जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने के बाद आडवाणी के मामले में दोहरा मानदंड अपनाये जाने पर भाजपा में भारी असंतोष के संकेत मिले हैं। बचाव की स्थित का सामना कर रही भाजपा के लिए जसवंत सिंह और आडवाणी के मामले को पृथक बताना मुशकिल हो गया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार जसवंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का फरमान आरएसएस से जारी हुआ था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही जिन्ना के बारे में आडवाणी के दावे को खारिज कर चुके हैं।
'जिन्ना-इंडिया पार्टिशन इंडीपेंडेंस' में जसवंत सिंह ने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करते हुए भारत के विभाजन के लिए जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल को जिम्मेवार बताया है। उनके इस दावे को पहले ही खारिज कर चुकी पार्टी ने साफ कर दिया था कि जसवंत सिंह के दावे पार्टी की विचारधारा के विपरीत है और पार्टी उससे अपने को अलग करती है। जिन्ना की तारीफ करने के अपराध में पार्टी से निकाले गए जसवंत सिंह ने बुधवार को कहा कि मुझे इस बात का अवसोस है कि एेसा करने से पहले पार्टी ने उनसे पूछने तक की जुर्रत महसूस नहीं की। उन्होंने कहा तीस साल तक पार्टी की सेवा करने का उन्हें यह सिला मिला है। यह कहते हुए जसवंत सिंह अनेक बार रो पड़े।
बुधवार को शिमला में पार्टी की शुरू हुई तीन दिवसीय चिंतन बैठक में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जैसे ही वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने की घोषणा की ,बैठक में उपस्थित पार्टी के तमाम नेता हत प्रभ से रह गए। राजनाथ सिंह ने संवाददताओं से बातचीत में कहा, "संसदीय बोर्ड ने उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है।" उन्होंने कहा, "जसंवत सिंह को संदेश भेज दिया गया था कि वह चिंतन बैठक में शामिल न हों।"
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जसवंत सिंह इस फैसले के बाद पार्टी के किसी फोरम के सदस्य नहीं रहेंगे न ही उनके पास किसी प्रकार का पद अथवा जिम्मेदारी रहेगी। उन्होंने कहा, "मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि जसंवत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक में मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में व्यक्त किए गए उनके विचारों से भाजपा ने खुद को अलग कर लिया है।"
चिंतन बैठक में शामिल होने के लिए मंगलवार शाम ही शिमला पहुंच चुके जसवंत सिंह ने अन्य भाजपा नेताओं से अलग ऑबेरॉय समूह के होटल 'सेसिल' में रात गुजारी। आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज सहित अन्य सभी नेता राज्य सरकार के गेस्ट हाउस 'पीटरहॉफ' में ठहरे थे ।
लालकृष्ण आडवाणी की ओर से मंगलवार को दिए गए रात्रिभोज में शामिल होनेसे परहेज किया। लोक सभा चुनाव में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए बैठक बुलाने की मांग कर पहले ही पार्टी नेतृत्व के निशाने पर रहे राजस्थान के राजपूत नेता जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने की कार्रवाई को पार्टी के अनेक नेता बदले की भावना से की गई कारर्वाई मान रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने महानगर से कहा -यह अलोकतांत्रिक और एकतरफा फैसला है जिसकी पार्टी में जवदस्त प्रतिकिया है।
अटल बिहारी वाजपाई की एनडीए सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रह चुके जसवंत सिंह से पहले पूर्व विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा और अरुण शोरी उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने लोक सभा चुनाव में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए नेतृत्व को पत्र लिख कर हार के जिम्मेवार नेताओं को महत्वपूर्ण पद सौपे जाने के खिलाफ असंतोष व्यक्त किया था।
भारतीय राजनीति
आरएसएस के हुक्म पर पार्टी से निकाले गए जसवंत सिंह
भाजपा में उबाल, पार्टी नेतृत्व के निशाने पर थे पूर्व केंद्रीय मंत्री
विशेष संवाददाता - 2009-08-20 09:57
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाले जाने के भाजपा के ताजा फैसले ने लोक सभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी की मुश्किलें बढ़ा दी है। करांची स्थित मोहम्मद अली जिन्ना के मजार पर मत्था टेकने और उनकी तारीफ करने से पार्टी की हुई फजीहत के कारण 2005 में श्री आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।