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मेडिकल कोर्स में ओबीसी आरक्षण पर मोदी सरकार का रुख संदिग्ध

केंद्र द्वारा राज्यों को उनके महत्वपूर्ण अधिकारों से वंचित कर दिया गया है
प्रकाश कारत - 2021-08-06 09:33
मोदी सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की घोषणा की सराहना की जा रही है। ओबीसी के कल्याण के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता के उदाहरण के रूप में भाजपा और उसके समर्थकों द्वारा प्रशंसा की जा रही है। प्रधानमंत्री ने सरकार के इस फैसले को ’ऐतिहासिक फैसला’ बताया है।

पूर्वोत्तर में सीमा पर तनाव को नियंत्रित रखने का एकमात्र तरीका राज्यों के बीच संवाद

विकास के माध्यम से क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने में केंद्र की बड़ी जिम्मेदारी
सागरनील सिन्हा - 2021-08-05 09:50
अक्सर देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक साथ जोड़ दिया जाता है लेकिन तथ्य यह है कि इस क्षेत्र के राज्य जनजाति, भाषा, भोजन, कपड़े, संस्कृति और इतिहास के मामले में एक दूसरे से अलग हैं। इन राज्यों के अंदर भी इस प्रकार के सांस्कृतिक अंतर देखे जाते हैं। इससे पता चलता है कि इस क्षेत्र में किस तरह की विविधता है। कभी-कभी, एक जनजाति का इतिहास दूसरी जनजाति के इतिहास का खंडन करता है। विभिन्न जनजातियाँ एक ही भूमि पर दावा करती हैं। यह न भूलें कि उनमें धार्मिक विभाजन है, क्योंकि सभी जनजातियाँ एक ही धर्म का पालन नहीं करती हैं। हालांकि यह देखा गया है कि दो जनजातियाँ एक ही धर्म का पालन करने के बावजूद आपस में मतभेद रखती हैं।

जाति जनगणना के सवाल

न करवाने का कोई युक्तिसंगत तर्क नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-08-04 11:16
जाति जनगणना की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। सच तो यह है कि इस बार यह मांग जितनी तेज है, उतनी पहले कभी नहीं थी। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केन्द्र सरकार ने कहा कि जनगणना में जातियों की अलग अलग आबादी की गणना नहीं होगी। सरकार के इस जवाब के बाद देश में एक तरह का भूचाल आ गया है और जाति जनगणना की मांग तेज हो गई है। राजद नेता अगले 7 अगस्त को मंडल दिवस के दिन देश भर में सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जा रहा है। विरोध कुछ राजनैतिक पार्टियां और ओबीसी संगठन कर रहे हैं। चूंकि ओबीसी राष्ट्रीय स्तर पर बहुत संगठित नहीं हैं और राजद जैसे दल तो इस विरोध का आयोजन कर रहे हैं, क्षेत्रीय दल हैं, इसलिए देश के अलग अलग हिस्सों में यह विरोध अलग अलग तरीके से होगा। कहीं दिख पड़ेगा और कहीं नहीं दिख पड़ेगा। लेकिन विरोध तो सारे देश में किसी न किसी रूप में होगा।

एबीवीपी सदस्यों ने वेबिनार को बाधित किया

मध्य प्रदेश प्रशासन ने छात्रों पर हमले का किया समर्थन
एल एस हरदेनिया - 2021-08-03 09:44
भोपाल : मध्य प्रदेश के डॉ. गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास में 30 जुलाई 2021 का दिन शर्म के रूप में दर्ज होगा। इस दिन आरएसएस से संबद्ध विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक वेबिनार में भाग लेने वाले वक्ताओं की सूची से दो प्रतिष्ठित विद्वानों के नाम हटा दें। एबीवीपी ने दावा किया कि डॉ गौहर रजा और डॉ अपूर्वानंद “राष्ट्र के दुश्मन“ हैं और इसलिए उन्हें वेबिनार में बोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि रजा एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं और डॉ. अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं और एक महान विद्वान के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा दोनों संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राहुल गांधी के खिलाफ असभ्य बयान

कैसे-कैसे अजीबोगरीब तर्क!
अनिल जैन - 2021-08-02 09:32
भारतीय जनता पार्टी और उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अपने प्रचार तंत्र और कॉरपोरेट नियंत्रित मीडिया के जरिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लंबे समय से ’पप्पू’ के तौर पर प्रचारित कर रखा है। इस प्रचार की निरंतरता बनाए रखने के लिए भाजपा की ओर से काफी बडी धनराशि भी खर्च की जाती है। इस सिलसिले में तमाम केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा प्रवक्ताओं का अक्सर यह भी कहना रहता है कि वे राहुल गांधी की किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन होता यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार के खिलाफ राहुल गांधी जब भी कुछ बोलते हैं, आरोप लगाते हैं या सरकार को कुछ सुझाव देते हैं तो सरकार के कई मंत्री और पार्टी प्रवक्ता उनका जवाब देने के लिए मोर्चा संभाल लेते हैं। यही नहीं, तमाम टीवी चैनलों पर उनके एंकर और ’एक खास किस्म के राजनीतिक विश्लेषक’ भी राहुल की खिल्ली उडाने में जुट जाते हैं।

भारत में उदारीकरण के तीन दशक

अमीर और अमीर हुए, पर कामकाजी वर्ग की स्थिति में सुधार नहीं हुआ
प्रभात पटनायक - 2021-07-31 09:44
1991 में भारत के नवउदारवादी नीतियों को अपनाए हुए तीस साल हो गए हैं, हालांकि कुछ ने 1985 से पहले भी इसकी शुरूआत की तारीख तय की है। समाचार पत्र अर्थव्यवस्था पर इन नीतियों के प्रभाव के आकलन से भरे हुए हैं। उदारीकरण के लाभों को असमान रूप से वितरित किया गया है, इस बात पर विलाप करते हुए मनमोहन सिंह ने हाल ही में कहा है कि “हर भारतीय के लिए एक स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए“। आश्चर्य होता है कि जब वह शीर्ष पर थे तो उन्हें ऐसा करने से किसने रोका।

पेगासस, एक नये दौर के साथ

क्या प्रश्न करने का अधिकार भी नहीं है?
कृष्णा झा - 2021-07-30 10:15
क्या कभी इस दो पंख वाले घोड़े के कदम जमीन पर होंगे? क्या यह कभी दावा कर सकेगा कि सत्य के खजाने की चाबी उसे मिल गई? सत्य, जिसे उद्घाटित करना संसद का वह चरम दायित्व है जिस पर जनवाद टिका हुआ है? और वही सच संसद में असत्यों की जंजीर में जकड़ कर पेश किया जाता है?

मॉनसून सत्र में संसद में मोदी सरकार का अटूट झूठ

स्वास्थ्य मंत्री का ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी कोविड मौत से इनकार आश्चर्यजनक है
प्रकाश कारत - 2021-07-30 10:11
संसद के मानसून सत्र के पहले सप्ताह ने मोदी सरकार के चरित्र के बारे में बहुत कुछ बताया है। कुछ ही दिनों में सरकार दो असत्य के साथ ऑन रिकॉर्ड हो गई। पहला सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा भारत में पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग के बारे में मीडिया रिपोर्टों का खंडन करना और स्पष्ट रूप से यह कहते हुए कि “कोई अनधिकृत निगरानी नहीं हुई है" का बयान था।

असम-मिजोरम सीमा संघर्ष का लंबा इतिहास

केंद्र को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए
बरुण दास गुप्ता - 2021-07-29 10:07
26 जुलाई को मिजोरम पुलिस के साथ सशस्त्र संघर्ष में असम के सात पुलिसकर्मियों की मौत निंदनीय है। असम का मेघालय, नागालैंड और मिजोरम के साथ लंबे समय से “सीमा विवाद“ है। इस बार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार, मिज़ो पुलिस के साथ झड़प तब हुई जब असम पुलिस ने असम की बराक घाटी के निकटवर्ती क्षेत्र के आरक्षित जंगलों में मिज़ो द्वारा भूमि के अतिक्रमण को रोकने की कोशिश की। सीएम ने कहा कि इसमें कोई ’राजनीति’ नहीं है। असम पुलिस के साथ संघर्ष इसलिए था क्योंकि मिज़ो ने अवैध रूप से और गुप्त रूप से असम के आरक्षित जंगलों में भूमि पर कब्जा कर लिया था और सड़कों का निर्माण किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि असम ‘अपनी एक इंच जमीन“ पर मिजो लोगों का कब्जा नहीं होने देगा।

शक्तिशाली ब्राह्मण समुदाय को लुभा रही उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियां

मिशन 2022 के परिणाम में प्रमुख हितधारक की बड़ी भूमिका है
प्रदीप कपूर - 2021-07-28 11:18
शक्तिशाली ब्राह्मण समुदाय, जिसे जनमत को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए माना जाता है, को सभी राजनीतिक दलों द्वारा मिशन 2022 के लिए यूपी में सत्ता पर कब्जा करने के लिए लुभाया जा रहा है।