एक स्तर पर लगता है कि वामदलों के नेतओं ने पिछले लोकसभा चुनावों से कुछ सबक लिया है। उस समय भी उन्हें लग रहा था कि उनकी स्थिति अच्छी नहीं है, पर उन्होंने यह नहीं सोचा था कि उनकी ऐसी हार होगी कि उनकी सीटों की संख्या तृणमूल और कांग्रेस की सीटों की संख्या से भी कम हो जाएगी। उस समय राज्य की 42 सीटों में से 26 पर तृणमूल और कांग्रेस के उम्मीदवारों का कब्जा हो गया था, जबकि वाममोर्चा को मात्र 15 सीटों पर ही सफलता हासिल हुई थी। एक अन्य सीट पर भाजपा के जसवंत सिंह चुनाव जीते थे।
लोकसभा के पहले पंचायत चुनावों में भी वाममोर्चा की फजीहत हुई थी, लेकिन उसके चुनाव परिणामों को उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था, पर इस बार लगता है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद वे कुछ बदले बदले नजर आ रहे हैं और उन्हें सत्ता अपने हाथ से जाती हुई दिखाई पड़ रही है। हालांकि आशावादी नेताआंे का मानना है कि स्थिति पहले से कुछ बेहतर हुई है।
सीटों के बंटवारे की चर्चा में भी वामदल लगे हुए हैं। इस बार सीपीआई, फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी पहले से ज्यादा सीटों का दावा कर रहे हैं। फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी का कहना है कि लोकसभा चुनावों में उनके उम्मीदवारों को आपेक्षिक रूप से ज्यादा सफलता मिली थीख् इसलिए उन्हें विधानसभा में ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। उनका मानना है कि लोगों को गुस्सा सीपीएम के उम्मीदवारों के खिलाफ ज्यादा रहेगा, जबकि उनके उम्मीदवारों के खिलाफ कम, इसलिए उनके उम्मीदवार जीतने की स्थिति में होंगे।
दूसरी तरफ सीपीआई सीपीएम को अतीत में किए गए वायदों को याद दिलाते हुए ज्यादा सीटें मांग रही है। उसका कहना है कि पिछले दो दशकों से सीपीएम इस तरह का वायदा करती रही है। ज्यादा सीटों के लिए वह अगले चुनाव का राग अलाप देती है। अब वह चाहती है कि इस बार उसे ज्यादा सीटें मिले।
दूसरी तरफ ममता बनर्जी की भी कांग्रेस से सीटों के बंटवारे के लिए बातचीत चल रही है। लोकसभा चुनाव में 42 सीटों मंे से 28 पर तृणमूल ने उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि कांग्रेस ने 14 पर। उसी फार्मूले को आधार बनाकर कांग्रेस 98 सीटों का दावा कर थी, क्योंकि पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं। पर ममता उसे 60 के आसपास सीटें देना चाहती हैं। (संवाद)
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव : वाममोर्चा के हौसले पस्त
आशीष बिश्वास - 2011-03-12 18:23
कोलकाताः राज्य में विधानसभा का बिगुल बज चुका है। निर्वाचन आयोग ने मतदान की तारीखें घोषित कर दी हैं। सभी पार्टियां चुनाव के लिए कमर कस रही हैं। लेकिन चुनाव के पहले इस बार वाममोर्चा की पार्टियों के अंदर माहौल बदला बदला सा नजर आ रहा है। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के अंदर उत्साह का माहौल बना हुआ है।