चुनावी नतीजे चाहे जो हो, लेकिन भारतीया जनता पार्टी इस बार केरल में अपना खाता खोलने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए उसने त्रिस्तरीय रणनीति अपना रखी है।

केरल भाजपा 6 विधानसभा क्षेत्रों को अलग कर उन पर खास घ्यान दे रही है। ये विधानसभा क्षेत्र हैं- मंजेश्वरम, कसारगोडे, नेमाम, तिरुअनंतपुरम, कट्टाक्कडा और वाट्टिवुरकावु। नेमाम में पार्टी ने अपने राज्य के अपने सबसे वरिष्ठ नेता पूर्व रेल मंत्री ओ राजगोपाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। निलेश्वरम में भाजपा ने अपनी केरल ईकाई के महासचिव के सुरेन्द्रम को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के विरोधी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि इन दो उम्मीदवारों को हराना कोई आसान काम नहीं है।

भाजपा नेता सुषमा स्वराज, पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, राज्य सभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली और पूर्व पार्टी अध्यक्ष वेंकैया नायडू भाजपा उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं।

पार्टी ने 40 अन्य सीटों का चुनाव किया है, जहां उसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। ये सीटें राज्य के सभी क्षेत्रों में हैं।

इस बार भाजपा राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। ऐसा यह पहली बार कर रही है। पहले वह सभी सीटों पर चुनाव नही ंलड़ती थी। उस पर तब आरोप लगता था कि वह जीतने वाले उम्मीदवारों के पक्ष में अपन समर्थक मतदाताओं को वोट करने के लिए कह देती थी। पर इस बार भाजपा किसी और के पक्ष में अपने समर्थकों का वोट ट्रांस्फर करने के मूड में नहीं है।

भाजपा ने मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के खिलाफ अपनी पार्टी के उम्मीदवार नहीं खडे़ किए हैं। वहां जनता दल (यू) का उम्मीदवार खड़ा है। भाजपा का कहना है कि वह सीट उसने जद(यू) के लिए छोड़ दी है, जो एनडीए का उसका सहयोगी है। जद(यू) की उस सीट को जोड़कर ही भाजपा सभी सीटों से चुनाव लड़ने का दावा कर रही है।

भाजपा को कुछ सीटंे मिलने की उम्मीद तो है ही, उसे यह भी लगता है कि उसका मत प्रतिशत इस बार 10 तक पहुंत्र जाएगा। गौरतलब है कि 2006 के विधानसभा चुाव मे उसका मत प्रतिशत 4 दशमलव 7 था।

भाजपा की रणनीति की एक खासियत यह है कि इस बार आरएसएस के नेताओं ने चुनाव प्रचार की जिम्मा अपने ऊपर ले रखा है। पहली प्राथमिकता वाली सीटों पर आरएसएस के नेता खास रूप स सक्रिय देखे जा सकते हैं।

भाजपा यदि इस बार ज्यादा आशान्वित है तो इसका कारण स्थानीय निकायों के चुनावों में मिली उसी सफलता है। उन चुनावों मंे भाजपा ने पहले की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया था। यह चुनाव पिछले साल अक्टूबर के महीने में ही हुआ था। (संवाद)