वर्ष 2003 से 2010 तक प्रमुख बंदरगाहों के जरिए यातायात में 8.45 प्रतिशत की चक्रवृध्दि वार्षिक वृध्दि हुई। प्रमुख बंदरगाहों में यातायात की मात्रा 345 मिलियन टन से बढक़र 561 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई। इस प्रकार इस मद में 63 प्रतिशत वृध्दि देखी गई। मंत्री महोदय ने कहा कि यातायात में इस स्तर की वृध्दि के फलस्वरूप प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता का उपयोग 90 प्रतिशत से अधिक हो रहा है। कहीं-कहीं तो क्षमता के उपयोग का स्तर 100 प्रतिशत से भी अधिक है। श्री जी. के. वासन ने कहा कि प्रभावी ढंग से बंदरगाह संचालन के लिए 70 प्रतिशत क्षमता के उपयोग को आदर्श माना जाता है।

मंत्रालय द्वारा तैयार विज़न दस्तावेज के बारे में श्री जी. के. वासन ने कहा कि प्रमुख बंदरगाहों पर यातायात में 8.03 प्रतिशत चक्रवृध्दि वार्षिक वृध्दि दर रहने की उम्मीद है। बंदरगाहों पर यातायात 2009-10 में 561 मिलियन टन से बढक़र 2019-20 तक 1,215 मिलियन टन होने की संभावना है। अन्य बंदरगाहों पर यातायात में चक्रवृध्दि वार्षिक वृध्दि दर 16 प्रतिशत रहने की आशा है और यह वर्तमान 289 मिलियन टन से बढक़र 1,270 मिलियन टन होने की संभावना है। इसलिए 2019-20 तक भारत के बंदरगाहों पर अनुमानित यातायात वर्तमान 850 मिलियन टन से बढक़र 2,485 मिलियन टन हो जाएगा। इस तरह इसमें 11.32 प्रतिशत वृध्दि होने की संभावना है।

मंत्री महोदय ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत की बंदरगाह क्षमता को तीन गुणा बढाना होगा। इसके लिए मंत्रालय ने प्रमुख और अन्य बंदरगाहों पर अनुमानित यातायात से निपटने के लिए नए टर्मिनलों का विकास, मौजूदा बर्थ का उन्नयन और बंदरगाह परिचालन को अत्याधुनिक बनाने के लिए योजना तैयार की है।