उस समय कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का साथ नहीं दिया था। केन्द्र की यूपीए सरकार इस कीटनाशक की पक्षधर थी और उसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत तब प्रदेश के कांग्रेसी नेता नहीं कर रहे थे। पर अब जेनेवा की एक बैठक के बाद विश्व समुदाय ने इसे दुनियाभर में प्रतिबंध करने का फैसला कर लिया है। यानी जिस मांग को केन्द्र सरकार ने पूरा नहीं किया, उसे विश्व समुदाय ने पूरा कर दिया है। अब भारत सहित दुनिया भर में यह कीटनाशक प्रतिबंधित हो गया है।

इसके प्रतिबंध को लेकर केन्द्र के कृषि मंत्रालय भी भूमिका बहुत गंदी थी। वह देश के लोगों की चिता नहीं कर रही थी, बल्कि कीटनाशक के उत्पादक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एजेंट के रूप में काम करते दिखाई पड़ रही थी। जेनेवा की उस बैठक में भी भारत के प्रतिनिधि ने इस कीटनाशक की पैरवी की। जब इस पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव आया, तो भारत ने उसका विरोध किया। यह दूसरी बात है कि इस मसले पर भारत विश्व बिरादरी में अलग थलग हो गया और वह प्रस्ताव को पारित होने से नहीं रोक सका।

इसके कारण राज्य में कांग्रेस की भारी किरकिरी हो रही है और अच्युतानंदन हीरो बनकर उभर रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए भाग्य की बात थी कि जेनेवा की वह बैठक विधानसभा चुनावो के लिए होने वाले मतदान के पहले नहीं हुई। यदि ऐसा होता तो राज्य में मतदान पर इसका जस्र असर पड़ता और कांग्रेस घाटे में रहती।

फिलहाल मतदान हो चुका है और चुनावी नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। उसी बीच कीटनाशक इंडोसल्फान पर दुनिया भर में लगाए जा रहे प्रतिबंध से केरल के लोग राहत की सांस ले रहे हैं और कांग्रेसी नेता इस मसले पर मुह छिपाते दिखाई पड़ रहे हैं। (संवाद)