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मोदीराज में राजद्रोह मजाक बन गया

सरकार की आलोचना का मतलब राज्य से युद्ध नहीं होता
के रवीन्द्रन - 2020-03-02 12:42
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ कुख्यात 2016 जेएनयू देशद्रोह मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनु अभिषेक सिंघवी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की आलोचना के लिए सरकार पर उन्हें राजद्रोह का आरोप लगाने की चुनौती दी है।

दिल्ली दंगों से बचा जा सकता था

सिर्फ कपिल मिश्र की गिरफ्तारी काफी थी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-03-01 06:28
दिल्ली 1984 के बाद के सबसे बडे दंगे के दौर से गुजर रहा है। अब यह शांति की ओर लौट रही है, लेकिन हिंसा फैलाने वाले लोग सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया की सहायता से अभी नफरत और घृणा फैलाने की अपनी कोशिश में मशगूल हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 42 लोगों की मौत की खबरें आ चुकी हैं, जिनमें दोनो समुदायों के लोग शामिल हैं। कुछ की तो शिनाख्त तक नहीं हो सकी है। देश की राजधानी दिल्ली की यह हिंसा पूरी दुनिया में भारत की बदनामी का कारण बन रही है और बुद्ध, महावीर और गांधी का यह देश एक हिंसक देश की छवि प्राप्त कर रहा है।

भारत का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप खतरे में

दिल्ली के दंगे ने विपक्षी दलों की एकता को आवश्यक बनाया
विनय विश्वम - 2020-02-28 12:55
यह एक ऐसा क्षण है जब प्रत्येक भारतीय को अपनी आँखें खोलनी चाहिए और देश के भविष्य के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ सोचना चाहिए। लोगों के बीच धार्मिक सद्भाव और समझ को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। पिछले रविवार से राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली घटनाएं भारत के लिए एक बड़ा झटका है और उसके चेहरे पर काला धब्बा है। उन घटनाओं ने कई कीमती मानव जीवन को चुरा लिया है और सैकड़ों लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। मकान, दुकानें और वाहन जल गए और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई। कट्टरपंथी अपराधी सांप्रदायिक पागलपन से ग्रस्त थे और कानून को अपने हाथ में लेकर दिल्ली पर काबिज थे। चार दिनों के लिए, देश ने राजधानी में ऐसा कुछ नहीं देखा जिसे ‘सरकार’ कहा जा सके! वह तंत्र एक गहरी नींद ले रहा था जो एक सचेत और बेशर्म नींद थी!

‘मेक इन अमेरिका’ और ‘यूज इन इंडिया’

रक्षा सौदा ट्रंप की एक बड़ी व्यापार जीत
बरुन दास गुप्ता - 2020-02-27 12:47
भारत में अपने डेढ़ दिन के प्रवास के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 3 बिलियन डॉलर के रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने में नकदी-तंगी और मंदी की मार से ग्रस्त भारत को सफलतापूर्वक मना लिय मिलियन था। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘‘मेक इन इंडिया’’ का नारा रक्षा क्षेत्र पर लागू नहीं है। यहाँ, नीति है ‘मेक इन यूएसए, भारत खरीदे और उपयोग करे।’

न्यायपालिका के पतन में अब क्या बाकी रह गया?

अनिल जैन - 2020-02-26 08:40
दिल्ली में हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन इसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें अत्यंत दूरदर्शी और बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया। उन्होंने कहा कि विश्वदृष्टि और वैश्विक सोच रखते हुए भी मोदी अपने स्थानीय हितों को नहीं भूलते। ‘न्यायपालिका और बदलती दुनिया’ विषय पर दुनिया के तमाम देशों के न्यायाधीशों के सम्मेलन में मूल विषय से हटकर जस्टिस मिश्रा के मुंह से निकली प्रधानमंत्री मोदी की यह तारीफ न सिर्फ अप्रासंगिक है, बल्कि अशोभनीय और अमर्यादित भी है।

दिल्ली का दंगा एक सुनियोजित साजिश

वह कौन है जो देश को बदनाम करना चाह रहा है
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-02-25 17:26
उधर गुजरात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में लगे हुए थे और ट्रंप भारत की बड़ाई करते हुए कह रहे थे कि यह बहुत ही सुरक्षित देश है और यहां के लोग बहुत ही शानदार होते हैं, ठीक उसी समय दिल्ली में दंगा भड़क रहा था। आगजनी हो रही थी। पत्थरबाजी ही नहीं गोलीबारी तक हो रही थी। और वह सब पुलिस के सामने ही हो रहा था। पुलिस आधे अधूरे मन से अपना फर्ज निभा रही थी। शायद वह अपना फर्ज निभा भी नहीं रही थी, बल्कि निभाने का नाटक कर रही थी। ऐसे विडियो देखे गए हैं, जिनमें पुलिस के पास के ही लोग पत्थरबाजी कर रहे थे और पुलिस खड़ी तमाशा देख रही थी।

मायावती का राजनैतिक अवसान

क्या चन्द्रशेखर रावण ले पाएंगे उनकी जगह?
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-02-24 10:54
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे को लोग आम आदमी पार्टी की विजय, भारतीय जनता पार्टी की हार और कांग्रेस के सफाए के रूप में ही देखते हैं, लेकिन इस चुनाव को बसपा प्रमुख मायावती की राजनीति के अवसान के रूप में भी देखा जाना चाहिए। मायावती ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और उनके सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं। सिर्फ जमानतें ही नहीं जब्त हुईं, बल्कि अंधिकांश सीटों पर तो बसपा उम्मीदवारों को 1000 से भी कम वोट मिले।

दिल्ली में केजरीवाल की सफलता से ममता ने सबक ली

बंगाल सरकार ने केंद्र विरोधी हमले को नर्म किया
आशीष विश्वास - 2020-02-22 13:47
दिल्ली चुनावों में केजरीवाल की शानदार जीत के बाद, ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र के साथ अपने व्यवहार में एक सामरिक बदलाव किया है। अब से, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विरोध की अपनी नीति को तृणमूल कांग्रेस सावधानी से लागू करेगी और उसकी कोशिश टकराव से हटकर नर्म रुख अपनाने की होगी। विशेष रूप से केंद्र-राज्य संबंधों के मामले में इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

कर्नाटक के बीदर में सेडिशन कानून का भारी दुरुपयोग

बच्चों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन
एल. एस. हरदेनिया - 2020-02-22 13:44
इस समय हमारे देश मेें देशद्रोह (सेडिशन) कानून का जबरदस्त दुरूपयोग हो रहा है। ऐसा ही एक मामला हाल में कर्नाटक में हुआ है। कर्नाटक के बीदर नामक नगर के एक स्कूल में एक नाटक खेला गया था। नाटक मेें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की आलोचना की गई थी। इस मुद्दे को लेकर स्कूल और उसके शिक्षकों पर सेडिशन कानून जड़ दिया गया और कई शिक्षकों और छात्रों के अभिभावकों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिन्हें गिरफ्तार किया गया उनमें 9 वर्ष की एक छात्रा की मां नजमुनीसा भी शामिल थी। नजमुनीसा को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसकी 9 साल की बेटी ने नाटक मेें सीएए के खिलाफ कुछ बातें कहीं थीं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका फरीदा बेगम भी गिरफ्तार की गईं। दोनों को 17 दिन बाद जेल से रिहा किया गया। इन 17 दिनों के दौरान इस बच्ची को अपनी मां से अलग रहना पड़ा। बच्ची के पिता नहीं हैं इसलिए उसका लालन-पालन उसकी मां ही करती है। नजमुनीसा अपनी बेटी के साथ एक किराए के मकान मे रहती है। इन सत्रह दिनों के दौरान यह बच्ची मकान मालिका के कमरे में सोती थी। बच्ची ने पत्रकारों को बताया कि इन सत्रह दिनों में वह एक भी रात सो नहीं पाई। ‘‘मैं रात भर रोती रहती थी और सोचती रहती थी कि मेरी मां क्या कभी भी जेल से छूट पाएगी। जिस दिन मुझे पता लगा कि मेरी मां जेल से छूटने वाली है उस दिन मैं सोचती रही कि ज्योंहि मेरी मां बाहर आएगी मैं उसे गले लगाऊंगी और उसे खूब चूमूंगी।"

भारत और पाकिस्तान गरीबी के विरुद्ध छेड़ें जंग, आपस में नहीं

नाशपाती स्वास्थ्य राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक है
डॉ अरुण मित्रा - 2020-02-20 12:14
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेतावनी दी कि भारत दस दिनों से भी कम समय में पाकिस्तान को हरा सकता है। इसी तरह के ओवरटोन को पाकिस्तानी नेतृत्व और सेना से बार-बार सुना गया है, जिन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में परमाणु हथियारों का उपयोग करने की चेतावनी भी दी है। भारत एक बड़ा देश है और कोई आश्चर्य नहीं कि पाकिस्तान से पारंपरिक हथियारों के मामले में हमारी श्रेष्ठता है। हमारी सेना बहुत अधिक अनुशासित है और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमान में है। हमने अतीत में अनेक युद्ध जीते हैं। हमें 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के मानवीय संकट को सुलझाने के लिए युद्ध लड़ना पड़ा। यह तब हुआ जब तत्कालीन पाकिस्तान सरकार के दमनकारी शासन द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को बर्बरता से मारा जा रहा था। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है।