इस सामाजिक महाकुंभ के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। इसमें महात्मा गांधी, विवेकानंद और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बड़े बड़े पोस्टर लगाए गए है और उनके विचारों को उनके सूत्रवाक्य के रूप में दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए महात्मा गांधी के उस वक्तव्य को रेखांकित करते हुए लोगों के सामने पेश किया गया है, जिसमें महात्माजी कहते हैं कि यदि उन्हें कानून बनाने का मौका मिले तो उनके द्वारा बनाया गया पहला कानून धर्म परिवर्त्तन को रोकने का होगा। यानी वे चाहेंगे कि कानून बनाकर धर्म परिवर्त्तन को रोक दिया जाए। लोगों को बताया जा रहा है कि महारानी दुर्गावती ने भी धर्म परिवर्त्तन का विरोध किया था।

निजी बातचीत में महाकुंभ के आयोजक बताते हैं कि इस महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा माहौल बनाना है, जिससे लोगों का ईसाई धर्म में परिवर्त्तन किया जाना बंद हो। इस कुंभ का इस्तेमाल उन लोगों को फिर से हिंदू धर्म में शामिल करने में भी किया जाएगा, जो धर्म बदलकर ईसाई बन गए हैं।

कुंभ के पहले अनेक छोटी छोटी यात्राएं भी निकाली गई थीं, जिन्हें कलश यात्रा कहा जाता है। उस यात्रा के दौरान भी ईसाइयों के खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे। ईसाइयों को कहा जा रहा था कि धर्म परिवर्त्तन कराने का अपना काम वे बंद करें और यदि उन्होंने वैसा नहीं किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय ईसाई नेताओं को यह डर सता रहा है कि उन पर शारीरिक रूप से हमला किया जा सकता है। उनमें से अनेक ने तो पुलिस प्रोटेक्शन की भी मांग की है।

राजधानी भोपाल मे ईसाइयों के कुछ नेताओं ने राज्यपाल और पुलिस महानिदेशक से भी मुलाकात की। उन्होंने कुंभ के आयोजकों द्वारा भड़काने वाली गतिविधियों की शिकायत की। उन्होंने कहा कि यदि स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाया गया तो वहां कंधमाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। फादर आनंद ने संवाद को बताया कि राज्य भर में ईसाइयों के खिलाफ कुंभ के आयोजक एक अभियान चला रहे हैं। वे ईसाई मिशनरियों को भेड़िया की खाल में भेड़ बता रहे हैं। ऐ पंफलेट में तो मदर टेरेसा के बारे में भी आपत्तिजनक बातें की जा रही हैं। एक पंफलेट में कहा जा रहा है कि जब 1498 में वास्को डिगामा कालीकट आया, तो उसने हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी और एक ब्राह्मण को उसने मार डाला था। लेकिन इसके उलट जब 321 में सीरियाई ईसाई भारत आए थे, तो भारत के हिंदू राजाओं ने उनकी रक्षा की थी और उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता भी दी थी।

राज्य सरकार भी इस महाकुंभ को सुगम बनाने के लिए अपनी तरफ से सबकुछ कर रही है। जिले में विकास के काम किए जा रहे हैं। कुंभ में आने वाले लोगों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने पर करीब 150 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहां के स्थानीय लोग इस बात से खुश हैं कि कुंभ के कारण उनके इलाके का विकास किया जा रहा है और अनेक ऐसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जिनके कारण उन्हें कुंभ के बाद भी फायदा होगा। (संवाद)