इसके बावजूद काम समय पर होता नहीं दिखाई देता। तैयारियों को अंतिम समय में अंतिम रूप देने में मानसून सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ गया है। दो महीने पहले जब मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से पूछा गया था कि वर्षा के मौसम के बावजूद वे यह कैसे समझती हैं कि सारा काम समय पर हो जाएगा, तो उनका जवाब था कि दिल्ली में ज्यादा वर्षा होती ही नहीं है। इसलिए वारिश के कारण खेलों की तैयारियां बाधित नहीं होंगी।

पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का वह अनुमान गलत साबित हो रहा है। इस साल दिल्ली में वर्षा औसत से ज्यादा हो रही है। अगस्त महीने में अब तक जो वारिश हुई है और अपने वाली प्रवृत्ति को देखते हुए मौसम वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल दिल्ली में अगस्त महीने में वारिश का अबतक का सारा रिकार्ड टूट सकता हैं

पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में ऐसा कोई दिन नहीं गया है, जिस दिन वारिश नहीं हुर्इ्र हो। वारिश के कारण दिल्ली के सांेदर्यीकरण का काम नहीं, बल्कि स्टेडियम में ख्ल रहा काम भी प्रभावित हो रहा है। वारिश के कारण निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का भी माखौल उड़ रहा है। अनेक निर्माण कार्य वारिश के साथ ही धुल रहे हैं और वहां फिर दुबारा निर्माण करने की जरूरत पड़ जाती है।

वर्षा के कारण मेट्रो का निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। मेट्रो ने पूरी कार्यकुशलता के साथ समय पर निर्माण कार्य कर दिखाने छवि अना रखी है। जितनी भी एजेंसियां दिल्ली में निर्माण कार्य में लगी हुई हैं, उनमें दिल्ली मेट्रो का रिकार्ड सबसे अव्वल है। लेकिन वर्षा के कारण उसके काम की गति पर भी अंकुश लग चुका है।

इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय सचिवालय कुतुब मीनार कोरिडोर में मेट्रो ट्रनों का परिचालन अभी तक शुरू नहीं हो सका है। पहले से तय समय के अनुसार इसे जुलाई के पहले सप्ताह में ही शुरू होना चाहिए था। लेकिन अगस्त महीना बीतने जा रहा है और अभी भी इस कोरिडोर के स्टेशनों पर काम चल रहा है। मानसून के कारण उसका काम प्रभावित हो रहा है और अब शायद ही अगस्त महीने में इसकी शुरुआत हो सके।
मेट्रों अगस्त में चले या सितंबर में इससे राष्ट्रमंडल खेलों और दिल्ली की सुंदरता पर असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन उसमें हो रही काम की प्रगति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अन्य जगहों का काम किस तेजी से चल रहा होगा।

दिल्ली के सौंदर्यीकरण के नाम पर ही दिल्ली के अनेक संुदर निर्माणों को भी तोड़ दिया गया, ताकि उसकी जगह कुछ नया बनाया जा सके। तीन चार महीना पहले ही लगे डीटीसी के अनेेक शेल्टर उखाड़ लिए गए। उसके कारण अब वर्षा में बस से चलने वालों को बचने के लिए सिर झुकाने की जगह भी नहीं मिल पा रही है। लेकिन उखाड़े गए शेल्टरों की जगह नए शेल्टर लगाने का काम कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा। जाहिर हे वर्षा ने उस काम को भी धीमा का दिया है।

कनाट प्लेस की दृष्य अब भयावह लग रहा है। उसकी बिल्डिंगों को सुंदर बनाने के लिए शुरूआती तोड़ फोड़ कर दिए गए, लेकिन बाद का काम वर्षा के कारण हो नहीं पा रहा है। वही हाल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आसपास के इलाकों का है। अतिक्रमण हटाने के लिए जबर्दस्त तोड़ फोड़ की गई। मकानों के चेहरे बिगड गए। और अब उन्हीं बिगड़े चेहरों के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आस पास के मकान बाहर से आए लोगों का स्वागत करते दिखाई दे रहे हैं। वर्षा के कारण वहां भी सौंदर्यीकरण का काम रुका पड़ा है। (संवाद)