यदि कांग्रेस अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है, तो उसके कुछ ठोस कारण भी हैं। एक सबसे बड़ा कारण तो यह है कि विपक्ष वहां बिखरा हुआ है। देश के इस पूर्वी राज्य में कांग्रेस को तीन मुख्य प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ता है। सबसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी असम गण परिषद है, जिसके हाथों कांग्रेस को अतीत में हार का सामना भी करना पड़ चुका है। दूसरी प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी है। वहां तीसरी मुख्य विपक्षी पार्टी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट है।

यदि तीनों पार्टियां आपस में हाथ मिला लें, तो कांग्रेस की हार निश्चित है, क्योकि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को 20 फीसदी मत ही हासिल हुए थे। यानी उसके खिलाफ 71 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे, पर विरोध में पड़े मतों के बिखराव के कारण कांग्रेस जीती। इस बार भी चुनाव में उनके विरोधी मतों का बिखरना तय है।

इन तीनों विपक्षी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ एक साथ नहीं आ सकते। यूडीएफ का मुख्य समर्थन आधार राज्य के मुस्लिम मतदाता हैं, जो कभी भी भाजपा अथवा असम गण परिषद के पक्ष में अपनी रुझान नहीं दिखा सकते, इसका कारण है कि ये दोनों पार्टियां राज्य में हिन्दुत्व की राजनीति करती है।

असम गण परिषद और भारतीय जनता पार्टी हिन्दुत्व की राजनीति करने के बावजूद एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अतीत में इन्होेने आपस में गठबंधन करके भी चुनाव लड़े हैं, लेकिन दोनों की समस्या यह है कि दोनों का समर्थन आधार एक है और दोनो एक दूसरे की कीमत पर भी आगे बढ़ सकते हैं। यानी यदि भाजपा मजबूत होती है, तो परिषद कमजोर होती है और जब परिषद मजबूत होती है, तो भाजपा कमजोर होती है। इसके कारण दोनों की दिलचस्पी एक दूसरे को मजबूत करने की नहीं, बल्कि कमजोर करने की है और दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहती।

जीत के प्रति आश्वस्त होने का यही कांग्रेसी राज है। उसके राज्य मुख्यालय पर हमला हुआ, लेकिन इससे उसका आत्म विश्वास नहीं डिगा है। उस हमले के बाद मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि उनकी पार्टी उल्फा द्वारा किए गए इस प्रकार के हमले से नहीं डरेगी।

काग्रेस ने अबतक 126 सीटों में से 118 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। बाकी के 8 सीटों मे एक गोहपुर है, जहां के उम्मीदवार को लेकर प्रदेश अघ्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का मतभेद है। इसका कारण यह है कि जिस उम्मीदवार को आगे बढ़ाया जा रहा है, उसके खिलाफ सीबीआई का मामला दर्ज ळें

लोगों के बीच भ्रष्टाचार भी एक मसला हो सकता है, लेकिन इसका फायदा विपक्षी पार्टियां नहीं उठा सकती। इसका कारण यह है कि यदि कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है, तो कांग्रेस के पास भी असम गण परिषद के खिलाफ भ्रष्टाचार के बारे में बोलने के लिए बहुत कुछ है। उसी तरह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ भी कांग्रेस के पास बोलने के लिए बहुत कुछ है। (संवाद)