सभी हानिकारक सामानों को सिर्फ दिन के दौरान यानि सूर्योदय से सूर्यास्त तक निपटाया जाएगा। बन्दरगाह परिसर के भीतर ऐसे सामानों को रखने की बजाय खतरनाक हानिकारक सामानों को सीधे भेजने की प्रक्रिया को तरजीह देनी होगी।

अगर किसी कारण से हानिकारक सामग्री की डिलीवरी तुरन्त नहीं होती है और यह उतरने के बाद 7 दिनों तक पोर्ट पर ही पड़ा रहता है तो यह शिप एजेंट की जिम्मेदारी होगी कि वह अगले 7 दिनों के भीतर इस सामान को वापस उस देश भेज देगा, जहां से यह सामग्री आयी थी। अगर कोई सामान निर्यात के लिए पोर्ट पर लाया जाता है और 2 दिनों के भीतर उसे जहाज द्वारा नहीं भेजा जाता तो क्लीयरिंग एजेंट की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अगले दो दिनों के भीतर उस सामान को वापस ले। इसके लिए सीमाशुल्क अधिनियम-1962 एवं प्रमुख पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम-1963 में संशोधन की आवश्यकता होगी।

मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट के उप संरक्षक को सक्षम अधिकारी के रूप में 1994 के कानूनों के तहत अपनी सर्वोच्च शक्तियों का प्रयोग करते हुए भंडार घर से नुकसानदेह सामग्री को तुरन्त हटाना होगा और उसे नष्ट करना होगा। इसके लिए सीसीई या सीमाशुल्क विभाग से किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं होगी।

मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट को हानिकारक सामान को नष्ट करने का नुकसान वहन करना होगा।

मेसर्स एग्रो गैसेज और मेसर्स जेम्स मैकिंटोश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और अपराधिक अवहेलना के लिए विभिन्न कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करते हुए उपयुक्त कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने आम जनता के जीवन को खतरे में डाला। इस फर्म की अगले 5 वर्षों तक यानि 2016 तक आयातनिर्यात सुविधाओं पर रोक लगनी चाहिए।

ट्रैफिक मैनेजर को रसायनिक सुरक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले किसी संगठनसंस्थान को शामिल करने मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट के संकट प्रबंधन और आपदा तैयारी योजना में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा की गई अनुशंसाओं को शामिल करके अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।

देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को हानिकारक सामग्रियों की प्रक्रियाओं और भंडार स्थितियों की समीक्षा करने का निर्देश देना चाहिए।

सरकार ने निर्णय किया है कि इस समिति की सभी अनुशंसाओं को सभी बंदरगाहों पर लागू किया जा सकता है, जहां ये लागू हो सकती हैं। जहाजरानी मंत्रालय ने यह निर्देश दिया है कि इस प्रकार की भूलों को सहन नहीं किया जाएगा और दोषी को दंडित किया जाएगा। इन अनुशंसाओं को भारत के सभी प्रमुख पोर्ट ट्रस्टों के अध्यक्ष के पास भेज दिया गया है।