इस बार भाजपा अपनी सफलता का विस्तार करने की उम्मीद पाले हुए थी। उसकी रणनीति नये इलाके में प्रवेश करने की थी और पुराने इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करने की थी। कुछ नए इलाके में कुछ नई सीटें हासिल करने में तो उसे सफलता मिली है, लेकिन पुराने इलाके में उसने कुछ सीटें गंवा भी दी है। इस तरह से कुल मिलाकर स्थिति पहले वाली ही रह गई है। वह 5 साल पहले जहां थी, आज भी वहीं खड़ी है।
कसाड़गोड़े में शहरी निकायों के चुनाव में भाजपा इस बार भी 11 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है। 5 साल पहले भी उसने इतनी ही सीटें जीती थीं। इसी जिले के पंचायत चुनाव में भाजपा को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई है। पिछली बार भी वह इतनी ही सीट पर विजयश्री हासिल कर सकी थी।
तिरुअनंतपुरमए त्रिसूर और पथनमिथित्ता में भाजपा ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। 5 साल पहले हुए चुनावों में इन क्षेत्रों में उसका खाता तक नहीं खुला था, पर अब उसे यहां कुछ सीटें हासिल हो गई हैं।
पलक्क्ड में इसे 15 नगरपालिका सीटों पर जीत मिली हैख् जबकि 5 साल पहले उसने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी को सबसे बड़भ् सफलता यहां पूर्व चेयरमैन देवयानी की जीत के रूप में मिली है। श्री देवयानी पहले कांग्रेस में थे। चुनाव के पहले ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता हासिल की थी।
कोझिकोड़े में भाजपा पहले एक सीट पर काबिज थी, लेकिन यहां वह इस बार उसे भी गंवा चुकी है। इस नगरनिगम में उसे एक भी सीट पर सफलता इस बार नहीं मिली है। इस जिले में पहले उसके पास 14 सीटें थीं, पर इस बार उसके द्वारा जीती गई सीटों की संख्या घटकर 10 हो गई है। इस जिले में 1335 ग्राम वार्ड हैं और उनमें भाजपा को सिर्फ 7 पर विजय हासिल हुई है।
कोझिकोड़े की हार भाजपा के प्रदेश अघ्यक्ष वी मुरलीधरन की निजी हार मानी जा रही है, क्योंकि वे यहीं के मूलनिवासी हैं।
पार्टी को सबसे बड़ी सफलता तिरुअनंतपुरम जिले में ही मिली है। तिरुअनंतपुरम नगर निगम में 2005 के चुनाव में इसे एक सीट पर ही सफलता मिली थी, जबकि इस बार उसे 7 सीटों पर सफलता हासिल हुई है। इन 7 सीटों मे एक उसके द्वारा समर्थित निर्दलीय भी है।
नेदुमनगद नगरपालिका में भाजपा ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है। यहां कुल 39 सीटें हैं और किसी भी मोर्च को बहुमत हासिल नहीं हुआ है। एलडीएफ को 18 और यूडीएफ को 17 सीटें मिली हैं। दो अन्य सीटों पर निर्दलीय जीते हैं। जहिर है इस नगरपालिका में भाजपा और निर्दलीय प्रतिनिधियों की भूमिका अहम होगी। (संवाद)
केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा
उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं
पी श्रीकुमारन - 2010-11-11 18:36
तिरुअनंतपुरमः हाल ही में हुए स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा को वह सफलता नहीं मिली, जिसकी वह उम्मीद कर रही थी। भाजपा यहां कोई राजनैतिक ताकत नहीं है, लेकिन वह इस दक्षिण भारतीय राज्य में अपना पांव फैलाने की बहुत ही गंभीर कोशिश कर रही है। इन कोशिशों के कारण उसकी कहीं कहीं उपस्थिति दिखाई पड़ती है। स्थानीय निकायों के चुनावों में 5 साल पहले भी उसे कहीं कहीं सफलता मिली थी।