फेफड़े की गंभीर एवं असाध्य बीमारियों खास तौर पर अनेसिस्टिक फाइब्रोसिस या पुराना आॅब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीजों की आम तौर पर मौत हो जाती है। ऐसे मरीजों को सिर्फ फेफड़े के प्रत्यारोपण कर ही जीवित रखना संभव है लेकिन दुर्भाग्य सेए रोगियों को फेफड़े के प्रत्यारोपण का मौका ही नहीं मिल पाता क्योंकि डोनर फेफड़ों का मिलान मुश्किल से हो पाता है और प्रत्यारोपण के लिए फेफड़े के इंतजार में ही अधिकतर रोगियों की मृत्यु हो जाती है। जबकि फेफड़े का प्रत्यारोपण कर ऐसे रोगियों की जिंदगी बचायी जा सकती है।

स्टेम कोशिकाओं से नये फेफड़े या फेफड़े के उतक का निर्माण कर ऐसी मौतों को रोका जा सकता है। टिश्यू इंजीनियरिंग के उभरते क्षेत्र के विशेषज्ञ इस पर सालों से काम कर रहे हैं लेकिन समरूप स्टेम कोशिकाओं को फेफड़े में विभिन्न स्थानों पर मौजूद रहने वाली विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं में विकसित करने में आने वाली कोक्स की समस्या से वे निराश हो गए। लेकिन अब अमेरिका के गालवेस्टोन के यूनिवर्सिटी आॅफ टेक्सास मेडिकल शाखा के अनुसंधानकर्ताओं ने इस समस्या के एक संभावित क्रांतिकारी समाधान की तलाश की है। टिश्यू इंजीनियरिंग पार्ट ए जर्नल में प्रकाशित इस ‘ाोध के अनुसार अनुसंधानकर्ताओं ने चूहे की भ्रूण स्टेम कोशिकाओं को अकोशिकीय चूहे के फेफड़े में प्रत्यारोपित किया जिसकी मूल कोशिकाओं को बार-बार ठंडा कर और गला कर तथा डिटर्जेंट के संपर्क में रखकर नष्ट कर दिया गया था। जिसके परिणामस्वरूप संरचनात्मक प्रोटीन के फेफड़े के आकार के खाली ढांचे जिन पर चूहे की स्टेम कोशिकाएं बढ़ रही थीं और नयी कोशिकाओं में विभेदित हो रही थीए अपने विशिष्ट स्थानों पर ही रही।

अनसुसंधानकर्ताओं को उम्मीद है कि इस अवधारणा का इस्तेमाल मानव के लिए प्रतिस्थापन उतकों के निर्माण के लिए किया जा सकता है या फेफड़े की विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चिकित्सा और जांच तकनीकों के मॉडल बनाने के लिए किया जा सकता है।

अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि यदि हम लोगों के लिए एक अच्छा फेफड़ा बना लेते हैं तो हम चोट के लिए भी एक अच्छा मॉडल बना सकते हैं। हम एक फाइब्रोटिक फेफड़ा या इम्फीसेमेटस फेफड़ा बना सकते हैं और मूल्यांकन कर सकते हैं कि उनके साथ क्या हो रहा हैए कोशिकाएं क्या कर रही हैंए स्टेम कोशिकाएं या अन्य थेरेपी किस तरह कार्य कर रही हैं। हम देख सकते हैं कि निमोनियाए हेमरेजिक बुखारए तपेदिक या हंटा वायरस में क्या हो रहा है क्योंकि ये सभी फेफड़ों को लक्ष्य करते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। (फर्स्ट न्यूज)