मोर्चे के नेता कांग्रेस खुद अंदरुनी लड़ाई की षिकार बनी हुई है। कांग्रेस के सबसे सीनीयर नेता के करुणाकरण ने पार्टी के टिकटों के वितरण पर अपनी नाराजगी जाहिर करने में किसी प्रकार का संकोच नहीं किया है। उन्होंने केरल प्रदेष कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रमेष चेनिंथला और विधायक दल के नेता ओमेन चांडी पर आरोप लगाया है कि टिकट बंटवारे में उन्होंने कांग्रेस के अन्य नेताओं की राय को तवज्जो नहीं दी। उन्होंने चेतावनी दी है कि मनमाने तरीके से बांटे गए टिकटों का असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा।
करुणाकरण तों कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बोल ही रहे हैं, युवक कांग्रेस के नेता भी प्रदेष कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने में पीछे नहीं है। युवा नेता प्रदेष नेतृत्व पर पार्टी महासचिव राहुल गांधी के उस आदेष के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं, जिसके तहत उन्होंने टिकट बंटवारे में 40 साल से कम के युवाओं को पर्याप्त महत्व देने को कहा था। इसके लिए वे तिरुअनंतपुरम जिला कांग्रेस कमिटी को वे मुख्य रूप से जिम्मेदार बता रहे हैं। वे अपने प्रतिद्वंद्वी वामपंथी मोर्चे की वे सराहना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उसने 40 साल से कम के युवाओं को टिकट बंटवारे मे पर्याप्त जगह दी।
कांग्रेस और केरल कांग्रेस (मणि) के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। तकरार केरल कांग्रेस (जोसेफ) के कब्जे वाली सीटों को लेकर है। गौरतलब है कि जोसेफ गुट पहले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा का घटक था। उसके घटक के रूप में उसने पिछले स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ा था। बाद में वह वाम लोकतांत्रिक मोर्चा से अलग हो गया और केरल कांग्रेस (मणि) में अपना विलय करवा लिया। केरल कांग्रेस (मणि) कांग्रेस नेताओं को यह समझाने में सफल हो गया था कि जोसफ गुट की जीती सीटें उसके खाते में होनी चाहिए। लेकिन इस सहमति को राज्य में सभी जगह सम्मान नहीं दिया गया। कुछ जिलों में तो केरल कांग्रेस की बात मानी गई, लेकिन कुछ जिलों मे कांग्रेस ने मणि गुट की बात मानने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के बीच संबंध भी खराब हुए है। सभी जिलों में दोनों के बीच पूरी तरह से सीटों पर तालमेल नहीं हो सका है। कुछेक जिलों की कुछ सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और उनके बीच दोस्ताना मुकाबला हो रहा है। इस दोस्ताने मुकाबले को लेकर दोनों दलों के बीच दरार पैदा हो गई है।
कांग्रेस के कुछ अन्य छोटी सहयोगी पार्टियां भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर रही हैं और उस पर मनमानी करने का आरोप लगा रही हैं। राघवन के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट मार्क्सिस्ट पार्टी और गौरी के नेतृत्व वाली जनाधिपथ्य संरक्षणा समिति का कहना है कि कांग्रेस की दिलचस्पी उनके उम्मीदवारों को हराने में रहती है और उसके कारण स्थानीय निकायों के चुनावों मे ही नहीं, बल्कि विधानसभा के चुनावों में भी उनके उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ता है।
सीटों के बंटवारे पर जो घमासान मचा है उससे एक बात तो जाहिर है और वह बात यह है कि कांग्रेस ने संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा का नेता कहलाने का हक खो दिया है। (संवाद)
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संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा में दरार
सहयोगी दलों ने कांग्रेस की बात मानने से इनकार किया
पी श्रीकुमारन - 2010-09-30 10:28
तिरुअनंतपुरमः स्थानीय निकायों के चुनाव के अब एक महीने भी नहीं रह गए हैं और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे में दरार दिखाई पड़ने लगी है। यह मोर्चा न तो अब संयुक्त रह गया है और नही लोकतांत्रिक। सीटों बंटवारे में घटक दलों में जिस तरह से घमासान हुआ, उससे साफ लग रहा था कि यह मोर्चा अपने आप से युद्ध कर रहा है।