यह निष्कर्ष एक नये अध्ययन से निकला है। यह अध्ययन मैक गिल यूनिवर्सिटीज कैंसर एपिडेमियोलॉजी यूनिट के निदेशक प्रोफेसर इडुआरडो फ्रैंको के नेतृत्व में मैक गिल एंड यूनिवर्साइट डी मांट्रियल@सेंटर हॉस्पीटेलियर डी एल यूनिवर्साइट डी मांट्रियल (चुम) के सहयोग से किया गया।

यह अध्ययन यह भी दर्शाता है कि कई प्रकार के एचपीवी का संचरण नये शारीरिक संबंधों के शुरु में ही हो जाता है जिसकी रोकथाम की बहुत जरूरत है।

एचपीवी एक यौन संचारित और गर्भाशय ग्रीवा (सवाईकल) कैंसर के साथ-साथ भग, योनि, गुदा और लिंग सहित अन्य कैंसरों का भी कारण है। हालांकि एचपीवी विषाणु बहुत सामान्य है और 70 प्रतिशत से अधिक स्त्री-पुरुष इससे संक्रमित होते हैं। लेकिन अधिकतर संक्रमण रोग पैदा करने वाले नहीं होते हैं और एक से दो साल तक ही मौजूद होते हैं। एचपीवी विषाणु से संक्रमित एक प्रतिशत से भी कम महिला को गर्भाशय ग्रीवा कैंसर होता है।

यह दत्पतियों में उनके शुरुआती जिंदगी में यौन संबंधों से एचपीवी संक्रमण पर बड़े पैमाने पर किया गया पहला अध्ययन है। यह अध्ययन यौन जोड़ों के बीच एचपीवी संक्रमण की अधिक संभावना को भी दर्शाता है। दम्पतियों में शुरुआती जिंदगी का अर्थ उनके छह महीने या इससे कम समय तक साथ रहने से है।

प्रोजक्ट कोआर्डिनेटर और कैंसर एपिडेमियोलॉजी यूनिट में डा. फ्रैंको के पूर्व पीएचडी छात्र और पोस्ट डॉक्टोरल फेलो डा. एन्न बर्चेल ने हाल में दम्पति बने वयस्कों में एचपीवी संक्रमण के प्रकोप को सुनिश्चित करने के लिए इस (हिच) एचआईटीसीएच कोहोर्ट अध्ययन (एचपीवी इंफेक्शन एंड ट्रांसमिशन इन कपल्स थ्रो हेटेरोसेक्सुअल एक्टिविटी) को अंजाम दिया।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जब एक पार्टनर एचपीवी संक्रमित होता है तो 42 प्रतिशत दम्पतियों में दूसरा पार्टनर भी संक्रमित हो जाता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि एक पार्टनर में एचपीवी की मौजूदगी होने पर दूसरे पार्टनर में भी उसी एचपीवी किस्म के मौजूद होने की बहुत अधिक उम्मीद की जा सकती है। एक पार्टनर के एचपीवी से संक्रमित होने पर दूसरे पार्टनर को उसी एचपीवी किस्म से संक्रमित होने का खतरा 50 गुना बढ़ जाता है।

डा. एन्न बर्चेल कहते हैं, ‘‘इस अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि युवा वयस्कों में एचपीवी संक्रमण बहुत सामान्य है और यह अध्ययन गर्भाशय ग्रीवा (सवाईकल) कैंसर स्क्रीनिंग और एचपीवी टीकाकरण जैसे एचपीवी से संबंधित बीमारियों के लिए रोकथाम के कार्यक्रमों के महत्व को भी रेखांकित करता है।’’ (फर्स्ट न्यूज)