पहली घटना 14 फरवरी की रात को घटी। उस रोज उत्तरी कोलकाता से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बरासत में 15 साल के एक किशोर की चाकू मार कर हत्या कर दी गई। उसका दोष यह था कि वह अपनी बहन को बलात्कार का इरादा रखने वाले अपराधियों से बचाने की कोशिश कर रहा था।
उस किशोर का नाम राजीब था। वह अपनी बड़ी बहन रिंकू के साथ अपने घर जा रहा था। रिंकू एक बीपीओ कंपनी के लिए काम करती है। काम समाप्त होने के बाद वह घर जा रही थी और उसका छोटा भाई राजीब उसके साथ था। रास्ते में अपराधियांे के बीच वह फंस गई और अपराधी बलात्कार के इरादे से उसके साथ जोर जबर्दस्ती करने लगे। पर उसके भाई ने उसे बचाना शुरू कर दिया।
फिर तो अपराधियों ने राजीब पर चाकू से हमला करना शुरू कर दिया। पास में ही जिले के डीएम, एसपी और एएसपी के बंगले हैं। उनके फाटको पर पुलिस बल तैनात थे। रिंकू ने उनसे राजीब की मदद की गुहार लगाई, लेकिन वे अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए और कहा कि उनको जो ड्यूटी मिली हुई है, उससे ज्यादा वे कुछ भी नहीं कर सकते। एक बुजुर्ग आदमी भी रिंकू के साथ राजीब को गुंडों से बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस वाले उन्हें बचाने नहीं पहुंचे।
इससे पता चलता है कि पिछले 3 दशकों मे वाम मोर्चा के नेतृत्व में किस तरह के पुलिय बल अस्तित्व में आए हैं। अपराध डीएम और एसपी के बंगले के पास हो रहे थे। इससे यह पता चलता है कि राज्य में सुरक्षा का माहौल कितना खराब है। डीएम के दरवाजे से गुजरने वाला व्यक्ति भी यदि अपराधियों से सुरक्षित नहीं हो, तो और इलाकों की क्या स्थिति होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
राजीब की मौत मौके पर नहीं हुई थी। भले ही डीएम और एसपी के प्रहरी पुलिस वालों ने उसकी सहायता नहीं की, लेकिन स्थानीय लोग घायल राजीव को लेकर स्थानीय सरकारी अस्पताल पहुंचे। वहां की हालत भी अच्छी नहीं थी। इलाज की कोई सुविधा ही नहीं थी और न ही कोई इलाज करने वाला व्यक्ति रात में वहां मौजूद था। उपस्थित क्लर्क ने एक के बाद एक बहुत सारे फॉर्म भरवाने शुरू कर दिए और उसी बीच राजीब की मौत हो गई।
राजीब की मौत राज्य भर में चर्चा का विषय बन गई है। वाम मोर्चा और विपक्षी तृणमूल वाले इस पर राजनीति कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग इन राजनीतिज्ञों को राजीब के घर से बाहर का रास्ता दिखाने में लगे हुए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच राजीब को अपना समर्थक बताने की होड़ लगी हुई है।
राज्य के आला अघिकारियों की शर्म की कोई सीमा नहीं दिखाई पड़ती। वे कह रहे हैं कि जिस इलाके में वह अपराध हुआ, वह अपराधियों का अड्डा है इसलिए वहां से रिंकू को गुजरना ही नहीं चाहिए था। यह कहते हुए उन अधिकारियों को कोई ग्लानि नही ंहो रही है कि जिस इलाके में डीएम और एसपी का आवास है वह इलाका भी लोगों के लिए महफूज नहीं है।
राजीब की हत्या की घटना के बाद 18 फरवरी को एक और घटना घटी, जिसने वाम मोर्चा सरकार की मुस्तैद पुलिस की पोल खोल दी है। उस दिन कोलकाता उच्च न्यायालय ने नेताई हत्या कांड की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। नेताई मं 9 गरीबों की हत्या कर दी गई थी। आरोप सीपीएम के स्थानीय नेताओं पर ही लग रहे हैं। राज्य सरकार ने मामला सीआईडी को दे रखा था।
पर अदालत ने सीआईडी जांच को अपर्याप्त माना। सच कहा जाय तो जांच के नाम पर कुछ हो हीनहीं पा रहा था। 9 लोगों की हत्या हो गई थी, पर किसी को बिरफ्तार तब नहीं किया गया था। अदालत द्वारा पूछा जाने पर कहा गया कि 6 लोगों की पहचान की गई है, पर वे दूसरे राज्यों में भाग गए हैं ओर उनको गिर्फतार करने की कोशिश की जा रही है। बाद में अदालत को दिखाने के लिए दो छुटभैय्ये आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जबकि वहां के लोगों का आरोप है कि बड़े अपराघी भी उसी इलाके में बेखौफ घूम रहे हैं।
सीआईडी की जांच प्रगति से नाखुश होकर उच्च न्यायालय ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं और राज्य की पुलिस को कहा गया है कि वे सीबीआई के साथ सहयोग करें। राजीब की हत्या के बाद कोलकाता उच्च न्यायालय का यह आदेश वाममोर्चा को लगा एक और झटका है, जिसका असर विधानसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा। (संवाद)
भारत
वाममोर्चा को झटका पर झटका
उच्च न्यायालय ने राज्य प्रशासन को लताड़ा
आशीष बिश्वास - 2011-02-21 10:20
कोलकाताः विधानसभा का चुनाव सिर पर है और दुबारा सत्ता में आने की चुनौती का सामना कर रहे वाम मोर्चा को झटके पर झटके लग रहे हैं। बीते सप्ताह में दो ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिसे वाम मोर्चा सरकार के सुशासन की पोल खुल गई है।