उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपस में एकता और समन्वय का अभाव तो था ही पार्टी अपने अजेंडे को आम मतदाताओं तक पहुंचाने में विफल रही । कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को चुनाव प्रचार फीका था और चुनावी नारों में आकर्षण का अभाव था तथा हम लोगों की अपेक्षाओं के अनुसार स्पष्ट संदेश नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को पीएम इन वेटिंग के तौर पर पेश किये जाने का मतदाताओं में अच्छा संदेश नहीं गया।

पार्टी के उक्त वरिष्ठ नेता का कहना था कि बैठक में चुनावी हार को लेकर अन्य मुद्दों के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के मैटेरियल के तौर पर पेश करने की पार्टी नेताओं के तरीके की मतदाताओं में हुई विपरीत प्रतिक्रिया पर भी चर्चा हुई। पार्टी के एक अन्य नेता का कहना था कि प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह पर आडवाणी और नरेंद्र मोदी आदि नेताओं ने उन पर जिस तरह के आरोप लगाये उसे मतादाताओं में पसंद नहीं किया जा सका।

जिन अन्य कुछ कारणों को चुनावी हार के लिए जिम्मेवार बताया गया उनमें पीलीभीत से पार्टी के उम्मीदवार वरूण गांधी का सार्वजनिक तौर पर वचाव की कोशिश का लोगों में विपरीत प्रतिक्रिया हुई। (2) पार्टी आम मतदाताओं का मूड पहचानने में विफल रही तथा मुम्बई की आतंकवादी घटना को कांग्रेस के खिलाफ चुनावी मुद्दा बनाने और उसका राजनीतिक लाभ लेने में पार्टी के मैनेजर असफल साबित हुए। जबकि भाजपा शासनकाल में हुए कंधार विमान अपहरण और लोक सभा पर आतंकी हमले को कांग्रेस भुनाने में सफल रही।#