मणिपुर के लोगों को कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है। इस साल के अप्रैल से वे आर्थिक प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं। 11 अप्रैल को आल नगा स्अूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने यह प्रतिबंध लगाया था और यह 68 दिनों तक निर्बाध चलता रहा। यह 16 जून को समाप्त हुआ। इस बीच इस आंदोलन के नेतृत्व पर यूनाइटेड नगा कॉउसिंल ऑफ मणिपुर काबिज हो गया।

मणिपुर सरकार द्वारा नगा नेता मुइवा के अपने गांव आने पर प्रतिबंध लगाने से मामला और भी बिगड़ गया है। मुइवा मणिपुर के ही है, जो वर्षांे से नगालैंड में रहकर नगा आंदोलन चला रहे हैं। उन्होंने एकाएक मणिपुर के अपने गांव में आने का फैसला किया और मणिपुर सरकार ने उनके अपने गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी। गांव क्या, उनके मणिपुर में ही प्रवेश पर रोक लगा दी गई।

केन्द्र सरकार ने मुइवा को समझाबुझाकर मणिपुर की यात्रा करने से रोक लिया। तब लगा कि अब मणिपुर के लोग राहत की सांस ले सकते हैं, लेकिन 4 अगस्त से दुबारा रोड को जाम कर दिया गया। यह जाम पहले 20 दिनों के लिए लगाने की घोषणा की गई थी, लेकिन 24 अगस्त को इसे 25 दिन और भी बढ़ा देने की घोषणा कर दी गई। यानी मणिपुर की जनता के दुखों का अंत नहीं हो पा रहा है।

मणिपुर सरकार के स्वायत्त जिला परिषद चुनाव के निर्णय के कारण भी नगा उत्तेजित हो रहे थे। वे इस चुनाव का विरोध कर रहे थे। मणिपुर के नगा मांग कर रहे हैं कि नगा बहुल मणिपुर के इलाके को नगालैंड में मिलाकर नगालिम राज्य का गठन किया जाए। नगाओं का कहना है कि जबतक कानून बनाकर जिला परिषद के अधिकारों में वृद्धि नहीं की जाती, तबतक इनके चुनाव नही करवाए जाने चाहिए। लेकिन मणिपुर सरकार चुनाव करवाने के लिए अड़ी रही।

इस बीच प्रतिबंध से मणिपुर की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है। सड़क जाम रहने से हजारों ट्रक सड़कों पर फंसे हुए हैं। मणिपुर चावल उत्पादन करने वाला राज्य है। यहां के लोगों का मुख्य भोजन भी चावल ही है। लेकिन यहां आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, जबकि चावल का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। 1901 में यहां लोगों की संख्या थी 2 लाख 84 हजार, जो अब बढ़कर 25 लाख हो गई है। जाहिर है इसे अपने भोजन के लिए चावल भी बाहर से मंगाना पड़ता है। इसके अलावा यहां बांस की भी खेती होती है। लोगांे की आय का एक जरिया बांस की खेती भी है।

जाहिर है अपनी आवश्यकता की चीजों के लिए मणिपुर बाहर से आयात पर निर्भर है। यह शेष भारत से दो सड़को से जुड़ा हुआ है। और दोनों सड़कों को फिलहाल जाम कर दिया गया है। एनएच 39 इसकी मुख्य सड़क है, जो असम से नगालैड में प्रवेश करती है और दिमापुर और कोहिमा होते हुए मणिपुर में आती है। जाम से ज्यादा प्रभावित यही सड़क हो रही है। दूसरी सड़क है एनएच 53। इसकी हालत पहले से ही बहुत खराब है। जाम लगाए जाने के बाद तो इसकी हालत और भी जर्जर हो गई है।

बरसात के कारण भी सड़क खराब हो गई है। कोहिमा के पास एनएच 39 का एक बड़ा हिस्सा पानी से घुल गया है और वहां गाड़ियों का परिचालन कठिन हो गया है। इसके कारण मणिपुर के लोगों का जीना हराम हो गया है। केन्द्र सरकार वाहनों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल हो रही है। वह दावा कर रही थी कि वाहनों से साथ सुरक्षा के लिए जवान चलेंगे, लेकिन जवानों की नाक के नीचे ही ट्रकों से वसूली की जाती है और उन्हें आगे बढ़ने से रोका भी जाता है। फिलहाल मणिपुरी लोग धैर्य से काम ले रहे हैंख् लेकिन उनका यह धैर्य कभी भी चूक सकता है। (संवाद)