इस संघर्ष का कारण यह है कि असम के गोलपाड़ा में राभा समुदाय को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, जबकि उससे सटे मेघालय के ईस्ट गारो हिल्स डिस्ट्रिक्ट में उसे यह दर्जा नहीं मिला हुआ है। गारो और राभा समुदाय के लोग सीमा के दोनों तरफ रहते हैं। संविधान की छठी अनुसूची के तहत ईस्ट गारो हिल्स डिस्ट्रिक्ट को आउटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल का दर्जा प्राप्त है। पर चूंकि राभा मेघालय में जनजाति के रूप में २शुमार नहीं किए जाते हैं इसलिए उस जिले की निर्वाचित काउंसिल में उनका प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है।

पिछले बहुज अरसे से राभा जनजाति का दर्जा पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। पर गारो इसके खिलाफ हैं। गारो ही नहीं, बल्कि मेघालय की सरकार भी उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के खिलाफ है। राभा समय समय पर अपनी मांग को लेकर आंदोलन करते रहते हैं। अपने आंदोलन के तहत वे बंद का आहवान करते हैं, जिसके कारण पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाया करता है। इसका असर दोनों राज्य स्थित दोनो जिलो पर पड़ता है।

इस बंद का गारो विरोध करते हैं। इसका कारण यह है कि मेघालय के गारो और खासी जिलों के बीच आवागमन असम के गोलपाड़ा जिले से होकर होता है। गोलपाड़ा में राभा सड़क बंद कर देते हैं और इस तरह मेघालय के दो जिलों का एक दूसरे के साथ संपर्क टूट जाता है। इसके कारण गारो हिल्स के मुख्यालय से कोई राज्य की राजधानी शिलांग भी नहीं जा सकता, क्योंकि दोनों के बीच में गोलपाड़ा और गौहाटी है, जिन्हें पार करके ही एक से दूसरी जबह पर पहुंचा जा सकता है।

साल की पहली तारीख को राभा समुदाय ने एक बाद फिर बंद का आहवान किया। दोनों समुदायों के बीच एकाएक तनाव पैदा हो गया। मामला उस समय और भी बिगड़ गया, जब राभा प्रदर्शनकारियों ने ईस्ट गारो जिले के एक चर्च के फादर की गाड़ी को आगे जाने से रोक दिया। इन इलाकों में बंद की एक खासियत यह है कि इसके दौरान लोग किसी को पैदल भी एक जगह से दूसरी जगह नहीं जाने देते हैं। सड़क पर बिल्कुल कर्फ्यू का माहौल हो जाता है।

गारों के लिए राभा द्वारा आयोजित यह बंद उनकी आर्थिक नाकेबंदी से कम नहीं थी। उसके जवाब में गारो नेशनल काउंसिल ऑफ असम ने 3 जनवरी को 12 घंटे का गोलपाड़ा जिले को बंद रखने का आहवान कर डाला। इसने आग में घी का काम किया। दोनों समुदायों के बीच संघर्ष तेज हो गए। दोनों एक दूसरे पर आक्रमण करने लगे और एक दूसरे के घरों को जलाने लग गए।

8 जनवरी को यह संघर्ष अपने चरमोत्कर्ष पर था। उस दिल लोकसभा के पूर्व स्पीकर पी ए संगमा अपनी मंत्री बेटी अगाथा संगमा और मेघालय विधानसभा में विपक्ष के नेता अपने बेटे के साथ राभा समुदाय के लोगों के एक कैंप के दौरे पर थे। वह कैंप असम के गोलपाड़ा जिले के छोटीमती गांव में था। दौरे के दौरान उनकी गाड़ी को करीब 2000 राभा लोगों ने घेराव कर डाला। वे घातक हथियारों से लैस थे।

स्थानीय चौकी पर तैनात पुलिस उनकी रक्षा करने में असमर्थ थे, क्योंकि राभा लोगों की संख्या के सामने उनकी संख्या बहुत कम थी। तब अगाथा ने अपने मोबाइल फोन से सेना की मदद मांगी। उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि वह केन्द्रीय मंत्री हैं और उनकी जान को खतरा है। उनके फोन ने काम किया। सेना के लोग मौके पर पहुंचे और उन्हें राभा समुदाय के लोगों से बचाया। (संवाद)