लेकिन सार्वजनिक रूप से मायावती बिहार में नीतीश कुमार की जीत के लिए उनके द्वारा किए गए विकास कार्यो को श्रेय नहीं दे रही हैं, बल्कि उसका कारण राज्य में विपक्ष की कमजोरी को बता रही हैं।

लेकिन अंदर ही अंदर मायावती कैंप में यह महसूस किया जा रहा है कि यदि राज्य का विकास नहीं किया गया है और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं लाए गए, तो 2012 के चुनावों में पार्टी को फिर से सत्ता में आना कठिन होगा।

बिहार चुनावों के परिणाम आने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री मायावती ने वरिष्ठ अधिकारियोें की एक बैठक बुलाई और राज्य के विकास कार्यो का जायजा लेते हुए कानून व्यवस्था की समीक्षा की। उसमें उन्होंने मिशन 2012 की रणनीति भी तैयार की।

मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य भर के अधिकारियों की बैठक भी की। उन्होंने संबोधित करते हुए उन्होंने उन्हें आदेश किए कि राज्य भर में कानून व्यवस्था की स्थिति मजबूत की जाए।

उन्होंने कहा कि दलितों और महिलाओं पर अत्याचार करने वालों के साथ सख्ती से निबटा जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस मोर्चे पर कमजोरी दिखाने वाले किसी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।

उन्होंने कहा कि कैबिनेट सचिव शशांक शेखर समय समय पर कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करेंगे और इससे जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक करते रहेंगे। फिर वे मुख्यमंत्री को कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे।

मायावती को इस बात का अहसास है कि राज्य में उनकी सरकार कानून व्यवस्था मुद्दे पर बनी है। पिछले विधानसभा आमचुनाव के पहले कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत ही बदतर थी और उस समय पूरा विपक्ष बिगड़े कानून व्यवस्था के लिए मुलायम सिंह यादव को जिम्मेदार बता रहा था। तब जनता ने मायावती और उनकी पार्टी में विश्वास व्यक्त किया।

अब पूरा विपक्ष मायावती सरकार में कानून व्यवस्था के बिगड़े हालात की चर्चा कर रहा है। इसलिए इस मोर्चे पर की गई कोई भी कोताही उनकी पार्टी के फिर से सत्ता मेें आने के रास्ते में रोड़ा बन सकती है।

ममायावती विकास कार्यो को लेकर भी गंभीर है। पिछले साढ़े तीन साल से वे इस बात का रोना रो रही हैं कि केन्द्र सरकार की ओर से उन्हें विकास के लिए जरूरी सहायता नहीं मिल पा रही है।

वे कह रही हैं कि केन्द्र सरकार उन्हें पूर्वांचल और बुंदेलखंड के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपए का पैकेज उपलब्ध नहीं करवा रही है।

मुख्यमंत्री ने राज्य प्रशासन को विशेष हिदायत देते हुए कहा है कि विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने अपनी पार्टी के नेता सतीश मिश्र को विकास कार्यों की समीक्षा करते रहने को हा है। बचे हुए विकास कार्यो को पूरा कराने का जिम्मा भी उन्हें ही दिया गया है।

अपने मंत्रियों और विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने उनसे माफिया तत्वों और अपराधियों से दूर रहने को कहा है। उन्होेने उनसे कहा है कि वे राज्य के लोगों को सरकार की उपलब्धियोें से अवगत कराएं और खासकर दलितों और मुसलमानों के लिए किए गए कामों की विशेष रूप से चर्चा करें।

उन्होंने एक बुकलेट प्रकाशित करवाया है, जिसमें सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की गई है। उसमें दलितों के लिए चलाए गए कार्यक्रमों और उनके उत्थान का खासतौर से उल्लेख किया गया है। मायावती ने अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया पर दलितों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।

मायावती ने यह भी घोषणा की है कि वे अपनी पार्टी के नेताओं के रिश्तेदारों को विधानसभा का टिकट नहीं देंगी। उन्होंने पार्टी नेताओं को फिर से भाइचारा समितियों को संगठित कर उनकी बैठकें आयोजित करने को कहा है ताकि भिन्न भिन्न जातियों के लोगों में मेलजोल बढ़े और पार्टी का जनाधार विस्तृत हो सके। (संवाद)