पार्टी तो उस समय भी तिलमिलाई थी, जब ए राजा के खिलाफ मुकदमा चला कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। पार्टी तो उनके इस्तीफे के लिए भी तैयार नहीं थी। खुद करुणानिधि उनके मंत्रिपरिषद से हटाए जाने का विरोध कर रहे थे और उन पर हो रहे हमले को पार्टी की छवि बिगाड़ने का प्रयास तक कह रहे थे। लेकिन उन्हें ए राजा की गिरफ्तारी को पचाना पड़ा। उस समय पार्टी को विधानसभा चुनाव का सामना करना था। उसके लिए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव भी लड़ना था। कांग्रेस का साथ छोड़ने पर उसके अन्ना एडीएमके के साथ हाथ मिलाने का खतरा था। इसलिए पार्टी ने केन्द्र सरकार और कांग्रेस का साथ बनाए रखना ही जरूरी समझा, हालांकि वह यह भी कहती रही कि कांग्रेस उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।

राज्य में मतदान हो चुका है। नतीजे 13 मई को आएंगे। राज्य के दोनों मोर्चे अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। यदि डीएमके के नेतृत्व वाला मोर्चा जीतता है तो इस बार मिली जुली सरकार बनेगी और तब डीएमके को कांग्रेस के साथ राज्य में भी सत्ता की साझेदारी करनी पड़ेगी। यही कारण है कि कनिमोझी के खिलाफ मुकदमे को भी पार्टी को स्वीकारना पड़ा है और उसे अब सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़कर ही उन्हें बचाने और पार्टी की छवि की रक्षा करने के विकल्प का एलान किया गया है।

सीबीआई ने अपने दूसरे अभियोग पत्र में कनिमोझी को सह साजिशकर्त्ता बताया है। उसका कहना है कि 2 जी स्पेक्ट्रम की बिक्री में कलईगर टीवी को घूस दिए गए। घूस की रकम 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की थी। उस टीवी चेनल में कनिमोझी का शेयर 20 फीसदी है, जबकि उनकी मां और करुणानिधि की तीसरी बीवी के पास उस चैनल का 60 फीसदी है। कनमोझी के खिलाफ मुकदमा तो चलाया गया है, लेकिन उनकी मां दयालु अम्मा के खिलाफ अ्रभी तक मुकदमा नहीं चलाया गया है।

कनिमोझी को 6 मई को अदालत के सामने पेश होना है। उसी दिन उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। 2 जी स्पेक्ट्रम की बिक्री में हुई धांधली से जुड़े इस मामले पर राज्य का विपक्ष अपने तरीके से प्रतिक्रिया कर रहा है। डीएमडीके के नेता कैप्टन विजयकांत कह रहे हैं कि घोटाले की सही तरीके से जांच के लिए करुणानिधि को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उनके इस्तीफा नहीं देने की स्थिति में केन्द्र सरकार को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। दूसरी तरफ दयालु अम्मा के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने के सीबीआई के निर्णय की भी आलोचना की जा रही है। कुछ तो कह रहे हैं कि करुणानिधि के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

सीपीएम के नेता तो कह रहे हैं कि कलइगर टीवी चैनल को भी बंद कर दिया जाना चाहिए क्योंकि घूस की राशि से ही उस चैनल की शुरुआत हुई है। राज्य के कुछ राजनैतिक गुटों ने अब अपने आपको करुणानिधि से अलग भी कर लिया है। (संवाद)