पर अब पार्टी ने उन्हें वापस ले लिया है। उन्हें विधानसभा में विधायक दल का नेता भी बना दिया गया है। अगप के विधायक दल के नेता की हैसियत से वे विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हो गए हैं। जाहिर है उनकी न केवल घर वापसी हुई है, बल्कि उन्हें पार्टी के अंदर पुराना सम्मान भी हासिल हो गया है। अगले साल मार्च महीने में विधानसभा का चुनाव है। श्री मोहंता का अगप का नेता बनना उस चुनाव र जरूर असर डालेगा।
चंद्र मोहन पटवारी विधायक दल के नेता थे। उन्होंने श्री मोहंता को पार्टी में लाने के लिए अपने उस पद से इस्तीफा दे दिया हालांकि वे पहले की तरह ही पार्टी का अध्यक्ष बने हुए हैं। उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट के लिए श्री मोहंता के चुनाव में कोई दिक्कत नहीं आई। 24 विधायकों में 22 विधायक उनके चुनाव के समय बैठक में उपस्थित थे। किसी ने उनके चुनाव का विरोध नहीं किया।
विधायक दल के नेता के रूप में उनका चुनाव तो आसानी से हो गया, लेकिन दो विधायकों ने अनुपस्थित होकर उनके खिलाफ अपने असंतोष जाहिर करने में चूक नहीं की। अनुपस्थित होने वाले एक विधायक तो बृंदावन गोरूवामी थे। उन्हें श्री मोहंता को पार्टी द्वारा दिया गया वह सम्मान पसंद नहीं आ रहा है। गौरतलब है कि उन्होेने ही 2003 के पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में श्री मोहंता को सीधे मुकाबले में पराजित किया था।
उनके अलावे कुछ और भी हैं, जो श्री मोहंता के पार्टी में आने से खुश नहीं हैं। वे 2007 में हुए पार्टी के एक निर्णय का हवाला देते हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर पार्टी से बाहर गए सभी लोगों को पार्टी में लौटने का अनुरोध किया था। सभी को पार्टी में लेने का फैसला किया गया था, लेकिन उसी के साथ एक फैसला यह भी था कि दुबारा पार्टी में लिए गए किसी पूर्व पार्टीजन को पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। उनकी आपत्ति श्री मोहंता को पार्टी में लेने से नहीं, बल्कि उन्हें विधायक दल के नेता बनाने को लेकर है।
चेंगा के विधायक लियाकत अली खान भी श्री मोहंता को पार्टी में लेकर विधायक दल का नेता बनाने से खुश नहीं हैं। वे चाहते हैं कि श्री गोस्वामी की पार्टी में वापस हों, क्योंकि उनकी साफ छवि है। पार्टी से बाहर ऑल असम स्अूडेंट्स यूनियन भी श्री मोहंता के बारे में अच्छी राय नहीं रखता। और तलब है कि इसी छात्र संगठन ने 1979 से 1985 तक विदेशी नागरिकों के मसले पर आंदोलन चलाया था और यही आंदोलन बाद में असम गण परिषद के गठन का आधार बना था। श्री मोहंता पर भ्रष्टाचार के आरोप के कारण यह छात्र संगठन उन्हें पसंद नहीं करता है।
फिलहाल राज्य में कांग्रेस की सरकार मजे से चल रही है। सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे हैं और समय समय पर एग्रवदी गतिविधियों के कारण भी सरकार सवालों के घेरे में आ जाती है। इसके बावजूद सरकार को कोई चुनौती देने वाला नहीं है। लेकिन प्रफुल्ल मोहंता के अगप में आ जाने का असर कांग्रेस पर पड़ना लाजिमी है।
कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य भी चिंता का एक कारण बन सकता है। बाईपास सर्जरी करवाकर वे एक महीने के बाद मुम्बई से गौहाटी पहुंचे हैं। खराब स्वास्थ्य के कारण चुनावी साल में उनका ज्यादा दौड़ धूप नहीं करना पार्टी के खिलाफ जाएगा और दूसरी ओर श्री मोहंता के अगप में दुबारा आने से कांग्रेस के सामने विपक्ष की चुनौती बढ़ जाएगी। (संवाद)
असम की राजनीति में नया मोड़
प्रफुल्ल मोहंता की असम गण परिषद में वापसी
बरुण दास गुप्ता - 2010-09-09 13:12
कोलकाताः प्रफुल्ल कुमार मोहंता की असम गण परिषद (अगप) में वापसी राज्य की एक महत्वपूर्ण राजनैतिक घटना है, जिसका असर राज्य की राजनीति पर पड़ेगा। श्री मोहंता राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अगप के गठन में उनकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्हें पार्टी ने 2005 में पार्टी से निकाल दिया था। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप भी लगाया गया था।