मुख्यमंत्री मायावती इस फैसले को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय है। उनकी पार्टी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी तो है ही, मुख्यमंत्री होने के नाते फैसले के बाद किसी तरह की कानून व्यवस्था की स्थिति से निबटने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। इसलिए उन्होंने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को अभी उस एक्शन प्लान तैयार रखने को कहा है। 2012 में राज्य में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। मायावती हालात से किस तरह निबटती है, यह उनकी चुनावी राजनीति के लिए बहुत मायने रखता है।

मायावती की पार्टी में मुस्लिम विधायकों की संख्या किसी भी अन्य पार्टी की अपेक्षा सबसे ज्यादा है। वह अगले चुनावों में मुसलमानों को ज्यादा टिकट देकर उनका ज्यादा से ज्यादा वांेट पाने की रणनीति बना रही है। इसलिए वह चाहेंगी कि फैसले के बाद वे मामले को इा तरह सुलटाएं कि उन पर मुसलमान विरोधी होने का आरोप कोई लगा नहीं सके।

मुलायम सिंह यादव की राजनीति मुसलमानों के राजनैतिक समर्थन पर ही निर्भर करती है। जब से मुसलमानों ने उनका साथ छोड़ना शुरू किया, उनका राजनैतिक पतन भी होने लगा। पिछले लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने कल्याण सिंह से हाथ मिला लिए थे। उसके कारण रहे सहे मुसलमान भी उनकी पार्टी से जाते दिखे। फिर तो मुलायम सिंह यादव ने कल्याण से अपना नाता ही तोड़ लिया है और वे मुसलमानों का समर्थन पाने की जी तोड कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे मुसलमानों के धार्मिक नेताओं के ठिकानों पर जाकर उनसे समर्थन की गुहार कर रहे हैं। फैसले के बाद की स्थिति का इस्तेमाल भी वे मुसलमानों में अपनी पैठ गहरी करने के लिए करेंगे। इसके लिए उन्होंने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

कांग्रेस पार्टी अब अपने आपको उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे मजबूत पार्टी समझ रही है और उसे लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव के बाद वह सबसे मजबूत पार्टी के रूप में भी उभर सकती है। वह राज्य में अपनी सरकार बनाने का सपना भी देख रही है। इसके लिए वे मुसलमानों के समर्थ्रन को बहुत ज्यादा महत्व दे रही है। इसका कारण यह है कि पिछले लोकसभा के चुनाव में मिली उसकी सफलता मुस्लिम मतदाताओं के उसकी ओर आने का ही परिणाम था। बाबरी मस्जिद और राममंदिर विवाद के मसले पर ही मुसलमानों ने कांग्रेस छोड़ी थी और यही मसला फैसले के बाद एक बार फिर गर्म होने वाला है। कांग्रेस अब नहीं चाहेगी कि मुसलमान उनका पहले की तरह साथ छोड़ दें।

2001 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का साढ़े 18 प्रतिशत है। अनेक विधानसभा क्षेत्रों मे तो उनकी आबादी 40 फीसदी से भी ज्यादा है और राजनैतिक रूप गर्म माहौल में वे एकतरफा वोटिंग करते हैं और वोटिंग प्रतिशत भी ज्यादा होता है। यही कारण है कि सपा, बसपा और कांग्रेस मुस्लिम मतों को अपने अपने पक्ष में करने की राजनीति बनाने में मशगूल हैं।

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी मंदिर के समर्थन की राजनीति से राज्य में अपनी स्थिति फिर से मजबूत करने की सोच रही है। वह मंदिर आंदोलन के कारण राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी, लेकिन आज वह चौथे नंबर की पार्टी बन गई है। मंदिर का मुद्दा अब उसे चुनावी जीत हासिल नहीं कराता। लेकिन फैसले के बाद के बदले माहौल में वह एक बार फिर हिंदुत्ववाद की रजनीति को चमकाने में लगी हुई है। हनुमान चालीसा का राज्य भर में पाठ कराया जा रहा है। इस तरह से हिन्दुत्वववाद को अभी से वह बढ़ावा देने में लगी हुई है। (संवाद)