उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010-11 के लिए देश का निर्यात लक्ष्य 200 अरब अमरीकी डॉलर का रखा गया है। निर्यात की मौजूदा वृद्धि दर के लिहाज से हम इस लक्ष्‍य की ओर अग्रसर हैं। भारतीय उत्‍पादों के प्रमुख आयातक अमरीका के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर में मामूली सुधार हुआ है। 2009 में जीडीपी की नकारात्मक वृद्धि दर के मुकाबले आईएमएफ का अनुमान है कि 2010 में इसकी अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 3.3 फीसदी और 2011 में 2.9 फीसदी रहेगी।

विदेश व्यापार नीति 2009-14 में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2009-10 में भारतीय निर्यात 200 अरब अमरीकी डॉलर हो जाने का अनुमान है। यह लक्ष्य पाने के लिए सरकार ने विभिन्न नीतिगत उपायों जैसे वित्तीय प्रोत्साहन, संस्थागत परिवर्तन, प्रक्रियागत सुधार, अखिल विश्व में बाजार का विस्तार, निर्यात बाजार का विविधीकरण आदि को अपनाने का फैसला लिया है। निर्यात संबंधी मूलभूत ढाँचे में सुधार, विनिमय लागत में कमी एवं सभी अप्रत्यक्ष करों और शुल्कों की पूर्ण वापसी-ये तीन चीजें इस निर्यात लक्ष्य को पाने में तीन मजबूत स्तंभों का काम करेंगी।

सरकार ने बाजार के विविधीकरण पर जोर दिया है। दरअसल अमरीका और यूरोप केंद्रित होने के चलते आर्थिक मंदी का हमारे पारंपरिक निर्यात पर काफी बुरा असर पड़ा है। विदेश व्यापार नीति 2009-14 की घोषणा के समय से ही बाजार का विस्तार अफ्रीका के विकासशील देशों, लैटिन अमरीका और ओसियाना के कुछ हिस्सों में करने पर जोर दिया गया है। हाल में भारतीय निर्यातकों के महासंघ फियो की ओर से किए गए एक प्रारंभिक सर्वेक्षण से पता चला है कि कई योजनाओं विशेषकर फोकस मार्केट स्कीम (एफएमएस) और मार्केट लिंक्ड फोकस प्रॉडक्ट स्कीम (एमएलएफपीएस) ने भारत का निर्यात आधार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एफएमएस के तहत अगस्त 2009 में नए जुड़े 27 देशों में से 15 में आर्थिक मंदी के बावजूद निर्यात में प्रभावी वृद्धि हुई।

विशेष आर्थिक क्षेत्र

विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम के मुख्य उद्देश्य हैं- (क) अतिरिक्त आर्थिक क्रियाकलाप का सृजन, (ख) वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन, (ग) घरेलू और विदेशी स्रोतों से निवेश को प्रोत्साहन, (घ) रोजगार के अवसरों का सृजन और (ड.) बुनियादी सुविधाओं का विकास।

विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी सेज़ योजना को जबरदस्त समर्थन मिला है। इसका सबूत निवेश का प्रवाह और देश में हुआ अतिरिक्त रोजगार सृजन है। सेज़ योजना को देश और विदेश के निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। सेज़ ने विदेशी मुद्रा अर्जन और बुनियादी ढाँचा के विकास के अलावा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन, नई गतिविधियों की शुरुआत, उपभोग प्रारूप और सामाजिक जीवन में बदलाव, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मानव विकास सुविधाओं के विकास के रूप में कई महत्वपूर्ण स्थानीय प्रभाव छोड़ा है।

अब तक 580 सेज़ परियोजनाओं को औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। इसमें से 367 परियोजनाएं अधिसूचित हो गई हैं। सेज़ परियोजनाओं से कुल 6,20,824 लोग संबद्ध हैं। इसमें से 4,86,120 लोगों को मिला रोजगार नवसृजित है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में यानी 30 सितंबर, 2010 तक सेज़ से हुए कुल निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 55.8 फीसदी की वृद्धि हुई। इस तरह अप्रैल से सितंबर के बीच कुल 1,39,841 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। दूसरी ओर, 30 सितंबर, 2010 तक विशेष आर्थिक क्षेत्रों में कुल लगभग 1,76,148 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इसमें से 1,61,743 करोड़ रुपये का निवेश नवअधिसूचित सेज़ में किया गया। सेज़ में स्वत: अनुमोदित मार्ग से शतप्रतिशत निवेश को मंजूरी दी गई। अभी कुल 122 सेज़ निर्यात कर रहे हैं। इनमें से 69 आईटी या आईटीईएस, 16 बहु-उत्पाद और 37 अन्य क्षेत्र से जुड़े हुए सेज़ हैं। इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों में कुल मिलाकर 3,139 इकाई हैं।

आरटीए/एफटीए/पीटीए

भारत हमेशा से खुली, उचित, निष्पक्ष और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था का समर्थक रहा है। भारत के दृष्टिकोण से क्षेत्रीय व्यापार समझौतों (आरटीए) को व्यापार उदारीकरण के उद्देश्यों को प्राप्त करने का निर्मायक हिस्सा और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का पूरक होना चाहिए। अतीत में, भारत का आरटीए के प्रति रुख बहुत सतर्क और रक्षात्मक रहा था। शुरुआत में यह कुछ द्विपक्षीय या क्षेत्रीय प्रयासों तक ही सीमित था। इनमें मुख्य प्रयास तरजीह कारोबार समझौतों (पीटीए) जैसे एस्कैप क्षेत्र में कर छूट के विनिमय के लिए बैंकॉक समझौता (1975), जी-77 के सदस्य देशों के मध्य कर छूट विनिमय के लिए वैश्विक व्यापार तरजीह प्रणाली (जीएसटीपी, 1988), दक्षिण एशिया में व्यापार को उदार बनाने के लिए सार्क तरजीही कारोबार समझौता (साप्टा, 1993) के जरिए किए गए। हालांकि, इन समझौतों से सदस्य देशों के बीच के कारोबार में सीमित वृद्धि ही हुई। विश्व व्यापार में आरटीए का महत्व पहचानते हुए भारत ने निर्यात बाजार बढ़ाने की मंशा से इस दशक के शुरू से ही अपने व्यापारिक सहयोगियों के साथ बातचीत शुरू कर दी। फिर बातचीत ने समझौते की शक्ल ली। विस्तृत आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) जिसके तहत वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और आर्थिक सहयोग के चिह्नित क्षेत्रों में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) शामिल थे, की ओर भी कदम बढ़ाए गए।

विचाराधीन एफटीए/पीटीए

क्रम पक्ष वार्ता की स्थिति

1. भारत-जापान सीईपीए: बातचीत पूरी हो चुकी है। प्रस्तावित समझौते के तहत वस्तु, सेवा, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, एसपीएसए/टीबीटी शामिल।

2. भारत-यूरोपीय संघ बीटीआईए: 28 जून, 2007 को बातचीत शुरू और अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। वस्तु, सेवा, निवेश, सफाई, कारोबार के समक्ष तकनीकी बाधाएं, व्यापार को सुगम बनाना और कस्टम सहयोग, बौद्धिक संपदा अधिकार और भौगोलिक संकेतक आदि बातचीत के प्रमुख मुद्दे हैं।

3. भारत-आसियन सीईसीए-सेवा और निवेश समझौता: सेवाओं के कारोबार ओर निवेश पर बातचीत जारी। अब तक नौ दौर की वार्ता संपन्न। मार्च 2011 तक बातचीत पूरा कर लेने का लक्ष्य।

4. भारत-श्रीलंका सीईपीए: वस्तुओं का मुक्त व्यापार समझौता मार्च 2000 से लागू। सेवा और निवेश मामलों पर वार्ता जारी।

5. भारत-थाईलैंड सीईसीए: 82 वस्तुओं पर आरंभिक फसल योजना लागू। हालिया बैठक दिसंबर 2010 में।

6. भारत-मलेशिया सीईसीए: वार्ता संपन्न। इस पर दस्तखत जनवरी 2011 में होने और इसके जुलाई 2011 से लागू होने की उम्मीद।

7. भारत-मॉरिशस सीईसीपीए: वार्ता का आखिरी दौर अक्तूबर 2006 में संपन्न हुआ था।

8. भारत-ईएफटीए बीटीआईए: छठे दौर की वार्ता 11 और 12 नवंबर 2010 को संपन्न। अगले दौर की वार्ता संभवत: फरवरी 2011 में।

9. भारत-न्यूजीलैंड एफटीए/सीईसीए: अब तक तीन दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है।

10. भारत-इजराइल एफटीए: 26 मई, 2010 को पहले दौर की वार्ता संपन्न हुई।

11. भारत-सिंगापुर सीईसीए: दूसरी समीक्षा मई 2010 में प्रस्तुत की गई। 2011 मध्य तक पूरा होने के आसार।

12. भारत-एसएसीयू पीटीए: अक्तूबर 2009 में चौथे दौर की वार्ता नई दिल्ली में संपन्न।

13. भारत-मर्कोसुर पीटीए: ज्यादा उत्पाद शामिल करने व ज्यादा तरजीह देने की कोशिश। दूसरे दौर की वार्ता जून 2010 में पूरी।

14. भारत-चिली पीटीए: ज्यादा उत्पाद शामिल करने और ज्यादा तरजीह देने का जतन। दूसरे दौर की वार्ता अगस्त 2010 में पूरी।

15. बिम्सटेक सीईसीए: 18 दौर की वार्ता हो चुकी है। वस्तु, कस्टम सहयोग और व्यापार सरलीकरण पर बातचीत पूरी। सेवा और निवेश को लेकर बातचीत जारी।

16. भारत-जीसीसी फ्रेमवर्क समझौता: सितंबर 2008 में दूसरे दौर की वार्ता आयोजित की गई।

17. भारत-कनाडा एफटीए: नवंबर 2010 में पहले दौर की बातचीत की गई।

प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते

क्रम पक्ष वार्ता की स्थिति

1. भारत-ऑस्ट्रेलिया: जेएसजी रिपोर्ट मई 2010 में जमा।

2. भारत-इंडोनेशिया: जेएसजी रिपोर्ट सितंबर 2009 में जमा। बातचीत शुरू करने के लिए पीएमओ को नोट भेज गया।

3. भारत-तुर्की एफटीए: जेएसजी की तीसरी बैठक अक्टूबर 2010 में दिल्ली में संपन्न। वस्तु, सेवा और निवेश पर वार्ता हुई

4. भारत-मिस्र एफटीए: एफटीए की व्यवाहर्यता जाँचने के लिए जेएसजी के गठन संबंधी संशोधित प्रस्ताव तैयार हो रहा है।

5. भारत-रूस एफटीए: मई 2010 में संयुक्त कार्यबल की चौथी बैठक मॉस्को में। पाँचवी बैठक अक्टूबर 2010 में प्रस्तावित।

6. भारत-मर्कोसुर-एसएसीयू: भारत के व्यापार मंत्री और मर्कोसुर और एसएसीयू के सदस्य देशों की बैठक नवंबर 2009 में जेनेवा में संपन्‍न हुई। इसमें त्रिपक्षीय तरजीह व्यापार समझौते की संभावना तलाशी गई।

7. भारत-चीन: संयुक्त कार्यबल की रिपोर्ट अक्तूबर 2007 में पूरी।

8. हिंद महासागर क्षेत्र-क्षेत्रीय सहयोग संगठन: प्रस्तावित तरजीह कारोबार समझौते में भागीदारी पर भारत की ओर से विरोध। वह इसलिए कि भारत का ज्यादातर आईओआर-एआरसी देशों से पहले ही पृथक व्यापार समझौते हैं।