मंत्रिमंडल में 10 कांग्रेसी मंत्री हैं। उनमें से 6 तो मुख्यमंत्री ओमन चांडी के गुट के हैं और 4 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चेनिंदथाला के गुट के। विधानसभा के टिकटों के बंटवारे के समय भी इन दानों गुटों ने सबकुछ आपस में ही बाट लिया था। अब मंत्रिमंडल के गठन में भी उन्होंने उसी की पुनरावृति कर दी है।

आज मंत्रिमंडल में इन दोनों गुटों के बाहर के कोई भी मंत्री मौजूद नहीं हैं। बहुत कम ही सीटों के बहुमत से सत्ता में आई कांग्रेस और उसके मोर्चे के लिए यह कोई शुभ संकेत नहीं है।

सबसे आश्चर्यजनक कांग्रेस विधायक वीडी सतीशन का मंत्रिमंडल में नहीं लिया जाना है। उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे बंहतर प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। उन्हांने ही लॉटरी घोटाले के मुद्दे को उठाया था और यह मुद्दा कांग्रेस और उसके मोर्चे को सत्ता में लाने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार माना जाता है।

इसके बावजूद सतीशन को मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया तो इसका कारण यह है कि वे दोनों गुटों में से किसी के भी नहीं हैं। उन्हें स्पीकर का पद दिया जा रहा हे, पर उन्होंने यह पद लेने से मना कर दिया। वे अपनी उपेक्षा के बाद काफी असंतुष्ट हैं।

उसी तरह करुणाकरण के बेटे मुरलीधरन को भी मंत्री नहीं बनाया गया, क्योंकि वह भी न तो ओमन गुट में हैं और न ही रमेश गुट में। मुरली को सरकार में शामिल नहीं करने के लिए नायर सर्विस सोसाइटी को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। इस संगठन के पिछले चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था।

मुरली को सरकार में नहीं लिए जाने का करुणाकरण गुट के लोग विरोध कर रहे हैं। करुणाकरण की बेटी पद्मजा भी इसे कांग्रेस नेता स्वर्गीय करुणाकरण की स्मृति का अपमान बता रही है। मुरली सरकार से बाहर रहकर परेशानी का कारण बन सकते हैं।

मंत्री पद के एक अन्य दावेदार एन सक्तन हैं। मंत्री नहीं बनाए जाने के कारण वे भी असंतुष्ट हैं। वे शक्तिशाली नडार जाति के हैं और नडार जाति में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया है। सक्तन ने तो पार्टी और विधानसभा से इस्तीफे तक की धमकी दे रखी है। किसी तरह उन्हें इस्तीफा देने से रोक रखा गया है। देखना है कि वे आगे अब क्या करते हैं।

कांग्रेस के अंदर तो असंतोष है ही, सहयोगी दल भी खासा परेशान किए हुए हैं। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की मांग 5 विधायकों को मंत्री बनाने की थी, तो केरल कांग्रेस के मणि गुट की मांग 3 मंत्रिपद पाने की थी। दोनों में से किसी की भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। (संवाद)