विशिष्ट पहचान 15 अंकों का एक कोड होता है जिसे इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आइडेंटिटी (आईएमइआई) नंबर कहा जाता है।

जब कोई व्यक्ति अपने मोबाइल से फ़ोन करता है तब यह कोड मोबाइल सेवा देने वाले ऑपरेटर के नेटवर्क पर दिखाई देता है।

जिन मोबाइल फ़ोन में यह कोड नहीं होता है, उस नंबर की और फ़ोन करने वाले व्यक्ति की तलाश असंभव होती है।

भारतीय ख़ुफ़िया विभाग का कहना है कि बिना कोड के मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल आंतकवादी करते रहे हैं।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में ढ़ाई करोड़ से ज़्यादा ऐसे मोबाइल फ़ोन है जिनमें कोई कोड नहीं है।

आम तौर से ऐसे फ़ोन चीन में बने होते हैं। कम क़ीमत होने की वजह से भारत में इन्हें उपभोक्ता ख़रीदते रहे हैं।

मंगलवार की मध्य रात्रि से ऐसे फ़ोन पर रोक लगा दी गई।

फ़ोन इस्तेमाल करने वाले अनेक उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्हें बेवजह ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा है क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि हर मोबाइल फ़ोन में एक विशिष्ट कोड का होना ज़रूरी है।

मोबाइल सेवा देने वाले ऑपरेटरों के संघ ने सरकार से मांग की है कि वे फ़ोन पर रोक लगाने की समय सीमा बढ़ा दें ताकि वे बिना कोड वाले फ़ोन पर कोड की व्यवस्था कर सकें।

भारत में मोबाइल फ़ोन का बाज़ार दुनिया में सबसे तेज़ी से फैला है। क़रीब 50 करोड़ उपभोक्ता मोबाइल फ़ोन की सेवा का लाभ उठाते हैं।

भारत में हर महीने हज़ारों नए उपभोक्ता मोबाइल फ़ोना सेवा के लिए आवेदन करते हैं।