राष्ट्रपति ओबामा ने न्यूयॉर्क में वेस्ट प्वाइंट मिलेट्री अकेडमी में सेना के केडिट्स को संबोधित करते हुए ये घोषणा की है।
उन्होंने स्पष्ट तौर पर ये भी कहा है कि 18 महीने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तैनात सैनिकों की वहाँ से वापसी शुरु हो जाएगी।
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि जब इराक़ युद्ध शुरु हुआ तो उन्होंने इसका विरोध किया था और उसके बाद अगले छह साल में अमरीका की ताकत इराक़ पर केंद्रित रही जबकि बाक़ी की दुनिया और अमरीका के बीच एक खाई पैदा हो गई।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की स्थित की वियतनाम में अमरीकी कार्रवाई के साथ तुलना नहीं की जा सकती। उनका तर्क था कि अमरीका की अल क़ायदा- तालेबान के ख़िलाफ़ कार्रवाई को 43 देशों का समर्थन हासिल है और अफ़ग़ानिस्तान में विद्रोहियों की लोकप्रियता सीमित है।
इस घोषणा के बाद अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी सैनिकों की संख्या एक लाख से ऊपर हो जाएगी। नैटो के अन्य देशों के सैनिकों की संख्या वहाँ फ़िलहाल 48 हज़ार है।
अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका के सबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर जनरल स्टैन्ली मैक्क्रिस्टल ने शंका ज़ाहिर की थी कि यदि और सैनिकों की तैनाती नहीं की जाती है तो अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका का अभियान असफल हो सकता है।
राष्ट्रपति ओबामा ने अपनी दलील इस बात से शुरु की कि अमरीका पर ग्यारह सितंबर 2001 में हुए हमलों से पहले वह ऐसा युद्ध लड़ने के लिए आतुर नहीं था।
उनका कहना था, "जब तालेबान ने 9/11 के लिए ज़िम्मेदार अल क़ायदा के अमरीका को नहीं सौंपा तब ही अमरीकी प्रतिनिधिसभा और सीनेट की अनुमति के साथ सैन्य कार्रवाई के ज़रिए तालेबान के सत्ता से बेदख़ल किया गया...लेकिन इसके बाद अल क़ायदा समर्थित तालेबान की वापसी हुई है और उसने बड़े भू-भाग पर नियंत्रण कायम कर लिया है।"
अमरीकियों की सुरक्षा पर बार-बार बल देते हुए ओबामा ने कहा, "यदि मुझे न लगता कि अमरीकियों की सुरक्षा दांव पर है तो मैं हर अमरीकी सैनिक को घर बुला लेता। जब मैं ये फ़ैसला ले रहा हूँ तो मुझे अहसास है कि अमरीकियों की सुरक्षा अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में दांव पर है। अल क़ायदा पर दबाव बनाए रखना ज़रूरी है. ये दोनों देश अल क़ायदा के हिंसक चरमपंथ का केंद्र हैं और ये कोई काल्पनिक ख़तरा नहीं है।"
ओबामा ने कहा कि अमरीका का लक्ष्य अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अल क़ायदा के तंत्र को ध्वस्त करना है।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में अमरीका पाकिस्तान को मदद प्रदान कर रहा है और करेगा ताकि उसकी सेना मज़बूती से तालेबान और अल क़ायदा के तत्वों का मुकाबला करे।
उनका कहना था कि अमरीका को इस ओर भी ध्यान देना होगा कि परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में परमाणु हथियार चरमपंथियों के हाथ न लग जाएँ।
उन्होंने स्वात में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई की सराहना की और कहा कि अमरीका पाकिस्तान के साथ सहयोग को और व्यापक बनाएगा ताकि वहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था मज़बूत हो।#
तीस हज़ार और सैनिक अफगानिस्तान भेजे जाएँगे,, डेढ़ साल में वापसी शुरु
विशेष संवाददाता - 2009-12-02 07:40
न्यू यार्क: अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की है कि अगले छह महीनों में अफ़गानिस्तान में तीस हज़ार और सैनिक भेजे जाएँगे। फ़िलहाल वहाँ 68 हज़ार अमरीकी सैनिक और अन्य नैटो देशों के 48 हज़ार सैनिक तैनात हैं।