सिंगुर और नंदीग्राम में किसानों पर जुल्म पुलिस व सत्तासीन पार्टी के कैडरों द्वारा जब की गयी तब एक बार फिर भूअधिग्रहण कानून संशोधन करने के लिए गंभीर होने का दिखावा केंद्र सरकार ने की थी। ग्रेटर नोएडा में पुलिसिया जुल्म का तरो -ताजा मामले के परिपेक्ष्य में यह मांग फिर उठ रही है।ग्रेटर नोएडा ,आगरा और टपपल में जो खून खराबा हो चुका है , उसके दोष से बचने के लिए सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर किचड़ उछाल रहे हैं। फिलहाल ,देश की जनता स्तबध है कि क्या पुलिस अन्नदाताओं के खिलाफ इस हद तक जुल्म ढा सकती है। उसके फसलों से भरी खेतों और घरों केा आग के हवाले कर सकती है।

देश में भूधिग्रहण को लेकर राजनीतिक दलों का क्या नजरिया रहा है इसका सबसे अच्छा उदाहरण नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों के साथ हुई ज्यादातियां है। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में ही नोएडा की जमीन अधिग्रहित की गयी थी। 37 साल बीत जाने के बाद भी नोएडा के दर्जनों किसानं आबादी की जमीन और अन्य कई वाजिफ हक के लिए प्राधिकरण से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। नोएडा के बाद ग्रेटर नोएडा की स्थापना हुई। ग्रेटर नोएडा के किसान नोएडा के बराबर जमीन का मुआवजा के लिए वर्षों तक प्राधिकरण से जद्दोजहद करते रहे। इस बीच भाजपा , सपा और बसपा की भी सरकारें सत्ता में आई लेकिन किसानों को किसी से भी न्याय नहीं मिला। न्याय पाने के लिए उन्हें खुद का खून बहाना पड़ा। घोड़ी बछेड़ा में किसानों पर गोलियां मुलायम सरकार के कार्यकाल मंे ही चली। मायावती सरकार पर उद्योगपतियों के हित के लिए किसानों पर जुल्म ढाहने का आरोप लगाने वाले मुलायम सिंह ने ही किसानों की जमीन अंबानी ग्रुप को गैस प्लांट के लिए आवंटित की थी। जिसके खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह और सांसद राज बब्बर ने बढ़ चढ़ कर आंदोलन किया था। सत्ता में आते ही मायावती ने उस आवंटन को रद्द कर दी थी। इस तरह ऐसा कोई राजनीतिक दल बचा नहीं है जिसने किसानांे के साथ मनमानी नहीं की है।

आज कांग्रेस प्रवक्ता मणीष तिवारी से जब यह पूछा गया कि क्या ग्रेटर नोएडा की घटना के लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार नहीं है जिसने भूअधिग्रहण कानून में संशोधन को संसद में लटका रखा है। इसके जबाब में उन्होंने कहा कि पार्टी सरकार पर इस कानून को जल्द से जल्द से पारित करवाने के लिए दबाब बनाएगी।

मालूम हो कि सिंगुर और नंदीग्राम जैसी घटना देश में दोबारा न हो इसको ले कर ममता बनजीं ने यूपीए सरकार पर भूअधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए दबाब बनाया था। यह विधेयक लोकसभा से पारित भी हो गया था। लेकिन सरकार के कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद लोकसभा के चुनाव के कारण यह मामला लटक गया था। यूपीए सरकार ने अपने दूसरे कार्य काल में अभी तक इस विधेयक केा कानून जामा पहनाने के लिए कुछ नहीं किया है। जबकि पूराने भूअधिग्रहण कानून की आड़ किसानों पर जुल्म आज भी हो रहा है।
बहरहाल,ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में किसानों और उसके परिवार के साथ हुए जुल्म की सभी पार्टी ने एक सुर में निंदा की हैं। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार से किसानों पर हुए अत्याचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। साथ ही पीड़ित किसानों केा मुआवजा देने की तुरंत मांग की है।