पिछले कई महीनों से निष्क्रिय दिख रहे स्वाइन फ्लू अथवा एच1एन1 के विषाणु बारिश के दिनों में फिर से लोगों को अपनी चपेट में लेने लगे हैं। पिछले कई महीनों के दौरान स्वाइन फ्लू का प्रकोप बिल्कुल कम हो गया था, लेकिन कुछ समय से इसके प्रकोप में तेजी देखी जा रही है। हालांकि स्वाइन फ्लू ने अभी अपना पूरा असर नहीं दिखाया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के बढ़ने के साथ इस संक्रमण का प्रकोप बढ़ सकता है।

देश भर में 16 सौ से अधिक लोगों को मौत का ग्रास बनाने वाले स्वाइन फ्लू के विषाणुओं के बरसात के आगमन के साथ अधिक तेजी से फैलने की आशंका बढ़ गयी है। सुप्रसिद्ध हृदय चिकित्सक एवं मेट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. पुरूषोत्तम लाल का कहना है कि जब कोई व्यक्ति स्वाइन फ्लू से ग्रस्त होता है तब शरीर में रक्त की जरूरत बढ़ जाती है जिसके कारण हृदय पर दवाब बढ़ जाता है। अगर हृदय पहले से ही रोगग्रस्त हो या कमजोर हो तो हृदय पर बढ़ा हुआ दबाव दिल के दौरे का कारण बन सकता है।

मेडिसीन विशेषज्ञ डा. राकेश कुमार का कहना है कि हालांकि स्वाइन फ्लू सभी लोगों के लिये खतरनाक है लेकिन गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए स्वाइन फ्लू अधिक खतरनाक साबित होता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली एवं शरीर के अन्य अंग पहले से ही कमजोर होते हैं।

डा. पुरूषोत्तम लाल ने बताया कि स्वाइन फ्लू हृदय-वाहिका प्रणाली पर अधिक दवाब डालता है। स्वाइन फ्लू होने पर मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, रक्त चाप में बदलाव आता है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। स्वाइन फ्लू हृदय पर सीधा असर डालता है और इसलिये जो लोग पहले से हृदय के मरीज होते हैं उनके लिये यह बीमारी अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में दिल के मरीजों को पहले से ही स्वाइन फ्लू के टीके ले लेने चाहिये तथा किसी तरह की दिक्कत होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये।

गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू की रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कामयाबी के तौर पर सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया द्वारा विकसित स्वाइन फ्लू के स्वदेशी टीके को बाजार में उतारा गया है। इस टीके को परीक्षणों में सुरक्षित पाया गया है और इसे तीन साल से अधिक उम्र के बच्चे से लेकर हर व्यक्ति को दिया जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के दिनों में सामान्य फ्लू का प्रकोप ज्यादा होता है और ऐसे में कई बार स्वाइन फ्लू को भी सामान्य फ्लू समझ कर इलाज किया जाता है क्योंकि दोनों तरह के संक्रमणों के लक्षण एक ही तरह के होते हैं और ऐसे में मरीज तथा चिकित्सक को विशेष सावधान रहने की जरूरत है। जिन मरीजों को स्वाइन फ्लू होने की आशंका हो उन्हें टैमीफ्लू लेना चाहिये।

डा. राकेश कुमार बताते हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू के समान ही होते हैं। इनके लक्षणों में बुखार, कफ, गला खराब होना, शरीर में दर्द, कंपकंपी तथा थकावट आदि प्रमुख हैं। कुछ लोगों को डायरिया तथा उल्टी जैसी शिकायतें भी होती हैं।

फ्लू के वायरस मुख्य रूप से व्यक्ति से व्यक्ति को खांसने या इन्फ़्लुएन्ज़ा से पीड़ित व्यक्ति के छींकने से फैलता हैं। कभी-कभी लोग किसी चीज़ पर लगे फ्लू के वाइरस को छूने एवं उसके बाद अपने मुंह या नाक को छूने से संक्रमित हो सकते हैं।

स्वाइन इन्फ़्लुएन्ज़ा (स्वाइन फ्लू) सूअरों में होने वाली ‘वसन संबंधी बीमारी है जो टाइप ए इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस के जरिये होती है। मनुष्यों को आमतौर पर स्वाइन फ्लू नहीं होता है, लेकिन मनुष्य इसके संंक्रमण से ग्रस्त हो सकते हैं। मनुष्य से मनुष्य में स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने की जानकारी पहले भी प्रकाश में आई थी लेकिन पहले इस तरह के संक्रमण सीमित थे, लेकिन अब मनुष्यों से मनुष्यों में इस बीमारी का संक्रमण बहुत तेज हो गया है।

फ्लू से बचने के लिए बीमार लोगों से नज़दीकी संपर्क रखने से बचें, हाथ को अच्छी तरह धोएं, बीमारियों से बचें, पर्याप्त नींद लें, सक्रिय रहे, तनाव पर नियन्त्रण रखें, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें एवं पोषक भोजन लें। फ्लू वायरस की संभावना वाली सतहों को न छूने का प्रयास करें।

इसके मरीजों को चाहिये कि खांसते या छींकते समय अपनी नाक तथा मुंह को टिशु या रूमाल से से ढंकें,

अपने हाथों को बार-बार साबुन तथा पानी से धोएं, विशेष रूप से खांसने या छींकने के बाद। अल्कोहोल आधारित हाथ साफ़ करने के पदार्थ भी कारगर हैं, अपनी आँखें, नाक तथा मुंह को छूने से बचें। बीमार लोगों से नज़दीकी संपर्क रखने से बचें, यदि आप इन्फ़्लुएन्ज़ा से पीड़ित हों आप कार्य पर या स्कूल न जाएं तथा अन्य लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए उनसे दूर रहें। (फर्स्ट न्यूज)