आई बी को मजबूत किया गया है ताकि आतंकवादियों की गतिविधियों की जानकारी रखी जा सके। इतना ही नहीं गुप्तचर विभाग में मल्टी एजंसी सेंटर को फिर से संगठित कर उसे आधुनिक बनाते हुए कार्यरत लोगों की संख्या भी बढ़ायी गयी है ताकि यह सेंटर चौबीसों घंटे और सातो दिन सक्रिय रहे। गुप्तचर सूचनाएं एकत्रित करने वाले अन्य एजंसियों के साथ भी तालमेल की फाईन ट्यूनिंग की गयी है, जिनमें राज्य सरकारें और केन्द्र शासित प्रदेश भी शामिल हैं।

अब एक ऑनलाइन सूचना के आदान-प्रदान का तंत्र भी स्थापित किया जा रहा है ताकि सभी सम्बद्ध एजंसियों को आतंकवादी गतिविधियों की ताजा तरीन जानकारी दी जा सके। इन केन्द्रों और देश के तीस पहचानित ठिकानों पर बने उप-केन्द्रों और राज्यों की विशेष शाखाओं को अधिकृत अधिकारी ही इस ऑनलाइन व्यवस्था से जानकारी हासिल कर सकेंगे।

सरकार ने चार एन एस जी हब बनाये हैं जिनमें से प्रत्येक में लगभग 250 कर्मचारी तैनात किये गये हैं। ये हब हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में हैं।

सरकार ने हैदराबाद और कोलकाता में दो क्षेत्रीय केन्द्र बनाने का भी निर्णय किया है ताकि जरुरत पड़ने पर त्वरित कार्रवाई की जा सके।

पिछले वर्ष के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद समुद्र तटीय सुरक्षा व्यवस्था को कई स्तरों पर मजबूत किया गया है। तटीय सुरक्षा योजना के तहत 73 में से 64 तटीय पुलिस थानों को सक्रिय कर दिया गया है। तटीय राज्यों को 47 धरपकड़ करने वाले बोट दिये गये हैं जो मार्च 2010 तक 126 हो जायेंगे।

अब तटीय सुरक्षा योजना का दूसरा चरण भी शीघ्र शुरु किया जायेगा जिसके लिए तैयारी चर रही है।
एक राष्ट्रीय अनुसंधान एजंसी भी बना दी गयी है। इसे व्यापक अधिकार भी दिये गये हैं ताकि देश विदेश में आतंकवादियों की गतिविधियों की जांच की जा सके और उनके सम्पर्कों पर भी कार्रवाई की जा सके।

अन्य कदमों में पुलिस सुधार के लिए नयी नीति भी बनायी जा रही है जिसके लिए विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गयी है।

उन्होंने कहा कि अनेक विदेशी एजंसियों द्वारा समर्थित आतंकवादियों ने अपने उपद्रव के केन्द्र का विस्तार कश्मीर घाटी से परे भी कर रखा है ताकि भारत की अर्थ व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सके।

आतंकवादियों के दुष्टतापूर्ण इरादों के मुकाबले के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि आतंकवादियों ने दोहरी नीति पर काम करना शुरु किया है। कश्मीर के बाहर अन्य राज्यों के शहरों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर वे साम्प्रदायिक तनाव और घृणा फैलाकर पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह करने पर तुले हैं।

आज भारत वैसे आतंकवादी संगठनों का सामना करना पड़ रहा है जिनके पास न सिर्फ अत्याधुनिक हथियार और तकनीक हैं बल्कि उनकी पहूंत अकूत धन तक भी है। तिसपर उन्हें विदेशी एजंसियों का सक्रिय समर्थन भी हासिल है।

लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम भी व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। हमने इसके लिए अपना प्रयास लगातार जारी रखा और अब उसे और मजबूत कर रहे हैं।#