पश्चिमी देशों में नवउदारवाद के खिलाफ आवाज उठ रही है
पर मोदी सरकार बदलने के मूड में नहीं दिख रही
2020-06-02 09:35
-
लंदन का फाइनेंशियल टाइम्स दुनिया के सबसे ‘सम्मानजनक’ बुर्जुआ समाचार पत्रों में से एक है। यह अखबार अब कुछ ऐसा कहने लगा है जिसे वामपंथी काफी समय से कहते आ रहे हैं। 3 अप्रैल, 2020 को एक संपादकीय में, इसने लिखा, “पिछले चार दशकों की प्रचलित नीति दिशा को अब उलटना होगा। सरकारों को अर्थव्यवस्था में अधिक सक्रिय भूमिका स्वीकार करनी होगी। उन्हें सार्वजनिक सेवाओं को देयताओं के बजाय निवेश के रूप में देखना चाहिए और श्रम बाजार को कम असुरक्षित बनाने के तरीकों की तलाश करनी चाहिए।’’