राज्‍य सरकार की सहायक संस्‍था सिक्किम स्‍टेट कोऑपरेटिव और मार्केटिंग फेडरेशन (सिमफेड) और सिक्किम से संतरों की खरीद और उसके विपणन में कार्यरत भारत सरकार के उद्यम नॉर्थ इस्‍टर्न रीजनल एग्रीकल्‍चरल मार्केटिंग कोऑपरेशन लिमिटेड (नेरामैक) ने उत्‍पादकों को जो मूल्‍य दिया है, वह बहुत ज्‍यादा प्रोत्‍साहित करने वाला है।

मंडेरिन संतरे सिक्किम में अतिप्राचीन काल से उगाए जा रहे व्‍यावसायिक फलों में से एक है। मोटे अनुमान के अनुसार, सिक्किम में संतरों की खेती का रकबा करीब 6,000 हेक्‍टेयर है। यहां संतरों की उत्‍पादकता प्रति हेक्‍टेयर औसतन 1,667 किलोग्राम है। उत्‍तर पूर्व और हिमालयी राज्‍यों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित वानिकी मिशन योजना के आगमन से संतरे के रकबे में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। संतरा उत्‍पादकों को बगीचों के रखरखाव और रकबा बढ़ाने के लिए वित्‍तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। इस वित्‍तीय मदद के अलावा सिक्किम सरकार के लिए वित्‍तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। इस वित्‍तीय मदद के इलावा वानिकी और नगदी फसल विभाग ने भी उद्यमी किसानों और उत्‍पादकों को पौधे, जैव-पीड़कनाशी और कवकनाशी, उपकरण और औजार एवं सघन प्रशिक्षण उपलब्‍ध करवाए है। किसानों को नागपुर स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर साइट्रस और अन्‍य प्रगतिशील किसानों के खेतों का भ्रमण भी कराया गया। रकबा और मुनाफे के मामले में उल्‍लेखनीय प्रगति हासिल होने से स्‍वस्‍थ और गुणवत्‍तापरक पौधे तैयार करने के लिए कई नर्सरियों की स्‍थापना की गई है। निजी क्षेत्र की कई टिश्‍यूकल्‍चर प्रयोगशाला भी गुणवत्‍तापूर्वक पौधे तैयार करने में लगी है। वानिकी और नगदी फसलों के विभाग ने भी संतरों की खेती के कायाकल्‍प के मिशन के लिए सुयोग्‍य क्षेत्र की पहचान की है। सिक्किम सरकार की वर्ष 2015 तक पूर्ण जैविक खेती वाला राज्‍य बनाने की घोषणा से इस फल की खेती के लिए जैविक इनपुट मुहैया कराने पर जोर दिया जा रहा है।

यहां उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 2009 की अंतिम तिमाही में भारतीय आयात-निर्यात बैंक (एक्जिम) ने राज्‍य सरकार से करीब 20 साल के संतरों के बगीचों के कायाकल्‍प के लिए पुराने वृक्षों की क्रमिक रोपाई, वृक्षों के आसपास मृदा सुधार और खाद डालने और प्रमाणित नर्सरियों के पौधों से नए बगीचे लगाने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मंडेरिन संतरों का जूस, स्‍क्‍वैश, मुरब्‍बा और जैम में प्रसंस्‍करण संकटपूर्ण होता है। बैंक ने संतरे और अन्‍य वानिकी उत्‍पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए इनके चुनाव, ग्रेडिंग और प्रसंस्‍करण के लिए सुविधाएं स्‍थापित करने पर जोर दिया था। इसमें कहा गया कि ऐसा करने से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्‍साहन मिलेगा। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संतरे का रकबा बढ़ाने के लिहाज से सिक्किम आदर्श जगह है, क्‍योंकि राज्‍य की स्थ्‍िाति और जलवायु इसके अनुकूल है। इस बैंक ने अपनी रिपोर्ट में मंडेरिन संतरों उत्‍पादकों के लिए स्‍वायत्‍त बोर्ड स्‍थापित करने की भी अनुशंसा की थी, ताकि यह विस्‍तार कार्यों के लिए नोडल संस्‍था के रूप में काम करे, किसानों की शिक्षा में मदद करे और कृषि प्रबंधन गतिविधियां सुधारने के लिए किसानों की सहकारी संस्‍थाओं के साथ काम करे। बैंक ने यह भी सुझाया था कि बोर्ड ऋण, विपणन और बाजार की सूचनाएं मुहैया कराने में मदद कर सकता है।

संतरे की खेती और उत्‍पादन से संबंधित क्षेत्रों के सकारात्‍मक संकेतकों और चीन से मंडेरिन संतरों के निर्यात में जोरदार गिरावट के अनुमान के बीच यह निश्चित है कि सिक्किम निर्देशित नीतिगत हस्‍तक्षेपों और जरूरी बुनियादी ढांचों का विकास कर वैश्विक बाजार की संभावना का दोहन कर सकेगा। (पीआईबी)