पार्टी के उस प्रवक्ता का नाम है अभिषेक सिंघवी। वे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ साथ एक सफल अघिवक्ता भी हैं। पेशे से अधिवक्ता श्री सिंघवी उस समय भी विवाद में घिर गए थे, जब भोपाल गैस त्रासदी पर फैसला सुनाया गया था। उस समय पता चला था कि वे एक ऐसी कंपनी के लिए वकालत कर रहे थे, जो भोपाल गैस त्रासदी के स्थल की सफाई करने से इनकार कर रहा था। उस समय उन्होंने बहुत शान से कहा था कि वकालत करना उनका पेशा है और कांग्रेस के प्रवक्ता का काम करना उनकी राजनीति का हिस्सा। उनका कहना था कि वे अपनी राजनीति की आड़ में अपने पेशे को आने नहीं देते। यही कारण है कि अपनी इच्छानुसार वे उस कंपनी के लिए भी काम कर सकते हैं, जिस कंपनी से देश का राजनैतिक वर्ग कुछ सामाजिक और प्रोफेशनल जिम्मेदारी की उम्मीद करता है।
केरल में भी श्री सिंघवी अपने पेशागत कुछ ऐसा काम कर रहे थे, जो उनकी पार्टी की राजनीति के ठीक उलटा था। उनकी पार्टी ने लॉटरी किंग मार्टिन के खिलाफ राज्य में मोर्चा संभाल रखा था और सत्तारूढ़ गठबंधन पर उस लॉटरी किंग से सांठगांठ रखने का आरोप लगा रही थी। स्थानीय चुनावों में तो र्लाटरी किंग के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन की कथित सांठगांठ को कांग्रेस ने एक बड़ा मुद्दा बना दिया था। उस मुद्दे पर सत्तारूढ़ पार्टियों के पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था और लग रहा था कि उस मसले के कारण ही कांग्रेस की जीत हो जाएगी।
लेकिन इसी बीच कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी दिल्ली से तिरुअनंतपुरम आ घमके और अदालत में लॉटरी किंग मार्टिन की पैरवी करने लगे। फिर क्या था? कांग्रेस का सारा आरोप उलटा होकर उसी पर मार करने लगा। कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता जिस लाटरी की कंपनी का अधिवक्ता हो, उस कंपनी से कांग्रेस का नाता जुड़ता है, न कि कांग्रेस विरोधी पार्टियों का। सीपीएम ने इसका पूरा फायदा उठाया और मिया की जूती मिया के सिर की कहावत को चरितार्थ करना शुरू कर दिया।
अभिषेक सिंघवी के लाटरी किंग के पक्ष में अदालत में खड़े होने के बाद स्थानीय निकाय चुनावों का मुख्य मुद्दा तो नहीं बदला, लेकिन इसका निशाना और निशानेबाज बदल गया है। पहले निशाना सीपीएम थी और निशानेबाज थी कांग्रेस। अब कांग्रेस निशाना हो गई है और निशाना लगा रही है सीपीएम। सीपीएम कह रही है कि लाटरी माफिया के साथ कांग्रेस के नेता जुड़े हुए हैं। लाटरी घोटाले की जिम्मेदारी अब केरल की सरकार में बैठे लोग कांग्रेस के ऊपर डाल रहे हैं। और कांग्रेस के पास उसका कोई जवाब नहीं है।
अभिषेक मनु सिंघवी के लॉटरी कंपनी का वकील बनने का विरोध केरल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला और विधानसभा में विपक्ष के नेता ओमेन चांडी ने की। कहते हैं कि उन्होंने श्री सिंघवी को लॉटरी कंपनी का मुकदमा नहीं लड़ने की सलाह दी थी, लेकिन उनकी सलाह पर श्री सिंघवी ने घ्यान नहीं दिया। जब मामला बिगड़ने लगा, तो दोनों नेताओं ने सोनिया गांधी से श्री सिंघवी की शिकायत की। शिकायत के बाद श्री सिंघवी को प्रवक्ता पद से अस्थाई तौर पर हटा दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासन समिति जांच करने वाली है। संयोग से अनुशासन समिति समिति के अध्यक्ष ं केरल के कांग्रेसी नेता ए के अंटोनी ही हैं।
श्री सिंघवी अब कह रहे हैं कि लॉटरी कंपनी का केरल के कांग्रेसियो द्वारा किए जा रहे विरोध के बारे में उन्हें पता नहीं था। वे यह भी कह रहे हैं कि यदि उन्हें पता होता कि केरल की उनकी पार्टी उस कंपनी के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, तो वे उसकी वकालत नहीं करते। लेकिन केरल से कांग्रेस के एक सांसद का कहना है कि श्री सिंघवी गलतबयानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस विमान से श्री सिंघवी दिल्ली से केरल उस कंपनी की वकालत करने आ रहे थे, उसी विमान से वे खुद और केरल ईकाई के अध्यक्ष रमेश चेनिंथला भी आ रहे थे। उन दोनों को उस समय मालूम था कि श्री सिंघवी अदालत में उस लॉटरी कंपनी की वकालत करने वाले हैं। उनका कहना है कि उन्होने और श्री चेनिंथला ने साफ साफ शब्दों में सिंघवी को उस कंपनी की वकालत करने से रोका। लेकिन श्री सिंधवी ने उनकी एक नहीं मानी और उस लाटरी माफिया की पैरवी अदालत में की।
श्री सिंघवी के कारण केरल के स्थानीय निकायों के चुनाव में सत्तारूढ़ मोर्च का काम आसान हो गया है। लॉटरी घोटाला उसके गले की हड्डी बना हुआ था। उस हड्डी को उसके गले से निकालकर अब श्री सिंघवी ने केरल की अपनी पार्टी ईकाई के गले में डाल दिया है। इस तरह बिना लॉटरी खेले ही सीपीएम को बंपर इनाम मिल गया है। (संवाद)
सिंघवी ने कांग्रेस अभियान की हवा निकाल दी
वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की बल्ले बल्ले
पी श्रीकुमारन - 2010-10-12 13:56
तिरुअनंतपुरमः स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए चल रहा कांग्रेस का अभियान बहुत ही कमजोर पड़ गया है। अब यह कोई भी देख सकता है। और यह हुआ है कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में बैठे एक नेता के कारण, जो पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता का काम करते रहे हैं। फिलहाल पार्टी नेतृत्व ने उन्हें अस्थाई रूप से आधिकारिक प्रवक्ता के पद से हटा दिया है, लेकिन उनके कारण पार्टी को जो नुकसान केरल के स्थानीय निकायों के चुनावों में होना था वह हो गया है।