पिछले दिनों कोंकण रेलवे के अधिकारियों ने मडगांव में रेलवे बीट के राष्ट्ीय पत्रकारों को एसीडी की कार्यप्रणाली का ब्योरा तथा डेमोस्ट्ेशन देते हुए बताया कि यह आधुनिक तकनीकों से लैस वह नियंत्रण प्रणाली है जो हमें टक्करों से सुरक्षा प्रदान करती है तथा रेल गाड़ियों को फॉगिंग के दौरान टक्करों से बचाती है। यह गाड़ियों की गति केा स्वंय कम करने में सक्षम है। आकस्मिक अवस्थाओं में यह 3 किमी की सारी गाड़ियों केा रोकने में सक्षम है। यह ट्रेनों की ब्रेक प्रणाली को स्वंय जांचने में सक्षम है।
कोंकण रेलवे ने जिस एंटी कोलिजन डिवाइस को विकसित किया है, वे दो तरह के हैं। प्रथम प्रकार के डिवाइस मुख्यतः इंजनों पर लगाए गए हैं जबकि दूसरे तरह के डिवाइस स्टेशनों,फाटकों तथा लोको शेडों में लगाए हैं। ये सारे एसीडी मिल कर सुरक्षा प्रणाली का निर्माण करते हैं। इस प्रणाली के सारे एसीडी रेडियों तरंगों पर संवाद करते हैं तथा यह अपनी उपस्थिति के 3 किमी के अंदर सभी एसीडी से संवाद करने में सक्षम होते हैं। इन सभी एसीडी में संगणक तथा ग्लोबल पोजीशनिंग यंत्र लगे होते हैं,जो किसी भी रेलगाड़ी के स्थान और गति का निर्धारण करते हैं। ये आपस में संवाद करके यह निर्णय लेते हैं कि कोई टक्कर न हो इसके लिए ट्ेनों में ब्रेक कब लगाया जाए।
रक्षा कवच प्रणाली स्टेशनों तथा समपार फाटकेां पर दृश्य-श्रव्य चेतावनी देने में भी सक्षम है। अगर कोई फाटक एकाएक खुल जाए तो यह प्रणाली रेल गाड़ी की गति केा कम करके 30 किमी तक ला सकता है।
भारतीय रेलवे ने इस प्रणाली केा लागू करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार एक समय ऐसा आएगा जब मानवीय भूलों से होने वाली ट्रेन दुर्घटनाएं पूरी तरह से रोकी जा सकेगी तथा जानमाल की हानि से बचा जा सकेगा।
कोंकण रेलवे ने विकसित किया गजब का ट्रेन रक्षा कवच
snverma - 2010-12-27 12:00
नई दिल्ली। ट्रेन दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात हो चुके भारतीय रेलवे को कोंकण रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड ने एक आशा की किरण दिखलाया है। कोंकण रेलवे ने एक ऐसा रक्षा कवच विकासित किया है जो ट्रेनों केा सामने से ,पीछे से और बगल से टक्करों से बचाता है। यह कवच ड्राइवरों को समपार फाटकों तथा स्टेशनों पर अग्रिम चेतावनी देता है। कोंकण रेलवे ने इस कवच का नाम एसीडी अर्थात एंटी कोलिजन डिवाइस दिया है।