अर्थव्यवस्था की आमूल वृध्दि में एमएसएमई क्षेत्र के महत्व पर विचार करते हुए, प्रधानमंत्री ने अगस्त 2009 में इस क्षेत्र के लिए कार्यदल के गठन की घोषणा की थी । इसके अनुरूप प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में सितम्बर, 2010 में कार्यबल का गठन किया गया ताकि एमएसएमई क्षेत्र के तकाजों और मुद्दों पर विचार किया जा सके । जनवरी 2010 में देश में एमएसएमई के विकास और प्रोत्साहन का रोडमैप तैयार करने के लिए एक रिपोर्ट पेश की गई । रिपोर्ट में एमएसएमई को राहत और प्रोत्साहन देने के लिए तुरंत कार्यवाही करने के एजेंडे की सिफारिश की गई जिसमें सांस्थानिक परिवर्तन और समयबध्द कार्यक्रमों का वर्णन निम्नलिखित है । इसके अलावा रिपोर्ट में देश में एमएसएमई की उद्यमशीलता और विकास के लिए मददगार वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से समुचित वैधानिक और नियामक ढांचा बनाए जाने की सलाह भी दी गई । कार्यबल ने सिफारिशों पर समय रहते अमल करने पर जोर दिया है और इसकी लगातार निगरानी करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक प्रणाली स्थापित की है । एमएसएमई क्षेत्र के विकास के विस्तृत दिशा-निर्देश और समीक्षा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक परिषद का गठन किया गया है । परिषद की बैठक साल में एक बार होगी ।

जैसा कि सर्वविदित है, एमएसएमई की सफलता में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है । कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में एमएसएमई की प्रौद्योगिकीय क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया है तथा प्रौद्योगिकीय निधि स्थापित करने की सिफारिश की है ताकि प्रौद्योगिकी का उन्नयन करने, प्रौद्योगिकियां प्राप्त करने और उन्हें अपनाने में सहूलियत हो और वे उन्नति करने में सक्षम हों । इस दिशा में प्रयास करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने राष्ट्रीय निर्माण प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम (एनएमसीपी) के अंतर्गत दस अभिनव योजनाएं शुरू की हैं ताकि एमएसएमई की प्रसंस्करण, डिजाइन, प्रौद्योगिकी और बजार तक पहुंच में सुधार हो सके । इन योजनाओं में अवलंबित निर्माण, डिजाइन, बौध्दिक संपदा अधिकार , बेहतरीन प्रबंधन मानक और बेहतरीन प्रौद्योगिकी उपकरण आईसीटी प्रोत्साहन , मिनी टूल रूम आदि संबंधी कार्यक्रम शामिल हैं । ये कार्यक्रम अपने शुरूआती चरण में हैं । उन्हें सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है और उम्मीद की जाती है कि विश्वस्तर पर यह साझेदारी एमएसएमई के लिए अत्यंत लाभप्रद होगी । मंत्रालय ने हाल ही में प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए त्रऽण संबध्द पूंजी राज सहायता योजना का दायरा बढाया है और 201 नई प्रौद्योगिकियों को शामिल किया है जिनमें औषधि निर्माण क्षेत्र संबंधी 179 प्रौद्योगिकियां शामिल हैं ।

एक अन्य पहलू जो इस क्षेत्र के लंबे समय तक कायम रहने के लिए बहुत जरूरी है , वह विपणन से संबंधित है। एमएसएमई को उनके विपणन प्रयासों में सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रालय के अधीन विभिन्न संगठन एमएसएमई के लिए देशभर में प्रदर्शनियोंमेलों और क्रेता-विक्रेता सम्मिलित आयोजन करके उन्हें अपने उत्पादों और क्षमताओं का प्रदर्शन करने का अवसर देते हैं । मंत्रालय एमएसएमई के लिए एक सार्वजनिक प्रापण नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है ताकि सरकारी वसूली का हिस्सा बढाया जा सके । नीति तैयार हो जाने के बाद एमएसएमई को बाजार तक पहुंच प्रदान करने में और आसानी हो जाएगी । इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई को व्यापारिक संबंध उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) ने एक बी2 बी वेब पोर्टल की शुरुआत की है । इसके अतिरिक्त एनएसआईसी ने मई 2010 में एक मार्केटिंग इंटेलीजेन्स सेल का गठन भी किया जो एमएसएमई को उनके उत्पादोंसेवाओं के विपणन के लिए डेटाबेस और सूचना सहायता प्रदान करेगा । मंत्रालय ने एनएमसीपी के तहत दो योजनाएं भी शुरू की हैं ताकि आधुनिक तकनीकों और प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से विपणन में एमएसएमई को और मजबूत बनाया जा सके ।

देश में उद्यम विकास के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार का प्रमुख मंत्रालय है । यह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है जिसे पहले की प्रधानमंत्री रोजगार योजना और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर 2008-09 में शुरू किया गया था । यह सक्षम उद्यमियों को निर्माण और सेवा क्षेत्रों में नए सूक्ष्म उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है । वर्ष 2009-10 के दौरान योजना से 40,000 नए सूक्ष्म उद्यम लगाने में सहायता मिली जिससे 4.21 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार अवसरों का सृजन हुआ ।

एमएसएमई की स्थापना के लिए मंत्रालय देशभर में फैले अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए भावी उद्यमियों के लिए विभिन्न उद्यमशीलता और कौशल विकास कार्यक्रम चलाता है । इनमें उद्यमशीलता विकास, उद्यमशीलता एवं कौशल विकास, प्रबंधन विकास तथा व्यापार कौशल विकास कार्यक्रम शामिल हैं । मंत्रालय राष्ट्रीय सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्यम संस्थान हैदराबाद, राष्ट्रीय उद्यमशीलता एवं व्यापार विकास संस्थान , नोएडा तथा भारतीय उद्यमशीलता संस्थान, गुवाहाटी जैसे तीन उद्यमशीलता और विकास संस्थानों को नियमित रूप से कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए सहायता प्रदान करता है । वर्ष 2009-10 के दौरान मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के जरिए लगभग 3.50 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया । इसके अलावा प्रशिक्षण संस्थानों को सहायता योजना को उसमें एक नया घटक जोड़कर बढाया गया ताकि उसमें प्रशिक्षुओं की समुचित संख्या बढाने के लिए निजी भागीदारी को शामिल किया जा सके। इस योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर के ईडीआई के पार्टनर इंस्टीटयूशन और एनएसआईसी के फ्रेंचाइजी द्वारा स्थापित प्रशिक्षण संस्थानों केन्द्रों को सहायता दी जाएगी । मंत्रालय ने एक अनोखी योजना अप्रैल 2008 से शुरू की है जिसके तहत लघु एवं मध्यम उद्यमों की उद्यमिता और प्रबंधन विकास को प्रोत्साहन दिया जाएगा । इसमें ऐसे अभिनव व्यापारिक विचारों को पैदा किया जाएगा जिन्हें छोटी अवधि में ही अमली जामा पहनाया जा सके ताकि एमएसएमई का गठन हो सके । अब तक योजना के तहत 171 व्यापारिक विचारों को मंजूर किया गया है ।

मंत्रालय अपनी राजीव गांधी उद्यमी मित्र योजना के नए उद्यमियों को सहारा भी प्रदान करता है । योजना के तहत योग्य उद्यमियों को उद्यम लगाने और चलाने संबंधी विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा करने में सहायता दी जाती है । इस योजना से जोड़कर मंत्रालय जल्दी ही उद्यमी हेल्पलाइन शुरू कर रहा है जो एमएसएमई संबंधित सरकारी और बैंकों की नीतियोंकार्यक्रमों की सूचना देगा । हेल्पलाइन का देशभर में टोल फ्री नंबर 1800-180 एमएसएमई या 1800-180-6763 होगा । हेल्पलाइन का संपर्क इन सभी संबंधित एजेंसियोंसंगठनों से जुड़ा होगा जो एमएसएमई के प्रोत्साहन से संबंधित हैं। हेल्प लाइन एमएसएमई उद्यमियों को दिशा निर्देश तथा सलाह भी देगा ।