “फेललवानी” समुदाय के दिमाग में हैं जो परिणामों को ध्यान में नहीं रखते हैं और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नाराज़गी की स्थिति में काम करते हैं। “मेरी नाक कट गयी, हम बदला लेंगे”, जैसा कि एक सेवानिवृत्त भारतीय सेना के जनरल ने एक टीवी चर्चा में कहा। शायद यह वास्तविक समस्या का सुराग देता है।

पाकिस्तान सरकार ने अब पाक सेना को भारत के कदमों का जवाब किसी भी तरीके से देने के लिए अधिकार दे दिया है। यह दोनों देशों के बीच शत्रुता के बड़े पैमाने पर बढ़ने का स्पष्ट संकेत है।

भारत ने आज शत्रुता के दूसरे चरण में प्रवेश किया है, कल रात पाकिस्तान द्वारा उत्तर में श्रीनगर और अवंतीपुरा से लेकर दक्षिण में भुज तक भारत-ओक सीमा पर सोलह सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले करने के कदम का जवाब देते हुए तथा देश के कुछ और भीतरी इलाकों में भी।

जम्मू, पठानकोट, जालंधर, आदमपुर, बठिंडा, अमृतसर, नल कुछ ऐसे सैन्य केंद्र हैं जिन्हें निशाना बनाया गया। इनका जवाब पाकिस्तान में लाहौर सहित महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों और रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना मुख्यालय पर सीधे हमलों से दिया गया, जो देश के अंदर सैन्य सुविधाओं को निशाना बनाने के पाकिस्तान के प्रयासों के जवाब में था। नौ मई की रात को भी पाकिस्तान ने अनेक भारतीय ठिकानों पर मिसाइलों और गोला दागे जिनका भारत ने माकूल जवाब दिया।

यह संघर्ष अब तक इक्कीसवीं सदी में युद्ध की कला के बारे में अंतर्दृष्टि और सबक देता है। उपलब्ध तकनीक के महत्व पर अधिक जोर नहीं दिया जा सकता है, लेकिन वायु रक्षा प्रणाली आम लोगों के साथ-साथ सैन्य संपत्तियों की रक्षा के लिए ढाल हैं।

पाकिस्तान के हवाई हमलों को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) प्रणालियों एसएएम-400 हथियार प्रणालियों के उपयोग से खदेड़ा गया, जो दुनिया में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ में से एक थीं। संयोग से, अमेरिकी तब नाराज हो गये जब भारत ने अमेरिकी द्वारा पेश की गयी कुछ प्रणालियों के बजाय रूसी प्रणालियों को चुना।

इसके अतिरिक्त, भारत ने पाकिस्तान में सैन्य केंद्रों पर ड्रोन से हमलों की पुष्टि की, जिन्होंने इन सुविधाओं को तहस-नहस कर दिया था। देश भर में हमले बढ़ रहे हैं और पाकिस्तान ने देश में सभी उड़ानें रोक दी हैं।

भारत ने लाहौर छावनी, सियालकोट और रावलपिंडी सेना मुख्यालय से सटे एक क्रिकेट स्टेडियम पर हमला किया है, जो दर्शाता है कि वह सीधे सेना मुख्यालय को भी निशाना बना सकता है।

इस बार के हमले और जवाबी हमले इस तरह की शत्रुता के पिछले चक्रों से अलग हैं। यह पहली बार है कि भारत ने घुसपैठिए आतंकवादियों के साथ अपने क्षेत्र में भारतीयों पर हमला करने की हिम्मत के लिए पाकिस्तान पर हमले किये जिससे उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है। जाहिर है, पाकिस्तान ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि जवाबी कार्रवाई इतनी कठोर हो सकती है।

भारत की इन शुरुआती सफलताओं के बावजूद, भारत को भी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है, हालांकि नई दिल्ली के अधिकारी इन लागतों के बारे में स्पष्ट नहीं हैं। ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अपनी आपूर्ति शृंखलाओं और निवेश दिशाओं का पुनर्गठन कर रही है, और भारत नयी विनिर्माण सुविधाओं और निवेशों की स्थापना करके एक हॉट स्पॉट के रूप में उभर रहा है, इनको शत्रुता के मौजूदा दौर से करारा झटका लगा है।

पाक घुसपैठ को विफल करने में शुरुआती सफलता को देखते हुए, भारत को परिपक्व होना चाहिए और भविष्य की कार्रवाई तय करते समय अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखना चाहिए। आखिरकार, इस समय प्राथमिक उद्देश्य भारतीय आर्थिक कहानी को अक्षुण्ण रखना होगा। हमारी विकास प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

हमारे सैन्य आक्रमण के पीछे - और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक जीत हासिल करने में कोई कमी नहीं होनी चाहिए - भारत को अल्पकालिक टकराव के लिए काम करना चाहिए।

विनिर्माण क्षमता और व्यापार के साथ एक परिपक्व अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा वर्षों तक टल सकती है जब तक कि ये टकराव जल्दी खत्म न हो जायें। शत्रुता के जल्दी खत्म होने की संभावनाएं क्षीण दिखती हैं, क्योंकि पहले उपलब्ध हस्तक्षेप संरचनाएं अनुपस्थित हैं। (संवाद)