गौरतलब है कि आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी से निकाल दिया गया था। उस समय आजम खान ने पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की आलोचना की थी और कल्याण सिंह के साथ हाथ मिलाने के उनके निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। इसका कारण यह है कि 1992 के 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद के विघ्वंस के दिन राज्य के मुख्य मंत्री कल्याण सिंह थे और मुसलमान उन्हें बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए मुख्य जिम्मेदारों में एक मानते हैं।
आजम खान समाजवादी पार्टी में मुसलमानों के सबसे बड़े नेता थे। उन्हें सपा का मुस्लिम चेहरा भी माना जाता था। लोकसभा चुनाव के पहले मुलायम सिंह यादव के खिलाफ उनकी नाराजगी का एक कारण अमर सिंह भी थे। अमर सिंह से मुलायम की नजदीकी उन्हें रास नहीं आ रही थी। जयप्रदा को रामपुर से लोकसभा का टिकट दिए जाने के कारण भी आजम खान श्री यादव के खिलाफ चल रहे थे।
मुलायम सिंह यादव कल्याण सिंह का साथ तो कब का छोड़ चुके हैं। अमर सिंह और जयाप्रदा ने तो खुद अपनी तरफ से ही मुलायम का साथ छोड़ दिया है। इसलिए मुलायम सिंह के साथ श्री आजमी की नाराजगी के जितने कारण थे, वे सभी समाप्त हो गए हैं। यही कारण है कि आजम खान को सपा में शामिल होने में अब कोई हिचक नहीं रह गई थी।
2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। समाजवादी पार्टी मुसलमानों के बीच अपने समर्थन को फिर बहाल करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है। आजम खान की पार्टी में वापसी उसकी काशिशों की सफलता में काम आएगी।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मुसलमानों के एक बड़े हिस्से ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया था। उसके कारण पार्टी की सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। गौर करने लायक बात यह है कि 2009 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा के टिकट पर एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए थे।
4 दिसंबर को जब आजम खान समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे थे, तो उस दिन उनके और मुलायम दोनों की आंखों में आंसू थे। रोकर दोनों नेता उस अवसर पर भावनाओं की लहर पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। मुलायम सिंह यादव ने अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर आजम खान का स्वागत किया और कसम खाई कि अब वे कभी भी किसी सांप्रदायिक नेता से हाथ नहीं मिलाएंगे।
मुलायम सिंह यादव ने कहा कि राजनैतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और वे आजम खान के समर्थन के बिना कुछ भी नहीं कर सकते। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि श्री खान की सपा में वापसी के बाद पार्टी निश्चित रूप से मजबूत होगी।
सपा प्रमुख ने पार्टी कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें आपसी मतभेद भुलकर पार्टी के लिए काम करना चाहिए। उनका कहना था कि एकताबद्ध होकर ही सपा के कार्यकर्त्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बसपा को पराजित कर पाएंगे। उन्होंने मायावती सरकार पर 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले से भी बड़े घोटालों मे शामिल होने के आरोप लगाए। उन्होंने पार्टी कार्यकर्त्ताओं को कहा कि पहले 2012 में राज्य की विधानसभा चुनाव में जीतकर राज्य के सरकार पर कब्जा करना है और उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव मे जीत हासिल कर केन्द्र की सरकार पर कब्जा करना है।
आजम खान ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने कल्याण सिंह से हाथ मिलाने की अपनी गलती को स्वीकार कर ली है। उन्होंने इशारों ही इशारों में अमर सिंह और जयाप्रदा जैसे लोगों की बात करते हुए कहा कि उन लोगों के कारण पार्टी को फायदा नहीं बल्कि नुकसान हो रहा था।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि आजम खान के पार्टी में आने से निश्चय की सपा को बहुत लाभ होगा और मुसलमानों का समर्थन एक बार और हासिल करने में पार्टी सफल हो पाएगी। इसका कारण यह भी है कि अयोध्या के बाबरी विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालस का निर्णय आने के बाद मुसलमानों में नाराजगी है और उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस उनका साथ नहीं दे रही है। दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बयान देकर मुसलमानों का दिल जीतने का प्रयास किया। इस माहौल में मुसलमानों के बीच अपनी गैहरी पैठ बनाने में आजम खान को मुलायम बेहद फायदेमंद पाएंगे। (संवाद)
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सपा के हौसले फिर से हो रहे हैं बुलंद
आजम खान की घर वापसी
प्रदीप कपूर - 2010-12-09 11:30
लखनऊः अठारह महीने के बाद आजम खान की समाजवादी पार्टी में वापसी के बाद पार्टी नेताओं और कार्यकत्ताओं के हौसले बुलंद हुए हैं।