लेकिन अब वह युवा मुख्यमंत्री घोटालों की चपेट में आ गया है। उस घोटाले के प्रकाश में आने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में ही संकट का दौर शुरू हो गया है। अनेक नेता संकट का फायदा उठाकर अपने आपको मुख्यमंत्री कुर्सी पर बैठाने की कोशिश में लग गये हैं। इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं। वे हैं- सुशील कुमार शिंदे, नारायण राणे और विलासराव देशमुख। आदर्श सोसायटी में श्री चौहान के रिश्तेदारों के फ्लैट की खबरें आने के बाद कांग्रेस के इन तीन मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई राजनीति के कारण अशोक चौहान को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा देना पड़ा।

सच तो यह है कि उनसे सोनिया गांधी ने इस्तीफा मांगा था। इस्तीफा देने के बाद भी यदि वे अपने पद पर बने हुए हैं, तो उसका कारण है अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा। उनके तय कार्यक्रमों के अनुसार उन्हें मुंबई में होना था और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को उनकी आगवानी करनी थी। जाहिर है कांग्रेस आलाकमान के पास नये मुख्यमंत्री द्वारा बराक ओबामा का स्वागत करवाने के लिए समय बहुत ही कम था। इसके कारण अशोक चौहान कुछ और दिनोे के लिए अपने पद पर बने रह गए। लेकिन उनकी अब जल्द ही छुट्टी हो जाएगी।

अशोक चौहान की यह दुर्गति कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के लिए दुहरा झटका है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के मामले में वे एक बार पहले ही झटका खा चुके हैं। उग्रवाद से ग्रस्त उस राज्य में उमर का मुख्यमंत्री बनना राहुल के कारण ही संभव हो सका था। राहुल के कारण फारुक अब्दुल्ला के बजाय उमर को वहां मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी। पर उग्रवाद की समस्या उमर के समय में और भी गंभीर हो गई। इसके लिए उमर को ही जिम्मेदार माना जाने लगा। उनकी हटाए जाने की भी चर्चा प्रारंभ हो गई थी। उमर का हटना राहुल गांधी के लिए एक विपरीत टिप्पणी होती, इसलिए उन्होंने उन्हें बचाने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया।

उमर अब्दुल्ला अपने मुख्यमंत्री पद पर राहुल के समर्थन के कारण अभी भी बने हुए हैं, लेकिन उसके कारण राहुल की तो फजीहत हो ही गई। देश भर में यह संदेश चला ही गया कि जम्मू और कश्मीर के लिए उमर के रूप में राहुल की पसंद गलत थी। अब अशोक चौहान का मामला सामने आ गया है। अब यह कहा जाने लगा है कि राहुल की मुख्यमंत्री के रूप में अशोक चौहान की पसंद भी गलत थी। उन्होने यह कहकर कि कश्मीर की समस्या कुछ दिनों मे हल होने वाली नहीं है, उमर को तो बचा लिया। पर अब वे अशोक चौहान को कैसे बचाएंगे? किसी की अक्षमता को तो छिपाया जा सकता है, किसी के भ्रष्टाचार को कैसे छिपाया जा सकता है?

कांग्रेस आलाकमान ने एक दो सदस्यीय समिति बनाकर कुछ मोहलत पा ली है। अब उसकी मुख्य समस्या है कि अगला मुख्यमंत्री किसे बनाया जाय। अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका निर्णय सोनिया गांधी करेंगी, लेकिन वहां कांग्रेस की अपनी सरकार नहीं है, बल्कि वह एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है, जिसमें शरद पवार की पार्टी भी शामिल है। जाहिर है कि सोनिया की पसंद को शरद पवार का भी समर्थन होना चाहिए। इसलिए सोनिया किसी वैसे नेता को नहीं चुनेंगी, जिससे शरद पवार को किसी कारण से एलर्जी हो। (संवाद)