भारत में ब्राह्मणों की जनसंख्या लगभग 6 प्रतिशत बताई जाती है। लेकिन 6 दिन के भयंकर मंथन के बाद 22 मई को दिन के लगभग 2 बजे प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह सहित 20 की जो मंत्रिमंडल सूची बनकर तैयार हुई और सायं साढ़े छह बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण के बाद सामने आई उसमें 20 प्रतिशत ब्राह्मण हैं।

एक भी राजपूत व यादव को केन्द्रीय मंत्री नही बनाया गया।जबकि उस राज्य उ.प्र. में जहां अप्रत्याशित रूप से लोकसभा की 21 सीट जीतने के बाद कांग्रेस सीना ताने घूम रही है उस उ.प्र. से जीते सोनिया मां-बेटे की सत्ता को छोड़ कर सोचें तो ,क्या उनमें एक भी व्यक्ति कबिना मंत्री पद का शपथ लेने के योग्य नही थे।

अगर उ.प्र. से चुनकर लोकसभा में आये राहुल गांधी प्रधान मंत्री या मंत्री नही बनेंगे तो क्या वहां का कोई भी अन्य व्यक्ति कबिना मंत्री नही बनाया जायेगा। उ.प्र. से कांग्रेस लोकसभा की जो 21 सीटें जीती है उसमें 4 पर ब्राह्मण,4पर राजपूत,3 पर मुसलमान,2 पर खत्री,2पर कुरमी व अन्य जाति के लोग जीते हैं।

जब टिकट देना होता है तो सीटवार जाति के आधार पर जाति बहुलता वाले व्यक्ति को टिकट दिया जाता है। तो चुनाव जीतने के बाद उसी जाति बहुलता के आधार पर बने मंत्रिमंडल में भागीदारी भी क्यों नही दी गयी।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की मालकिन व उनके मैनेजरो की सोच है कि ज्यादेतर ब्राह्मणों व बनियों को मंत्री बनाने से भाजपा व बसपा के इस जाति के मतदाता टूटकर कांग्रेस का हाथ मजबूती से पकड़ लेंगे। लेकिन जिस तरह से इस बार राजपूत नेता अर्जुन सिंह को किनारे किया गया है उससे साफ संदेश गया है कि इस पार्टी में अब पहलेवाली जमीर नही रह गयी है। अब इसमें उपयोग करके फेंक दिया जा रहा है।

हंस राज भारद्वाज ने तो एक तरह से सब कुछ वही किया जो उनसे कहा गया। इटैलियन दलाल क्वात्रोची को लंदन के दो बैंक खातो से पैसा निकलवाने,अर्जेंटिंना में गिरफ्तारी से छुड़वाने से लगायत उसे रेड कार्नर से मुक्त कराने तक का सब उपक्रम भारद्वाज ने ही किया । काम हो जाने के बाद उस भारद्वाज को किनारे लगा दिया गया। कांग्रेस उ.प्र. में 21सीट जीती है, वहां से एक भी को कैबिनेट मंत्री नही बनाई ।#