घोटाले के मामले में उत्तर भारत के राज्य पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी पीछे नहीं है। हिमाचल प्रदेश को साफ सुथरा राज्य माना जाता है। कहा जाता है कि भारत में सबसे कम भ्रष्टाचार हिमाचल प्रदेश में ही होता है। यह सही भी हो सकता है, लेकिन यह राज्य भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। आज हम संचार घोटाले की चर्चा कर रहे हैं। पर संचार घोटाला का एक बहुत बड़ा मामला जो पहली बार आया था, उसमें हिमाचल प्रदेश के एक नेता का नाम ही सामने आया था। वह नेता थे सुखराम, जिनपर करोड़ों रुपयों के घोटाले का आरोप लगा था और छापेमारी में उनके घर से करोड़ों रुपए जब्त भी हुए थे।

प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने सत्ता संभालने के बाद भ्रष्टाचार पर अंकुश करने का संकल्प किया था और इसके लिए सही कार्रवाई भी की गई थी। अनेक नौकरशाह उसमें फंसते हुए दिखाई पड़ रहे थे। लेकिन उन लोगों के दबाव में ही सारा मामला ठंढे बस्ते में चला गया। यह तो अच्छी बात है कि न्यायपालिका ने उन मामलों का फिर से खोलने को कहा है।

पंजाब तो भ्रष्टाचार के लिए बहुत कुख्यात रहा है। यहां सरकार बदलने के बाद पूर्ववर्ती सरकारों में शामिल लोगों के खिलाफ कदम भी उठाए जाने के उदाहरण हैं, लेकिन वे कदम अबतक बेमानी साबित हुए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई बहुत ही धीमी गति से चलती है। सरकार फिर बदल जाती है और जिस व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई शुरू की गई थी, वह दुबारा सत्ता में आ जाता है और फिर सारा मामला रफा दफा हो जाता है।

गौरतलब है कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो उसने अपने पूर्ववर्त्ती मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए थे। उनके पूर्ववर्त्ती मुख्यमंत्री थे प्रकाश सिंह बादल। अपने कार्यकाल मे कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ कार्रवाई को अपनी तार्किक परिणति तक नहीं पहुंचा नहीं सके। उनकी सरकार बदल गई। फिर प्रकाश सिंह बादल की सरकार आ गई। श्री बादल ने सरकार में आकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चला दिया। उनके ऊपर जो मामले चल रहे थे, उसमें वे खुद का बरी भी करवा लिया। मुख्यमंत्री का पद दुबारा हाथ में आने के बाद यह काम उनके लिए कठिन भी नहीं था। जांच एजेंसियां उनके हाथ में थी। उनकी सहायता से उन्होंने जांच के काम को ही कामजोर कर दिया। राज्य के सारे पदाधिकारी भी उनके मातहत काम कर रहे थे। इसलिए अधिकांश गवाह उनसे मिल गए और उन्होंने अदालत में अपने आपको होस्टाइल बना लिया। फिर अदालत क्या कर सकती थी। प्रकाश सिंह बादल सभी आरापों से बरी हो गए। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मामला चल रहा है। वह निकट भविष्य में समाप्त होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। अगले साल राज्य में विधानसभा का चुनाव है। यदि फिर से सरकार कांग्रेस की आ जाती है और अमरिंदर सिंह एक बार फिर मुख्यमंत्री बन जाते हैं, तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके खिलाफ चल रहे मामले का क्या हश्र होगा।

हरियाणा भी भ्रष्टाचार के लिए कम कुख्यात नहीं रहा है। देश की राजधानी दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरी हुई है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हरियाणा में लगातार विस्तार होता देखा गया है। इसके कारण यहां की जमीन काफी मंहगी हुई है और अनेक किस्म के भूमि घोटाले हुए हैं। और भी अनेक किस्म के बड़े बड़े घोटालों की चर्चा हरियाणा में होती रही है। भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई की लंबी चौड़ी बातें भी समय समय पर होती रही हैं। कुछ कार्रवाई भी हुई है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। भ्रष्टाचार में शामिल उच्च पदों पर बैठे लोगों में से किसी को भी आजतक दंडित नहीं किया गया है। ओपप्रकाश चौटाला और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ कुछ मामले चल रहे हैं, लेकिन उनकी प्रगति इतनी धीमी है कि उनके नतीजे कब आएंगे इसका किसी को कुछ भी नहीं पता। (संवाद)