साढ़े 17 हजार लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि 10 साल उम्र के बच्चों द्वारा रोजाना मिठाइयां और चॉकलेट खाने पर उनके 34 साल के होने पर अधिक हिंसक होने की संभावना होती है। ब्रिटेन के कार्डिफ यूनिवर्सिटी द्वारा 1970 में शुरू किये गए इस अध्ययन में पहली बार बाल्यावस्था के आहार के लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभाव का वयस्कावस्था के हिंसा से संबंध का परीक्षण किया गया है।

ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि इस अध्ययन में शामिल 34 साल की उम्र में हिंसक व्यवहार करने वाले 69 प्रतिशत लोगों ने अपने बाल्यावस्था के दौरान रोजाना मिठाइयां और चॉकलेट का सेवन किया था जबकि गैर हिंसक व्यवहार करने वाले 42 प्रतिशत लोगों ने अपने बाल्यावस्था के दौरान मिठाइयों और चॉकलेट का कम सेवन किया था। मिठाई के सेवन और हिंसा के बीच यह संबंध अन्य कारणों को नियंत्रित करने के बाद भी मौजूद रहा।

इस अनुसंधान के प्रमुख डा. सिमोन मूरे कहते हैं, ‘‘इस अध्ययन के परिणाम को देखते हुए हमें बच्चों को नियमित रूप से मिठाई और चॉकलेट के सेवन पर रोक लगानी होगी। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो इसका अर्थ यह होगा कि हम उन्हें अधिक आक्रामक बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हम अपने बच्चों के आहार में सुधार कर उनके स्वास्थ्य में सुधार करने के साथ-साथ उनके आक्रामक व्यवहार को कम कर सकते हैं।’’ (फर्स्ट न्यूज)