पीस पार्टी के अध्यक्ष डाक्टर अयूब और रालोद अध्यक्ष अजित सिंह ने मोर्चे की नीति का खुलासा करते हुए कहा कि मोर्चे के साथ गठबंधन में न तो कभी भारतीय जनता पार्टी को शामिल किया जाएगा और न ही कल्याण सिंह को। बाद के दिनों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ किसी समझौते की संभावना को बरकरार रखा गया है। मोर्च के नाम और उसका न्यूनतम साझा कार्यक्रम अभी तय किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि तय करने करने के बाद उसकी घोषणा शीघ्र कर दी जाएगी।
दोनों नेताओं ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य राज्य से मायावती के शासन को हटाना है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को वे इसलिए हटाना चाहते हैं क्योंकि इसमें अपराघियों को प्रश्रय मिल रहा है और चौतरफा भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राजनैतिक पंडितों का मानना है कि यह मोर्चा मायावती को हटाने का अपना उद्देश्य तभी हासिल कर पाएगा, जब वह सपा अथवा कांग्रेस में से किसी एक के साथ चुनाव के दौरान समझौता करके मैदान में उतरे।
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह पश्चित उत्तर प्रदेश में कई बार अपने प्रभाव का प्रदर्शन कर चुके हैं। अब वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी अपने प्रभाव का विस्तार करना चाह रहे हैं। अब तक वे सीटों के तालमेल में पूर्वी उत्तर प्रदेश के मामले मे कांग्रेस अथवा समाजवादी पार्टी के सामने कमजोर पड़ जाते थे और उनके एक भी उम्मीदवार को वहां से टिकट नहीं मिल पाता था। लेकिन पीस पार्टी और भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद वे उस क्षेत्र में भी कांग्रेस अथवा समाजवादी पार्टी से अपने गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए सीटें पा सकते हैं। गौरतलब है कि पीस पार्टी का पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों पर अच्छी पकड़ है और भारतीय समाज पार्टी राजभर जाति के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
पीस पार्टी की चर्चा लोकसभा के चुनावों में भी हो रही थी, लेकिन उसने अपनी ताकत का एहसास उसके बाद हुए विधानसभा के उपचुनावों में करवाना शुरू किया। डुमरियागंज विधानसभा के उपचुनाव में उसके उम्मीदवार को अच्छे मत मिले। लखीमपुर खीरी के उपचुनाव में तो पीस पार्टी के उम्मीदवार ने दूसरा स्ािान हासिल कर लिया था। उसके उम्मीदवार की उपस्थिति का नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई और उसे चौथा स्थान हासिल हुआ, जबकि लोकसभा चुनाव के पहले वह सीट कांग्रेस के पास थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी पीस पार्टी का प्रभाव बढ़ा है और उसके कारण समाजवादी पार्टीए कांग्रेस और बसपा की राजनैतिक गणना उलट पलट हो रही है।
मायावती की तरह ही डाक्टर अयूब ने मत ट्रांस्फर करने की अपनी ताकत दिखाई है। जिस तरह से मायावती दलितों का मत अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को भी दिलवा देती हैं, उसी तरह डाक्टर अयूब अपने समर्थक मुसलमानों का वोट गैर मुस्लिम उम्मीदवारों को ट्रांस्फर कराने की अपनी ताकत का प्रदर्शन कर चुके हैं।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पीस पार्टी को अपने खेमे में लानें की कोशिश कर रही थी। दोनों में से कोई सफल होती, उसके पहले ही अजित सिंह ने उसे अपने गठबंधन का हिस्सा बना लिया। इस क्रम में डाक्टर अयूब ने भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ सीटों की सौदेबाजी की अपनी ताकत बढ़ा ली है। (संवाद)
भारत
अजित सिंह मायावती के खिलाफ मोर्चा बनाया
भाजपा और कल्याण सिंह से उनका कोई संबंध नहीं होगा
प्रदीप कपूर - 2011-03-03 09:29
लखनऊः राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह ने 5 छोटी पार्टियों के साथ मिलकर एक मोर्चा बनाया है, ताकि विधानसभा के अगले चुनाव में मायावती की बसपा को पराजित किया जा सके। राष्ट्रीय लोकदल के अलावा मोर्चे में पीस पार्टी, इंडियन जस्टिस पार्टी, भारतीय समाज पार्टी, मोमिन कांग्रेस और जनवादी पार्टी शामिल है।