ताजा ममला पुणे व्यवसाई हसन अली से जुड़ा है। उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जांच चल रही है और जांच के तहत उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी विजय शंकर पांडे का नाम भी सामने आया है। श्री पांडे को मायावती सरकार के अंदर अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिली हुई थीं और माना जाता था कि वे मुख्यमंत्री के बहुत खास हैं।

हसन अली द्वारा विदेशों में जमा कराए काले धन की जांच कर रहे प्रवर्त्तन निदेशालय ने श्री पांडे के खिलाफ भी समन जारी किया है। उनके समन के बाद राज्य सरकार ने उन्हें सारी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है। अब प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि हसन अली से संबंधित जो भी मामला सामने आया है अथवा आने वाला है, उसके लिए श्री पांडे खुद निजी तौर पर जिम्मेदार हैं और उनसे राज्य प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है। जाहिर है राज्य सरकार ने श्री पांडे से दूरी बना ली है

पर विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं है। उसका कहना है कि हसल अली के तार श्री पांडे की मार्फत खुद मुख्यमंत्री मायावती से जुड़़े हुए हैं और मायावती को अब अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यह मानते हुए कि मायावती अपनी तरफ से खुद इस्तीफा तो देगी नहीं, विपक्ष राज्यपाल बीएल जोशी से मांग कर रहा है कि वह मायावती की सरकार को ही बर्खास्त कर दे।

विधानसभा में विपक्ष के नेता समाजवादी शिवपाल सिंह का आरोप हैं कि मायावती सरकार का काले धन के मालिक हवाला व्यवसायी हसन अली से सीधा संबंध साबित हो गया है। मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए शिवपाल कहते हैं कि मायावती शासन के दौरान भ्रष्टाचार से कमाई गई धनराशि को हसन अली के माध्यम से विदेशों मंे भेजा गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सचिवालय की चर्चा तक हुई है। इसलिए इसमें शामिल अन्य अधिकारियों का भी पर्दाफाश होना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी ने तो राज्यपाल बीएल जोशी से मांग की है कि वे मायावती की सरकार को ही बर्खास्त कर दें, क्योंकि उनकी सरकार की संलिप्तता हसन अली के साथ सामने आई है।

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि जब कभी भी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार व अपराध के मामले सामने आते हैं सरकार उस भ्रष्ट राजनेता अथवा नौकरशाह से अपने आपको अलग करने की कोशिश करने लगता है और इस मामले में भी यही किया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव व अखिलेश यादव ने अभी हाल ही में स्मारक व मूर्त्तियों के निमाण में 40 हजार करोड़ रुपए के हुए घोटाले का पर्दाफाश किया है। उनका आरोप है कि उसमें सरकारी धन की खुली लूट की गई। अपनी कीमत से कई गुना दर पर राजस्थान से पत्थर खरीदे गए। महंगे अष्टधातु का उपयोग भी अनावश्यक रूप से किया गया।

हसन अली से जुड़ा यह मामला उस समय सामने आया है, जब पूरे राज्य में तीन वरिष्ठ डाक्टरों की हत्या का मामला तूल पकड़ रहा है। तीनांे डाक्टर राय सरकार के परिवार कल्याण विभाग से जुड़े हुए थे और तीनों की हत्या एक ही तरीके से की गई। तीनों का कत्ल उस समय किया गया, जब वे सुबह की सैर के लिए घर से निकले हुए थे।

उनकी हत्या की वजह विभाग में जारी भ्रष्टाचार को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि तीनों डाक्टरों पर दबाव था कि वे जाली बिल पर दस्तखत करें और झूठे टेडर का दस्तावेज तैयार करें। उन्होंने वेैसा करने से इनकार कर दिया और उसके कारण ही उनकी हत्या कर दी गई। उन्ही हत्या के बाद मायावती ने दो मंत्रियों को हटा दिया और उन दोनों से किनारा भी कर लिया है। विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने इन डाक्टरों की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने एक मार्च का आयोजन भी किया। पूरा विपक्ष उनकी इस मांग के पक्ष में है।

भारतीय जनता पार्टी ने मायावती सरकार के दौरान 100 घोटाले में 2 लाख 70 करोड़ रुपए की लूट का एक अध्ययन करवाया है। इसके साथ ही उसने राज्यपाल से मायावती सरकार के बर्खास्त करने की मांग भी की है। (संवाद)