सबसे ज्यादा दिक्कत केरल कांग्रेस (मणि) के साथ आ रही है। 2006 के चुनाव में मणि गुट को 11 सीटें दी गई थीं। पर इस बीच मणि गुट में जोसेफ गुट का विलय हो गया है। पिछली बार जोसेफ गुट लोकतांत्रिक वाम मोर्चा के साथ था। सीपीएम के नेतृत्व वाले मोर्चे ने जोसेफ गुट को 8 सीटें दी थीं। इस तरह मणि गुट का कहना है कि साधारण अंकगणित के आधार पर उसका दावा 17 सीटों पर अपने आप बन जाता है। पर दोनों गुटों के विलय के कारण पार्टी की संयुक्त ताकत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। और बढ़ी हुई ताकत के कारण उसे 23 सीटें मिलनी चाहिए।
लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस केरल कांग्रेस के मणि गुट को 16 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है। मणि गुट ने जोसेफ गुट के नेता पी जे जोसेफ की उम्मीदवारी की एकतरफा घोषणा कर दी है, जिसके कारण कांग्रेस नाराज हो गई है। जिस सीट से पी जे जोसेफ को उम्मीदवार बनाया गया है, उस सीट को कांग्रेस अपना मजबूत गढ़ मानती है, पर मणि गुट का कहना है कि उस सीट से पी जे जोसेफ कई बार चुनाव जीत चुके हैं।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा की दूसरी सबसे बड़ी घटक पार्टी है। कांग्रेस का उसके साथ भी सीट के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। लीग कम से कम 23 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, पर कांग्रेस उसके लिए तैयार नहीं है। विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्सीमन के कारण भी कुछ सीटों के लिए दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया है।
पूर्व मार्क्सवादी नेता के आर गौरी की पार्टी जनाधिपत्य संरक्षणा समिति के साथ भी कांग्रेस की निभ नहीं पा रही है। उसके कारण भी कांग्रेस को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चुनाव में गौरी की पार्टी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी वह इतनी ही सीटें चाहती हैं, लेकिन कांग्रेस उसे उतनी सीटें नहीं देना चाहती। वह उसे 3 से ज्यादा सीटें देने के हक में नहीं है। सुश्री गौरी धमकी दे रही हैे कि यदि उनीि पार्टी को 5 सीटें नहीं मिली तो वह कांग्रेस के मोर्चे से बाहर चली जाएगी। सुश्री गौरी वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ बातचीत चला रही है। यह अब किसी से छिपा नहीं रहा।
उसी तरह मोर्चे में नए नए आए एमपी बीरेन्द्र कुमार की सोशलिस्ट जनता (डेमोक्रेटिक) के साथ भी सीटों को लेकर तालमेल नहीं बन पा रहा है। श्री कुमार 18 सीटों पर दावा कर रहे हैं, पर कांग्रेस 6 या 7 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है। श्री कुमार कांग्रेस की लो या जाओ के रवैये से नाखुश चल रहे हैं।
नामांकन दाखिल करने की तिथि नजदीक आ रही है। इसलिए कांग्रेस के पास अपने सहयोगी दलों के साथ विवाद मिटाकर सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए ज्यादा समय बचा भी नहीं है। (संवाद)
भारत
केरल में कांग्रेस को करना पड़ रहा है कड़ी मशक्कत
सीटों के बंटवारे का काम वहां भी आसान नहीं
पी श्रीकुमारन - 2011-03-10 09:51
तिरुअनंतपुरमः तमिलनाडु में भले ही कांग्रेस ने डीएमके को अपनी २शर्तें मानने के लिए बाध्य कर दिया हो, लेकिन पड़ोसी केरल में उसे अपने जूनियर पार्टनरों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर नाको चने चबाने पड़ रहे हैं।