खाद्य मुद्रास्फीति लगातार बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में इसके और भी खतरनाक रूप ले लेने का डर बना हुआ है। ताजा महंगाई फलों और सब्जियों की कीमतें बढ़ने के कारण और भी भयावह दिखती है। उनके साथ साथ अंडा, दूध, मक्खन और मछलियों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। चावल और गेहू्र की कीमतें फिलहाल कुछ नियंत्रण में दिखाई पड़ रही हैं। पर प्याज की कीमत तो 70 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि मौसम के कारण आपूर्ति प्रभावित हो रही है, तो मांग और आपूर्ति में आए असंतुलन के कारण भी अनेक चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं। सरकार कह रही है कि सब्जियों की कीमतों का नियंत्रण करना आसान नहीं है, क्योकि सरकार उनकी भंडारण नहीं कर सकती। उसका कारण यह है कि वे सड़ने वाली चीजें हैं।
एसोचैम की एक रिपोर्ट का कहना है कि मुद्रास्फीति की बढ़ती कीमतों के दो मुख्य कारण हैं। एक कारण तो मध्यवर्ग का विस्तार हो जाना है, जिसके कारण मांग पक्ष बहुत मजबूत हो गया है। दूसरा कारण उत्पादक मूल्य और उपभोक्ता मूल्य के अंतर का बहुत बढ़ जाना है। सब्जियों के मामले में यह अंतर तो 70 फीसदी तक है। प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी से यही पता चलता है कि सरकार के पास इस तरह की समस्या के समाधान के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है।
कच्चे तेल की कीमत भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही है। भारत तेल का आयातक देश है। यह अपनी तेल जरूरतों का एक बहुत ही छोटा हिस्सा अपने देशी उत्पादन कर पाता है। जाहिर है, उसे विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के बाद स्थानीय बाजार में तेल उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं जिसका असर मुद्रास्फीति पर पड़ रहा है और महंगाई दिनो दिन बढ़ती ही जा रही है।
पर सवाल उटता है कि केन्द्र सरकार क्या कर रही है? उसने राज्य सरकारों को एलर्ट करना शुरू कर दिया है। इसने प्याज की कीमत पर नियंत्रण करने के लिए आयात के सौदे भी किए हैं। दालों और तेल के आयात के लिए भी सौदे करने की यह योजना बना रही है। प्रधानमंत्री की सलाहकार समिति इस मामले पर सक्रिय हो गई है। निर्यात और आयात की नीतियों की समीक्षा की जा रही है। लेकिन क्या यह पर्याप्त है?
विपक्षी पार्टियों की मानें तो सरकार के ये कदम पर्याप्त नहीं है। महंगाई की बढ़ती समस्या के सामने भी केन्द्र सरकार के ये कदम नाकाफी दिख रहे हैं। विपक्ष को तो एक अच्छा मौका मिल गया है। आने वाले कुछ महीनों में पांच राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। महंगाई को वह एक बड़ा मुद्दा बना रहा है। कांग्रेस का इन चुनावों में बहुत कुछ दाव पर लगा हुआ है। असम में उसकी सरकार है। वह इस बार वहां हैट ट्रिक लगाना चाहेगी। केरले में इस बार कांग्रेस की बारी है। वह चूकना नहीं चाहेगी। कोलकाता में भी यूपीए का पलड़ा भारी है। वाम दलों से सत्ता छीनने का यह मौका कांग्रेस वहां गंवाना नहीं चाहेगी। तमिलनाडु और पांडिचेरी मंे कांग्रेस यूपीए का हिस्सा है और वहां सरकार के गठन में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस बार वह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका उन दोनों राज्यों में निभाना चाहेगी।
कांग्रेस की समस्या दो प्रकार की है। पहले तो उसे लोगों के गुस्से और असंतोष का सामना करना है और दूसरे उसे अपने यूपीए सहयोगियों को भी अपने साथ बनाए रखना है। गौरतलब है कि उसके यूपीए सहयोगी भी महंगाई के मसले पर असहज दिख रहे हैं। इस मसले पर तो एनसीपी के साथ उसका लगातार तनाव बना रहता है। कांग्रेस के नेता जब तब महंगाई के लिए शरद पवार की ओर इशारा करते रहते हैं। राहुल गांधी ने तो यहां तक कह डाला कि गठबंधन के कारण उनकी पार्टी महंगाई रोकने के लिए कठोरर निर्णय नहीं कर पा रही है। जाहिर है, उनका इशारा शरद पवार की ओर था। श्री पवार की पार्टी के कुछ नेता उसके बाद भड़क गए थे और प्रफुल पटेल ने मामले को और भी बिगड़ने से बचाया।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके महंगाई को लेकर परेशान है और वे दोनों पार्टियां भी अपने अपने तरीके से महंगाई के खिलाफ अपना असंतोष व्यक्त कर रही हैं। उनके असंतोष का निशाना कांग्रेस भी बन रही है। कांग्रेय के लिए यह एक बड़ी समस्या बन रही है। कोलकाता में तो ममता बनर्जी को छोड़कर पूरा तृणमूल कांग्रेस ही महंगाई के खिलाफ आंदोलन की ओर बढ़ रही है। ममता भी कब उसमें शामिल हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। जाहिर है महंगाइ्र की समस्या कांग्रेस के गले की फांस बनी हुई है। (संवाद)
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कांग्रेस पर खाद्य मुद्रास्फीति की छाया
यूपीए सहयोगी भी दूर भाग रहे हैं
कल्याणी शंकर - 2011-01-21 10:20
कांग्रेस के सामने महंगाई खतरे की घटी बजा रही है और कांग्रेस अभी भी नींद से जागती दिखाई नहीं पड़ रही है। यदि आने वाले दिनों में महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका, तो कांग्रेस के लिए अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों का सामना करना भी कठिन हो जाएगा। इसके साथ भ्रष्टाचार का मसला भी कांग्रेस का सिरदर्द बढ़ाने का काम कर रहा है।