मुख्यमंत्री का वह निर्णय लॉटरी घोटाले से संबंधित है। उन्होंने लॉटरी घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय किया है। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम को एक चिट्ठी लिखी है।

कांग्रेस पार्टी के नेता लॉटरी घोटाले को एक बड़ा राजनैतिक मसला बनाने में सफल रहे हैं। पिछले स्थानीय निकायों के चुनावों में कांग्रेस की जीत का एक बड़ा कारण इस घोटाले को मुद्दा बनाने में उसकी सफलता थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंधवी द्वारा लॉटरी माफिया की अदालत में वकालत करने के कारण कांग्रेस की स्थिति थोड़ी खराब जरूर हो रही थी, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान ही श्री सिंघवी को केन्द्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटा दिया और इस तरह लॉटरी घोटाले को अपने पक्ष में मुद्दा बनाए रखने में सफल रहे।

अब इस घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा होगी और इसके कारण इसे एक चुनावी मसला बनाकर कांग्रेस आगामी विधान सभा चुनावों में भुना नहीं सकेगी। मामले को गर्म करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री से मिलकर इसकी सीबीआई जांच करवाने की बात कर रहे थे। वे प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय लेते, उसके पहले ही मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस के पैर के नीचे की जमीन खिसका दी।

उनके इस निर्णय से पार्टी के अंदर के उनके विरोधी भी चौंक गए हैं। सीपीएम के प्रदेश सचिव विजयन के करीबी लोग इस निर्णय को अटपटा मान रहे हैं और दबे स्वर में कह रहे हैं कि इसके कारण कांग्रेस को राज्य सरकार के खिलाफ प्रोपेगंडा करने का अवसर मिलेगा। लेकिन वे भी खुलकर मुख्यमंत्री के इस निर्णय के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकते, क्योंकि तब वे लोग खुद लॉटरी किंग मार्टिन से सहानुभूति रखता दिखाई देंगे।

मुख्यमंत्री के इस निर्णय पर जब सीपीएम सचिव विजयन से पूछा गया, तो उनका कहना था कि इस मामले पर पार्टी के अंदर इस तरह का कोई विचार विमर्श नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी फैसले के बारे में पार्टी के अंदर सारी बातें हों, यह कोई जरूरी भी नहीं है।

दूसरी ओर वित्त मंत्री थामस इजाक लॉटरी किंग मार्टिन के खिलाफ किसी तरह की जांच के ख्लिाफ अपनी राय जाहिर करते रहे हैं। उनका कहना है कि मार्टिन और उसके लोगों के खिलाफ कोई मामला बनता ही नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को एक और चुनावी मसले से वंचित कर दिया है। वह मामला अत्ताप्पदी के आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहन से ताल्लुक रखता है। कांग्रेस कह रही थी कि राज्य सरकार ने आदिवासियों की जमीन पुणे की एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए छीनी है। अब राज्य सरकार ने वह जमीन आदिवासियों को वापस कर दी है। (संवाद)