महाभारत युग में यदि हम किसकी राजनीतिज्ञ माने तो वे एक ही युगपुरूष हमारी आंखों के सामने उभर कर आता है वह जिन्हें भगवान का दर्जा मिला हुआ है यानी योगीपुरूष श्रीकृष्ण। उन्होंने कूटनीति और राजनीति से ही युधिष्ठर महाभारत में राजा के पद पर पहुंचे। जो नीति महाराज भरत ने शुरू की थी उससे तो कोई भी हस्तीनापुर का राजा बन सकता है चाहे वह युवराज हो या ना हो। लेकिन धृतराष्ट्र युग में इस नीति को ही तोड़ दिया गया। युवराज युधिष्ठर को उसका अधिकार नहीं दिया गया और मामा शकुनि के षडयंत्र के तहत उन्हें पहले एक वर्ष फिर बाहर वर्ष के साथ एक वर्ष गुप्त वास का निर्णय युधिघ्ठर सहित चारों भाइयों को सुनाया गया। द्रोपदी का अपमान महाभारत युद्ध से धुला।
कलियुग में चाणक्य ने मगध के राजा नन्द कुमार से अपने अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को तैयार किया और तक्षशीला से लेकर मगध तक के राजा-महाराजाओ को हराकर चन्द्रगुप्त को केवल मगध का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सम्राट घोषित करवाया। उस समय की चाणक्य नीति आज भी भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान रखती है। कोई भी कूटनीति एवं राजनीति समस्या को सुलझाने का होता है तभी हमें चाणक्य नीति की याद आती है। आज भी विश्व राजनीति और कूटनीति के निर्णायक युगपुरूष भारतीय ही होता है चाहे उसमें राष्ट्र अमरीका,रूस, ब्रिटेन या फिर फ्रांस ही क्यों ना हो।
आज के युग को ना तो हम कलियुग कह सकते है और ना फिर ना युग। यह युग सिर्फ कलयुग यानि मशीनों का युग ही बन कर रह गया है। एटम हो या फिर एयर प्लेन यह सब उड़ाने के लिए मशीन यानि कम्प्यूटर ही काम आता है। अब मशीनी मानव यानि रॉबटयुग में हम पहुंच चुके हैं। कोई ग्रह हो चाहे वह मंगल या फिर चांद आज इंसेंट के जरिए वहां पहुंचा जा सकता है। सबसे पहले 1968 में अमरीका के जरिए चांद पर जाने का मनुष्य को सौभग्य प्राप्त हुआ उसके पष्चात 1982 में स्कार्डन लीडर राकेष षर्मा रूस के सहयोग से चन्द्रयान के द्वारा चन्द्रमा पर उतरने वाले पहले भारतीय थें। इस मषीनी युग जनता के द्वारा मषीनों यानि इवीसी चुनावी मषीन द्वारा राजनीतिज्ञों का संसद एवं विधानसभा के अलावा अन्य लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाली संस्थाओं में पंचायत एवं पार्षदों का चुनाव भी इसी चुनावी मषीनी प्रक्रिया से हो रहा है। अब जननायक हों या फिर अन्य किसी सरकारी पदवी पाने के लिए इस मषीनी युग या कलयुग में अपनी इसी के द्वारा चुनावी परीक्षा में मषीनों के माध्यम से पास होना ही होगा तभी सांसद, विधायक, पंच एवं पार्षद कहलाए जा सकते है। अब भारतीय राजनीति और राजनीतिज्ञों का भविष्य कलयुग में मषीनों पर ही निर्भर रह गया है।
इस कलयुग में राजनीतिज्ञों का भविष्य मषीनों पर निर्भर करवाने का श्रेय तमिलनाडू के टी एन षेषन को ही जाता है जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रषेखर ने पहला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। इसी चुनाव प्रक्रिया पर अब भारत की राजनीतिज्ञों का भविष्य तथा राजनीति इसी धुरी पर घूम रही है।
भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, मार्क्सवादी, अन्य क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ ही साथ प्रधानमंत्री, मुख्यमन्त्रियों एवं अन्य लोकतान्त्रिक संस्थओं के लिए लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के बीच चाहे वे सर्वलोकप्रिय सोनिया गांधी हो या फिर स्वरचित लोहपुरूष लालकृष्ण आडवाणी तथा लालू यादव एवं क्रिकेट महानायक श्री षरद पवार हो उन्हें मषीनीयुग से होकर ही गुजरना पड़ेगा( कलानेत्र परिक्रमा)
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राजनीति की सरकती जमीन फिसलते राजनीतिज्ञ
विजय कुमार मधु - 2010-09-30 10:23
भारतीय राजनीति की शुरूआत हम कब से माने चाणक्ययुग से या फिर महाभारत युग से इस पर काफी चर्चा होनी चाहिए।