आंदोलन के दौरान राज्य भर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता भारी संख्या में सड़को पर आ गए। उन्हें देखकर यही लग रहा था कि समाजवादी पार्टी की राजनैतिक जमीन कमजोर नहीं हुई है। कांग्रेस कुछ समय से अपने आपको मजबूत करने का दावा कर रही है। लोकसभा चुनावों में मिली बेहतर सफलता और उसके बाद फीरोजाबाद में कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर की विजय के बाद यह लग रहा था कि कांग्रेस प्रदेश की राजनीति में मायावती को चुनौती देने वाली सबसे ताकतव पार्टी होगी।

कांग्रेस का उत्थान समाजवादी पार्टी की कीमत पर ही होना था। इसलिए कुछ लोगों को लग रहा था कि कांग्रेस के उत्थान के साथ ही समाजवादी पार्टी का पतन होता जाएगा। पिछले पखवारे तीन दिनों का आंदोलन कर समाजवादी पार्टी ने इस तरह की राय रखने वाले को गलत साबित कर दिया है। उस आंदोलन से यह साफ हो गया है कि मायावती को अपनी कुर्सी से हटने का खतरा मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी की तरफ से ही है, कांग्रेस अथवा भाजपा से नहीं।

आंदोलन को मिली सफलता से समाजवादी पार्टी में उत्साह का माहौल है और उसके नेता विधानसभा चुनाव के बाद अपनी सरकार बनने का सपना अभी से देखने लगे हैं। आंदोलन के दौरान सपा के कार्यकर्त्ताओं और नेताओ के साथ पुलिस और प्रशासन ने ज्यादतियां भी की थीं। ज्यादती में शामिल अधिकारियों को अभी से समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह चेतावनी दे रहे हैं कि उनकी सरकार आने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आंदोलन के दौरान कई जगह पुलिस ने लाठी चार्ज किया। मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव तक को नहीं बख्सा गया। उनके ऊपर भी लाठी चले। आंदोलन के दौरान न तो सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और न ही कहीं किसी बस को तोड़ा गया। जाहिर है, वह आंदोलन शांतिपूर्ण था। यानी पुलिस ने आंदोलन के शांतिपूर्ण होने के बावजूद लोगों पर लाठियां चलाई।

बात सिर्फ लाठियां चलाने तक सीमित नहीं रही। मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव को लखनऊ के उनके घर में ही कैद कर दिया गया। वे संसद जाना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस उन्हें घर से ही नहीं निकलने दे रही थी। अंत में उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की सहायता ली। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि वे संसद की कार्रवाई में भाग लेने के लिए घर से निकलना चाहते हैं, पर पुलिस उन्हें घर से बाहर नहीं जाने दे रही। फिर सुश्री कुमार के हस्तक्षेप के बाद ही वे अपने घर से बाहर निकल सके।

दिल्ली से लखनऊ लौटने के बाद अखिलेश यादव के साथ खराब बर्ताव किया गया। हवाई अड्डे पर ही उन्हें रोक दिया गया और पुलिस ने उनके साथ वही सलूक किया जो किसी माफिया डॉन के साथ किया जाता है।

समाजवादी पार्टी तीन दिवसीय आंदोलन के सफलता के बाद उस दौरान हुए अत्याचारों के खिलाफ अब आंदोलन चलाने जा रही है। मुख्यमंत्री मायावती आंदोलन के दौरान अधिकारियों के बर्ताव की प्रशंसा करते हुए कह रही है ंकि सपा के आंदोलनकारियों के खिलाफ आगे भी सख्त कार्रवाई करेगी।

अब समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव तक राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलनात्मक रुख बनाए रखने की योजना बना रही है। (संवाद)