राहुल गांधी खुद उत्तर प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में दिलचस्पी ले रहे हैं। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष के लिए किसका चुनाव किया जाय, इसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं के ऊपर है। कांग्रेस के अंदर के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति की तलाश में पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह के साथ सलाह मशविरा कर रहे हैं। वे या तो रीता बहुगुणा को दुबारा पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएंगे अथवा उनकी जगह किसी और को प्रदेश पार्टी की कमान सौंपेंगे।
चूंकि आगामी विधानसभा में अघोषित तौर पर ही सही, पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को ही मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाएगा, इसलिए पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता अध्यक्ष बनने की कतार में खडे हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ बहुत ही आक्रामक रवैया अपना रखा है। सुश्री बहुगुणा तो मायावती की आलोचना करते हुए उस हद तक चली गई, जहां उनके घर को ही बसपा समर्थकों द्वारा हिंसा और आगजनी का शिकार होना पड़ा।
रीता बहुगुणा की छवि एक ऐसी जुझारू नेता की है, जो मायावती को चुनौती देने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। वह मायावती और उनकी सरकार के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रही है और उनकी नाकामियों और कमजोरियों को जनता के सामने उजागर कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस के अनके नेता उन्हें पद से हटाए जाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रयास करने वाले नेताओं में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी और केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं। वे दोनों खूद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दावा कर रहे हैं।
प्रमोद तिवारी पिछले 15 साल से भी ज्यादा समय से विधायक दल के नेता बने हुए हैं। उनकी एक खासियत यह है कि राज्य में जिसकी भी सरकार होती है, उससे उनका रिश्ता मधुर हो जाता है। इसका कारण यह है कि उनके सगे संबंधियों ने अपने व्यापार फेला रखे हैं और उनके व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए उन्हें सभी सरकारों के साथ अच्छा संबंध बनाना पड़ता है। वे प्रतापगढ़ खाय विधानसभा क्षेत्र से 1980 से लगातार जीत रहे हैं, लेकिन वे अन्य क्षेत्रों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में सफल नहीं होते हैं।
भाजपा और वामदलों द्वारा लाए गए बजट कटौती प्रस्ताव का बसपा और सपा ने जब से विरोध किया है, उस समय से ही राज्य में कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं के बीच भ्रम पैदा हो गया है। उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि वे इन दोनों पार्टियों का विरोध करें कि समर्थन करें। पार्टी अध्यक्ष की घोषणा के पहले कांग्रेस के आलाकमान को यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि वे इन दोनों पार्टियों से किस तरह का संबंध रखना चाहते हैं।
रीता बहुगुणा चाहती है कि 22 जुलाई तक कांग्रेस के अगले अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाए ताकि उन्हें पार्टी के अंदर अपनी स्थिति का पता चल जाए, पर उनके विरोधी चाहतें हैं कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले को कूछ महीने तक टाल दें। इसके लिए पंचायत की चुनावों को बहाना बनाया जा रहा है। जाहिर है यदि रीता बहुगुणा से बेहतर कोई विकल्प कांग्रेस को नहीं मिला, तो वे अपने पद पर आगे भी बनी रहेंगी। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का नए अघ्यक्ष की तलाश
रीता बहुगुणा भी पद की दौड़ में शामिल
प्रदीप कपूर - 2010-07-13 09:52
लखनऊः कांग्रेस प्रदेश में अपने लिए नए अध्यक्ष की तलाश कर रही है। 2012 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नए अध्यक्ष का चुनाव काफी मायने रखता है। पार्टी के अंदर चुनाव की प्रक्रिया जारी है। आगामी 22 जुलाई तक नए अध्यक्ष की घोषणा हो जानी है। 26 जुलाई तक प्रदेश से अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सदस्यों का नामांकन भी हो जाना है।