भारत का लगभग 95 प्रतिशत विदेश व्यापार (मात्रा) और 75 प्रतिशत व्यापार (मूल्य) समुद्र के रास्ते होता है। प्रमुख बंदरगाहों के जरिए कुल मात्रात्मक कार्गो का 75 प्रतिशत परिवहन किया जाता है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख बंदरगाहों के योगदान के लिए उनकी निरंतर वृध्दि और विकास के महत्व का पता चलता है। इसके मद्देनजर तथा आर्थिक मंदी के प्रतिकूल प्रभाव और प्रमुख बंदरगाहों ने यातायात पर छोटे बंदरगाहों के तीव्र विकास के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि वर्तमान नीतियों की समीक्षा करने की जरूरत है और प्रमुख बंदरगाहों के बारे में विभिन्न सरकारी नीतियों के संबंध में जहां आवश्यक हो, मध्यावधि संशोधनों और सुझाव की आवश्यकता है, ताकि प्रमुख बंदरगाहों की दक्षता को बनाए रखा जा सके और उसमें सुधार किया जा सकें। यह देखा गया है कि भू-नीति बंदरगाह क्षेत्र की समग्र कार्यप्रणाली के पथ प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण नीतियों में से एक है। दुनियाभर में सभी बंदरगाहों में बंदरगाहों के राजस्व को बढ़ाने के लिए भूमि का सर्वोत्ताम इस्तेमाल किया गया हैं।
बंदरगाहों के लिए भूमि के आवंटन के वास्ते पोर्ट ट्रस्ट द्वारा अपनाई जाने वाली शर्तों के अनुरूप यह नीति तैयार की गई है। कांडला पोर्ट ट्रस्ट गांधी धाम टाउनशिप संबंधी भूमि को छोड़कर यह सभी प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट के लिए लागू हैं। भू आवंटन के लिए यह नीति सभी बी ओ टी परियोजनाओं पर भी लागू होगी।
प्रत्येक बंदरगाह के लिए भूआवंटन नीति के अनुसार बंदरगाह के स्वामित्व वाली या उसके प्रबंध वाली समूची भूमि के इस्तेमाल के लिए भू-इस्तेमाल योजना जरूरी होगी। यह भूमि भूइस्तेमाल योजना क्षेत्रीयकरण के अनुसार लाइसेंस अथवा लीज के आधार पर आवंटित की जा सकती है। भूमि के नये आवंटन, लाइसेंस, लीज और नवीकरण जैसे मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं, सीमा शुल्क क्षेत्र के भीतर और बाहर, जैसी सभी प्रक्रियाओं का वितरण इस नीति में शामिल किया गया है।
भारत
जहाजरानी मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों के लिए नई नीति पर सुझाव मांगे
नई नीति को 30 दिन में अंतिम रूप दिया जाएगा
विशेष संवाददाता - 2010-08-26 13:20
नई दिल्ली: जहाजरानी मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों के लिए भू-नीति में संशोधन का प्रस्ताव किया है। प्रमुख बंदरगाहों के लिए भू-नीति -2010 के मसौदे को जहाजरानी मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है, ताकि हितधारकों और आम जनता से प्रतिक्रिया और सुझाव लिये जा सके। इस संबंध में प्रतिक्रियाएं एवं सुझाव प्रतिक्रिया मिलने और उसके बाद उस पर विचार करने के उपरांत 30 दिन के भीतर इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।