महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (2005-06) के अनुसार दिल्ली की मलिन बस्तियों में रह रहे 5 वर्ष से कम आयु के कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 35.3 है । सरकार कई स्कीमों का क्रियान्वयन कर रही है, जिनसे लोगों के पोषण स्तर में सुधार होता है ।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राज्य सरकारों संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के माध्यम से समेकित बाल विकास सेवा स्कीम क्रियान्वित कर रहा है । स्कीम में 6 सेवाओं का एक पैकेज प्रदान किया जाता है, जिनमें पूरक पोषण, स्कूल-पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा , प्रतिरक्षण , स्वास्थ्य जांच एवं रैफरल सेवाएं शामिल हैं । इन सेवाओं में से 3 सेवाएं अर्थात् प्रतिरक्षण, स्वास्थ्य जांच एवं रैफरल सेवाएं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से प्रदान की जाती हैं ।
दिल्ली में 11150 संस्वीकृत आंगनवाड़ी केन्द्र हैं जिनमें से6606 कार्यरत हैं । इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में से अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्र शहरी मलिन बस्तियों एवं ग्रामीण क्षेत्र में हैं । इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में दिल्ली सरकार द्वारा यथा सूचित 6 वर्ष से कम आयु के नामांकित बच्चों की संख्या 969811 है ।
आईसीडीएस कार्यक्रम के अलावा, सरकार पूरे देश में कई अन्य स्कीमें क्रियान्वित कर रही है जो महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है । इनमें से कुछ स्कीमें इस प्रकार हैं -
1. जननी सुरक्षा योजना, प्रतिरक्षण , नवजात एवं बाल्यावस्था की बीमारियों का समेकित उपचार, 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों हेतु विटामिन ए अनुपूरण के माध्यम से विटामिन ए और आयरन एवं फॉलिक एसिक के सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के निवारण हेतु विशिष्ट कार्यक्रम और शिशुओं , स्कूल -पूर्व बच्चों, किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं हेतु आयरन एवं फॉलिक एसिड अनुपूरण ।
2. आयोडीन युक्त नमक प्रदान करना ।
3. मध्याह्न भोजन कार्यक्रम।
4. सबला योजना ।
5. सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अंतोदय अन्न योजना
6. राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम, पूर्ण स्वच्छता अभियान तथा जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन
7. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना, स्वाधार, स्टेप स्कीम आदि जैसी अन्य रोजगार एवं आयोत्पादक स्कीमें ।
दिल्ली में भी नहीं चलते आधे आंगनबाड़ी केन्द्र, 35 प्रति शत से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार
विशेष संवाददाता - 2010-08-27 11:34
नई दिल्ली: दिल्ली की झोपड़पट्टियों में जहां एक ओर 35 प्रति शत से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, वहीं इस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भी आंगनबाड़ियों में से आधे नहीं चलते, देश के सुदूर क्षेत्रों में कितना बुरा हाल है इसकी तो बात ही छोड़िये। जो केन्द्र चल रहे हैं उनमें लगभग 10 लाख बच्चे जाते हैं। यदि सभी केन्द्र चालू हो जायें तो एक अनुमान के अनुसार 20 लाख से ज्यादा बच्चे आंगनबाड़ियों में जा सकते हैं जिनके बारे में समझा जाता है कि वे कुपोषण में जी रहे हैं।